इंदौर। इंदौर के पित्र पर्वत को इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि यहां शहर भर के लोगों के पितरों की याद में यहां हजारों पौधे रोपे गए हैं. श्राद्ध पक्ष में यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग अपने मित्रों और पूजनीय लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही पूजा- पाठ करने पहुंचते हैं. यही वजह है कि इंदौर के पूर्व महापौर कैलाश विजयवर्गीय ने क्षेत्र को विकसित करने का प्लान बनाया था. लिहाजा यहां 66 फीट की अष्टधातु की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है. इसका वजन 108 टन के करीब है. वहीं हनुमान जी की गदा 65 फीट लंबी है, जिसको देखने के लिए हर रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर खास फोकस : हाल ही में यहां एक साथ 10 लाख लोगों को भंडारे में भोजन कराने का भी रिकॉर्ड बनाया गया. अब जबकि यह क्षेत्र धीरे-धीरे विकसित हो रहा है तो कोशिश की जा रही है कि इसे श्रद्धालुओं के लिहाज से सर्वसुविधायुक्त बनाया जाए. यही वजह है कि अब पित्र पर्वत क्षेत्र का नए सिरे से मास्टर प्लान बनाया जा रहा है.
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ब्लूप्रिंट भी तैयार होगा : इस मास्टर प्लान में प्राथमिक तौर पर गौशाला समेत श्रद्धालुओं के लिहाज से अन्य जन सुविधाएं विकसित करने का एक ब्लूप्रिंट भी तैयार किया जा रहा है. कोशिश यह है कि यह तीर्थ क्षेत्र भविष्य में वैश्विक रूप से स्थापित हो सके. वहीं देश और दुनियाभर से यहां आने वाले लोगों को तीर्थ केंद्र के लिहाज से तमाम जनसुविधाएं आसानी से मुहैया कराई जा सकें.