इंदौर। प्रदेश में बच्चों की तस्करी के साथ अपरहण और चोरी की बढ़ती वारदातों के बीच आखिरकार इंदौर एसटीएफ की टीम ने इंदौर देवास और रतलाम में सक्रिय बच्चा चोर गिरोह के 7 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. पुलिस की टीम ने इनके पास से दो बच्चों को भी बरामद किया है. जिन्हें आरोपियों ने 7 साल पहले निजी अस्पताल से गायब करके अपने परिवार का सदस्य बना रखा था. ईटीवी भारत ने इस मामले को विगत दिनों एक्सपोज किया था. इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने उक्त कार्रवाई को अंजाम दिया है.
मैटरनिटी क्लिनिक की आया बेचती थी नवजात
प्रदेश के निजी नर्सिंग होम और क्लिनिको में पैदा होने वाले कई बच्चे जरूरतमंद निसंतान दंपतियों को चोरी छुपे बेचे जा रहे हैं. हाल ही में भोपाल की सामाजिक संस्था, जनसमस्या समाधान समिति के मार्फत मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एसपी एसटीएफ मनीष खत्री की टीम ने इंदौर के अलावा देवास और रतलाम में निजी नर्सिंग होम से बच्चे चुरा कर बेचने संबंधी गिरोह से जुड़े 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ की टीम ने इस मामले में ऐसे दो बच्चों को भी बरामद किया है. जिन्हें पैदा होने के बाद नर्सिंग होम से अवैध रूप से गायब कर बेच दिया गया था. इस गिरोह का खुलासा करते हुए इंदौर एसटीएफ एसपी मनीष खत्री ने बताया बच्चा चोरी का काम ऐसी महिलाएं करती थी जो अस्पताल के मेटरनिटी में दाई या नर्स के रूप में कार्यरत रही हैं. जिनके जरिए मेटरनिटी होम या अस्पताल से बच्चे गायब कर मुंह मांगी रकम के बदले में निसंतान दंपतियों को बेच देती थी. इस मामले में रतलाम और देवास के चार ऐसे आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है जो अवैध रूप से इन बच्चों के अभिभावक बने हुए थे. इस मामले में इंदौर देवास समेत अन्य जिलों में गायब हुए बच्चों को लेकर भी पूछताछ की जा रही हैं. वहीं इन बच्चों के वास्तविक अभिभावकों को भी पुलिस तलाश कर रही है. जिससे कि उन्हें यह बच्चे उनके वास्तविक माता-पिता को सौंपी जा सके. फिलहाल बच्चों को अस्थाई रूप से चाइल्डलाइन इंदौर के सुपुर्द किया गया है.
बच्चा चोर गिरोह में महिलाएं भी शामिल
लीलाबाई श्रीवास यश अस्पताल में काम करने वाली दाई, उसकी बहन पुष्पा श्रीवास, पुष्पा का पति प्रभु दयाल श्रीवास के अलावा इनसे बच्चों को खरीदने वाले देवास नगर निगम कर्मचारी शिरीष इंदुलकर और सुधा इंदुलकर समेत रतलाम मैं बच्चा खरीदने वाले दंपत्ति अजय कुमार और श्रीमती स्वर्ण लता को गिरफ्तार किया गया है. इनके खिलाफ पुलिस ने नवजात बच्चों के अपहरण के अलावा षड्यंत्र समेत अन्य मामलों में धारा 363, 420, 468, 120 बी और किशोर न्याय अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार किया है.
ETV Bharat Exclusive: इंदौर में बच्चा चोर गिरोह का खुलासा
इंदौर के यश क्लीनिक से गायब होते थे बच्चे
बच्चा चोर गिरोह के खुलासे के बाद पुलिस तफ्तीश में पता चला है कि इंदौर के स्कीम नंबर 51 स्थित यश अस्पताल से दाई लीलाबाई श्रीवास द्वारा बच्चे गायब किए जाते थे. जो अस्पताल में गर्भवती माताओं की डिलीवरी कराती थी. यह अस्पताल डॉक्टर शर्मिला शुक्ला द्वारा संचालित किया जाता था. जिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है इसके अलावा इसी तरह इंदौर के एमवाय अस्पताल से भी कई बच्चे गायब हो चुके हैं. इस मामले में भी इंदौर के संयोगितागंज पुलिस द्वारा बच्चों की खोजबीन कर रही हैं.
नकली जन्म प्रमाण पत्र के जरिए बने अभिभावक
इस मामले में एसटीएफ ने जिन 9 वर्षीय और 13 वर्षीय बच्चों को देवास रतलाम से बरामद किया है. उनके अभिभावक बताए जाने वाले शिरीष इंदुलकर और सुधा इंदुलकर ने देवास नगर निगम से बच्चों के नकली जन्म प्रमाण पत्र बनवा रखे थे. एसटीएफ की टीम ने जब लीलाबाई की निशानदेही पर इनके घरों पर दबिश दी. तो अपने बचाव में बच्चों के नकली जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए. ऐसी स्थिति रतलाम निवासी अजय कुमार और श्रीमती स्वर्ण लता की रही. जिन्होंने अपने आप को 13 वर्षीय एक बच्चे का माता पिता दर्शा रखा था. पूछताछ में इन दंपतियों ने बच्चों को यश क्लीनिक से गोद लेना भी बताया लेकिन वह गोद लेने संबंधी कोई भी अनुमति एवं दस्तावेज पुलिस के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाए.
बच्चों से छिन गए नकली माता-पिता
इंदौर समेत देवास और रतलाम में उजागर हुए बच्चा चोरी कांड के बाद जो बच्चे बरामद हुए हैं. दरअसल वे अब तक उन्हें ही अपना वास्तविक माता-पिता मानते रहे हैं. जिन्होंने निसंतान होने के कारण अवैधानिक तरीके से उन्हें यश अस्पताल से चोरी करवा कर उन्हें अपना बच्चा मानकर पालन पोषण किया है. फिलहाल दोनों ही बच्चे देवास और रतलाम के स्कूलों में पढ़ रहे हैं. हालांकि पुलिस ने इनके कथित माता पिता को गिरफ्तार किया है. ऐसी स्थिति में अब बच्चों के कोई भी वैधानिक अभिभावक नहीं बचा है. पुलिस की एसटीएफ टीम भी इस बात को लेकर परेशान है कि बच्चों के वास्तविक माता पिता की खोज कैसे की जाए. क्योंकि इन बच्चों को करीब 9 और 13 साल पहले अस्पताल से गायब किया गया था. इसके अलावा उस दौरान संबंधित थानों में इन बच्चों के चोरी होने की भी कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई थी. यही वजह है कि पुलिस ने अब 30 अक्टूबर 2011 से लेकर 11 मई 2008 या इसके पास पास जन्म लेने और गायब हुए बच्चों के संबंध में अपील भी जारी की है कि यदि इन बच्चों को लेकर कोई दावा कर रहा हो या उस दौरान जिनके बच्चे गायब हुए हो तो वह एसटीएफ कार्यालय में संपर्क करें.