इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस उज्ज्वला योजना के जरिए स्वच्छ ईधन उपलब्ध कराने की बात कही है, उस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. इस योजना का लाभ जमीनी स्तर पर महज पांच फीसदी गरीब ही लेना चाहते हैं. वहीं 660 उपभोक्ता गैस सिलेंडर भरवा ही नहीं रहे हैं.
इंदौर जिले में उज्ज्वला योजना के तहत जो 93हजार आवेदन खाद व आपूर्ति विभाग को मिले. उसमें से 68हजार 6सौ ही आवेदक पात्र पाए गए. उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं. गैस कनेक्शन दिए जाने के बाद विभाग ने उम्मीद जताई थी कि जिन गरीबों को निशुल्क कनेक्शन मिले हैं. वह एक बार गैस सिलेंडर खत्म होने के बाद उसे दोबारा भरवाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
हितग्राहियों ने दोबारा नहीं भरवाए सिलेंडर
जिन लोगों को यह कनेक्शन फ्री मिले, उन्होंने फिर से फ्री सिलेंडर की आस में दोबारा गैस की टंकियां भरवाई ही नहीं. इसमें से मात्र छह फीसदी लोग ऐसे पाए गए हैं, जिन्होंने दोबारा टंकियां भरवाई हैं. बाकि हितग्राहियों ने खाली टंकियां अपने घरों में ही रखी हुई है. जो उज्जवला योजना के नाम पर शोपीस बनकर रह गई है.
शासन स्तर पर उज्ज्वला योजना की सफलता के लिए अब कोशिश की जा रही है. शुरुआती 5 गैस सिलेंडर की सब्सिडी की राशि भी बीपीएल पात्र उज्ज्वला योजना के उपभोक्ताओं को दी जाए जिससे कि वह कम से कम 5 बार उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर रिफिल करा सकें.
ये है नियम
उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन की राशि वसूलने के लिए आवेदकों को सब्सिडी नहीं देने का प्रावधान है, जिससे कि सब्सिडी की राशि से कनेक्शन का पैसा वसूला जा सके. योजना के हितग्राही ना तो कनेक्शन की राशि चुकाने को तैयार हैं और ना ही सब्सिडी की राशि छोड़ने को तैयार हैं. लिहाजा खाद विभाग के लिए भी उज्जवला योजना परेशानी का सबब बन कर रह गई है.