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बजट में घोषित उज्ज्वला योजना की हकीकत, पांच फीसदी गरीब ही सिलेंडर कराते हैं रिफिल

उज्ज्वला योजना का लाभ जमीनी स्तर पर अलग ही कहानी बयां कर रहा है. जमीनी स्तर पर महज पांच फीसदी गरीब ही लेना चाहते हैं. वहीं 660 उपभोक्ता गैस सिलेंडर भरवा ही नहीं रहे हैं.

उज्ज्वला योजना
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Published : Jul 5, 2019, 8:50 PM IST

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस उज्ज्वला योजना के जरिए स्वच्छ ईधन उपलब्ध कराने की बात कही है, उस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. इस योजना का लाभ जमीनी स्तर पर महज पांच फीसदी गरीब ही लेना चाहते हैं. वहीं 660 उपभोक्ता गैस सिलेंडर भरवा ही नहीं रहे हैं.


इंदौर जिले में उज्ज्वला योजना के तहत जो 93हजार आवेदन खाद व आपूर्ति विभाग को मिले. उसमें से 68हजार 6सौ ही आवेदक पात्र पाए गए. उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं. गैस कनेक्शन दिए जाने के बाद विभाग ने उम्मीद जताई थी कि जिन गरीबों को निशुल्क कनेक्शन मिले हैं. वह एक बार गैस सिलेंडर खत्म होने के बाद उसे दोबारा भरवाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

पांच फीसदी ही भरवाते हैं सिलेंडर


हितग्राहियों ने दोबारा नहीं भरवाए सिलेंडर

जिन लोगों को यह कनेक्शन फ्री मिले, उन्होंने फिर से फ्री सिलेंडर की आस में दोबारा गैस की टंकियां भरवाई ही नहीं. इसमें से मात्र छह फीसदी लोग ऐसे पाए गए हैं, जिन्होंने दोबारा टंकियां भरवाई हैं. बाकि हितग्राहियों ने खाली टंकियां अपने घरों में ही रखी हुई है. जो उज्जवला योजना के नाम पर शोपीस बनकर रह गई है.

शासन स्तर पर उज्ज्वला योजना की सफलता के लिए अब कोशिश की जा रही है. शुरुआती 5 गैस सिलेंडर की सब्सिडी की राशि भी बीपीएल पात्र उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं को दी जाए जिससे कि वह कम से कम 5 बार उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर रिफिल करा सकें.


ये है नियम
उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन की राशि वसूलने के लिए आवेदकों को सब्सिडी नहीं देने का प्रावधान है, जिससे कि सब्सिडी की राशि से कनेक्शन का पैसा वसूला जा सके. योजना के हितग्राही ना तो कनेक्शन की राशि चुकाने को तैयार हैं और ना ही सब्सिडी की राशि छोड़ने को तैयार हैं. लिहाजा खाद विभाग के लिए भी उज्जवला योजना परेशानी का सबब बन कर रह गई है.

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस उज्ज्वला योजना के जरिए स्वच्छ ईधन उपलब्ध कराने की बात कही है, उस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. इस योजना का लाभ जमीनी स्तर पर महज पांच फीसदी गरीब ही लेना चाहते हैं. वहीं 660 उपभोक्ता गैस सिलेंडर भरवा ही नहीं रहे हैं.


इंदौर जिले में उज्ज्वला योजना के तहत जो 93हजार आवेदन खाद व आपूर्ति विभाग को मिले. उसमें से 68हजार 6सौ ही आवेदक पात्र पाए गए. उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं. गैस कनेक्शन दिए जाने के बाद विभाग ने उम्मीद जताई थी कि जिन गरीबों को निशुल्क कनेक्शन मिले हैं. वह एक बार गैस सिलेंडर खत्म होने के बाद उसे दोबारा भरवाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

पांच फीसदी ही भरवाते हैं सिलेंडर


हितग्राहियों ने दोबारा नहीं भरवाए सिलेंडर

जिन लोगों को यह कनेक्शन फ्री मिले, उन्होंने फिर से फ्री सिलेंडर की आस में दोबारा गैस की टंकियां भरवाई ही नहीं. इसमें से मात्र छह फीसदी लोग ऐसे पाए गए हैं, जिन्होंने दोबारा टंकियां भरवाई हैं. बाकि हितग्राहियों ने खाली टंकियां अपने घरों में ही रखी हुई है. जो उज्जवला योजना के नाम पर शोपीस बनकर रह गई है.

