इंदौर। कोरोना काल में स्वदेशी दवा कंपनियों को प्रोत्साहित करने के दावों के बीच आरोग्य सेतु एप पर ई-फॉर्मेसी कंपनियों के प्रमोशन का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. प्रमोशन से नाराज प्रदेश के दवा विक्रेताओं ने आरोग्य सेतु एप से गैर लाइसेंसी ई-फॉर्मेसी कंपनियों के विज्ञापन नहीं हटाए जाने पर ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
कोरोना से अलर्ट करने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाए गए आरोग्य सेतु एप पर कई गैर लाइसेंसी ई-फॉर्मेसी कंपनी का प्रमोशन हो रहा है, जबकि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने इन कंपनियों को ऑनलाइन दवा बेचने की अनुमति नहीं दी है.
ऑर्गेनाइजेशन के प्रादेशिक महासचिव राजीव सिंघल का आरोप है कि भारत सरकार वोकल फोर लोकल के अपने ही नारे को दरकिनार कर आरोग्य सेतु एप पर ई-फॉर्मेसी कंपनियों को प्रमोट कर रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना के संक्रमण और संकट के दौरान स्थानीय दवा कंपनियों और ड्रग कारोबारियों ने खुद खतरा झेल कर आम लोगों को दवाएं उपलब्ध कराई है. यही नहीं विदेश भेजी जाने वाली दवाएं भी भारत सरकार को लगातार उपलब्ध कराई गई. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु एप से इन विवादित कंपनियों के विज्ञापन नहीं हटाए तो प्रदेश के दवा कारोबारी जल्द ही हड़ताल पर जा सकते हैं. ऐसी स्थिति में दवाओं के संकट के कारण उत्पन्न होने वाली स्थिति के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने लगाई थी पाबंदी
दिल्ली हाईकोर्ट के अलावा ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने 12 दिसंबर 2018 और 28 नवंबर 2019 को अपने अलग-अलग आदेश के जरिए बिना लाइसेंस के ऑनलाइन कारोबार करने वाली इन कंपनियों के भारत में कारोबार करने पर रोक लगाई थी. इसके अलावा राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को निर्देश दिए गए थे कि इन कंपनियों का राज्यों में कारोबार बंद कराया जाए. वहीं आरोग्य सेतु एप पर इनका प्रमोशन होने से दवा व्यापारियों में खासा आक्रोश है.
ई-फॉर्मेसी कंपनियों को लाइसेंस नहीं
भारत में ई-फार्मा कंपनियों को बिना लाइसेंस के कारोबार करने की अनुमति नहीं है क्योंकि ये कंपनियां विदेशी होती हैं, जो भारत में पूंजी निवेश के जरिए ऑनलाइन दवा सप्लाई करती हैं. भारत में फार्मा सेक्टर और पूरा दवा कारोबार है. ऐसी स्थिति में ई-फार्मा कंपनियों की वैधता और दवा की प्रमाणिकता आदि को लेकर भी संशय की स्थिति रहती है.
दवा कारोबारियों ने ली हाई कोर्ट की शरण
एसोसिएशन ने इस विवादित प्रमोशन के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल की चेतावनी देते हुए इस मामले में फिर एक याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की है, जिसकी सुनवाई 29 मई को होनी है. हालांकि इसके पहले ही इंदौर दवा बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने भी चेतावनी दी है कि यदि संबंधित कंपनियों का प्रमोशन ऐप से नहीं हटाया जाता है तो इंदौर की 2,200 दुकानों के अलावा प्रदेश के 28,565 दवा कारोबारी हड़ताल पर जा सकते हैं, जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.