इंदौर। हाई कोर्ट इंदौर खंडपीठ में पदस्थ न्यायाधीश वंदना कसरेकर की रविवार को इलाज के दौरान निधन हो गया था. वंदना कसरेकर लंबे समय से बीमर होने की वजह से मेदांता हॉस्पिटल भर्ती थी, जहां उन्होनें अंतिम सांस ली थी. उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है. इसके साथ ही हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी दुख व्यक्त किया है. जज के निधन के बाद जनसंपर्क विभाग की बड़ी सामने आई है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि जनसंपर्क विभाग ने किसी दूसरे न्यायाधीश की फोटो लगाकार इंदौर हाईकोर्ट की न्यायधीश को श्रद्धांजलि दी है.
सोशल मीडिया हैंडलर पर होगी कार्रवाई
कांग्रेस का आरोप है कि जनसंपर्क विभाग ने दिवंगत जज वंदना कसरेकर की जगह उच्च न्यायालय की ही अन्य न्यायाधीश की तस्वीर लगाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से श्रद्धांजलि अर्पित की है,जो शर्मनाक है. कांग्रेस के आरोप पर जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि सोशल मीडिया से ली गई जानकारी के बाद यह गलती हुई है. हिंदी में न्यायाधीश का नाम लिखने पर यही फोटो सामने आ रहा था. इसलिए यह गलती हुई है. इस मामले में अब वे सोशल मीडिया हैंडलर पर कार्रवाई करने की बात कह रहे है. हालांकि विवाद बढ़ता देख जनसंपर्क ने अपनी ट्वीट डिलिट कर दिया है.
सीएम शिवराज ने दी थी श्रद्धांजलि
इंदौर उच्च न्यायालय में पदस्थ माननीय न्यायमूर्ति वंदना कसरेकर के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी दुख व्यक्त किया था. सीएम ट्वीटकर लिखा था की, न्यायमूर्ति वंदना कसरेकर के निधन का दुःखद समाचार मिला है. मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वे दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को इस वज्रपात को सहने की क्षमता दें. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं.
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2022 में रिटायर होने वालीं थी वंदना कसरेकर
बता दें कि न्यायमूर्ति वंदना कसरेकर के निधन के बाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन में गम का माहौल है. सभी अपने-अपने तरीके से वंदना कसरेकर के निधन के बाद शोक व्यक्त किया है. न्यायमूर्ति वंदना कसरेकर 2022 में रिटायर होने वाली थी. वह इंदौर हाई कोर्ट में पदस्थ थी और उन्होंने काफी ऐतिहासिक डिसीजन भी दिए हैं. उनकी कार्यप्रणाली को लेकर इंदौर हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट काफी सराहना करते थे.
1960 को हुआ था जन्म
वंदना का जन्म इंदौर में ही हुआ था. इंदौर में ही उन्होंने वकालत की शुरुआत करी थी और यहीं पर उन्होंने प्रैक्टिस की और 25 अक्टूबर 2014 को जज बनी. उसके बाद मध्य प्रदेश की विभिन्न खंडपीठ में दायित्व का निर्माण करते हुए 2 साल पहले ही इंदौर हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति का वापस पद संभाला. लेकिन इस दौरान वह गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो गई. जिसके बाद उनका इलाज चलने लगा. लेकिन अभी कुछ दिनों से वह गंभीर बीमार रहने लगी थी. जिसके बाद इंदौर के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. जहां उनका इलाज चल रहा था.