शासन स्तर पर उज्ज्वला योजना की सफलता के लिए अब कोशिश की जा रही है. शुरुआती 5 गैस सिलेंडर की सब्सिडी की राशि भी बीपीएल पात्र उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं को दी जाए जिससे कि वह कम से कम 5 बार उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर रिफिल करा सकें.


ये है नियम
उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन की राशि वसूलने के लिए आवेदकों को सब्सिडी नहीं देने का प्रावधान है, जिससे कि सब्सिडी की राशि से कनेक्शन का पैसा वसूला जा सके. योजना के हितग्राही ना तो कनेक्शन की राशि चुकाने को तैयार हैं और ना ही सब्सिडी की राशि छोड़ने को तैयार हैं. लिहाजा खाद विभाग के लिए भी उज्जवला योजना परेशानी का सबब बन कर रह गई है.

Intro:देश के आम बजट में मोदी सरकार ने 2022 तक प्रत्येक ग्रामीण को स्वच्छ इंधन आधारित रसोई की सुविधा देने का वादा किया है लेकिन जिस उज्जवला योजना के जरिए उक्त वादा पूरा करने का दावा किया जा रहा है उस योजना का लाभ सिर्फ 5 फ़ीसदी गरीब ही लेना चाहते हैं 660 ग्राही टंकियां भरवा ही नहीं रहे हैं


Body:इंदौर जिले में उज्जवला योजना के तहत जो 93000 आवेदन खाद एवं आपूर्ति विभाग को मिले उनमें से 68600 ही आवेदक पात्र पाए गए नतीजा सबको उज्जवला योजना के तहत निशुल्क गैस कनेक्शन दिए गए हैं गैस कनेक्शन दिए जाने के बाद विभाग ने उम्मीद जताई थी कि जिन गरीबों को निशुल्क कनेक्शन मिले हैं वह एक बार गैस सिलेंडर खत्म होने के बाद उसे दोबारा भरवाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि जिन लोगों को यह कनेक्शन फ्री मिले उन्होंने फिर से फ्री सिलेंडर की आस में दोबारा गैस की टंकियां भरवाई ही नहीं इनमें से मात्र 6 फ़ीसदी लोग ऐसे पाए गए जिन्होंने दोबारा टंकियां भरवाई शेष हितग्राहियों ने खाली टंकियां अपने घरों में ही पटक रखी हैं जो उज्जवला योजना के नाम पर शोपीस बनकर रह गई है इधर शासन स्तर पर इस योजना की सफलता के लिए अब कोशिश की जा रही है की शुरुआती 5 टंकियों की सब्सिडी की राशि भी बीपीएल पात्र उज्जवला योजना के धारकों को दी जाए जिससे कि वह कम से कम 5 बार उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर रिफिल करा सकें इधर उज्वला योजना को लेकर मोदी सरकार फिर आशान्वित है जिसे फिर देशभर में बड़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है



Conclusion:यह है नियम
दरअसल उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन की राशि वसूलने के लिए आवेदकों को सब्सिडी नहीं देने का प्रावधान है जिससे कि सब्सिडी की राशि से कनेक्शन का मूल्य वसूला जा सके लेकिन इस योजना के हितग्राही ना तो कनेक्शन की राशि चुकाने को तैयार है नाही सब्सिडी की राशि छोड़ने को तैयार हैं लिहाजा खाद विभाग के लिए भी उज्जवला योजना परेशानी का सबब बन कर रह गई है

बाइट डीएस मुझालदा, जिला खाद्य नियंत्रक इंदौर
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