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सांसद और विधायकों को सैलेरी के साथ मिलने वाली पेंशन पर लगाई गई याचिका

हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक अधिवक्ता ने सांसद और विधायकों की सैलरी के साथ पेंशन को लेकर एक याचिका लगाई है. इस याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई होगी.

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Published : Jan 2, 2021, 9:23 PM IST

high court indore bench
विधायकों की पेंशन पर याचिका

इंदौर। हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता ने सांसद और विधायकों की सैलरी के साथ पेंशन को लेकर एक याचिका लगाई है. याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई होना है. वहीं याचिका के जरिए कई तरह के सवाल भी खड़े किए गए हैं. फिलहाल अब देखना होगा कि 4 जनवरी को पूरे मामले में किस तरह से हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ सुनवाई करती है.

विधायकों की पेंशन पर याचिका

विधायक की पेंशन के साथ-साथ सांसद का वेतन भी लेने के मामले में इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका अधिवक्ता पूर्वा जैन ने लगाई है. जिसकी सुनवाई 4 जनवरी सोमवार को होगी. याचिकाकर्ता अधिवक्ता पूर्व जैन ने बताया कि उनके द्वारा लोक सभा, राज्य सभा और मध्यप्रदेश विधानसभा एवं महाराष्ट्र विधानसभा में आरटीआई के तहत 8 से ज्यादा आवेदन लगाए गए थे. लेकिन अब तक उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला है. याचीकर्ता पूर्वा जैन ने बताया कि कानून में जब ऐसे कोई प्रावधान नहीं है, जिससे जनप्रतिनिधि की दो-दो पेंशन रोकी जा सके तो उन्होंने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.

आभिवक्ता ने बताया कि एक तरफ देश मे इतनी गरीबी दूसरी तरफ आर्थिक हालात खराब है. विधायक एक से ज्यादा पेंशन ले जा रही हैं. वहीं टैक्सपेयर अपनी गाढ़ी कमाई से समय पर टैक्स भर रहे है. वह रुपए हमारे कारोड़पति विधायक ले रहे हैं. विधायक का वेतन भत्ता मध्य प्रदेश में 1लाख 10 हजार है. साथ ही विधायक की पेंशन 35,000 है. सांसद की पेंशन 25,000 है. इसी तरह सांसद का वेतन ढाई लाख रुपए है.

अब एक विधायक जब सांसद बन गया तो उसने विधायक की पेंशन का भी लाभ लिया. वही जब एक सांसद विधायक बन गया तो उसने सांसद की भी पेंशन का लाभ लिया और वर्तमान में विधायक रहते हुए विधायक का वेतन और सांसद रहते हुए सांसद ने उस दौरान अपना सांसद का वेतन प्राप्त किया. इस तरह देश में सिर्फ माननीय मतलब चुनकर आने वाले सांसद और विधायक ही ऐसे हैं, जो एक नहीं बल्कि 2 पेंशन का लाभ ले रहे हैं. चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए एक से ज्यादा पेंशन लेने का लॉ तो है मतलब कानूनन अधिकार है. इन्हें लेकिन सैलरी लेते हुए आपको पेंशन नहीं लेना चाहिए, जिसके लिए ऐसा कोई कानून नहीं है. फिर भी वेतन और पेंशन का लाभ कई जनप्रतिनिधियों ले रहे हैं.

जनप्रतिनिधियों की लंबी लिस्ट है इस सूची में

अगर हम मध्य प्रदेश की बात करें तो मध्य प्रदेश में ऐसे बहुत से जनप्रतिनिधि हैं, जो सांसद होने के साथ-साथ विधायक भी रहे हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पूर्व विधायक और अब राज्यसभा के सांसद हैं. इसी तरह केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, खंडवा के सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया, सज्जन सिंह वर्मा, विक्रम वर्मा, प्रेमचंद गुड्डू और कांतिलाल भूरिया तो कम से कम ऐसे हैं, जो विधायक और सांसद दोनों रहे हैं. या वर्तमान में हैं. इस तरह पूरे देश में ऐसे कई जनप्रतिनिधि हैं, जो नियम विरुद्ध सरकार के खजाने को खाली कर रहे हैं.

याचिका पर चार जनवरी को होगी सुनवाई

इस याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई होना है. और इस याचिका की सुनवाई तय करेगी कि इस याचिका पर न्यायालय का क्या निर्णय आता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट जज, जिला कोर्ट के न्यायाधीश को भी एक पेंशन का अधिकार है. विधायक दो-दो पेंशन का लाभ ले रहे हैं. फिर कई विधायक तो ऐसे हैं जो वेतन के साथ पेंशन का भी लाभ ले रहे हैं.

इंदौर। हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता ने सांसद और विधायकों की सैलरी के साथ पेंशन को लेकर एक याचिका लगाई है. याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई होना है. वहीं याचिका के जरिए कई तरह के सवाल भी खड़े किए गए हैं. फिलहाल अब देखना होगा कि 4 जनवरी को पूरे मामले में किस तरह से हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ सुनवाई करती है.

विधायकों की पेंशन पर याचिका

विधायक की पेंशन के साथ-साथ सांसद का वेतन भी लेने के मामले में इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका अधिवक्ता पूर्वा जैन ने लगाई है. जिसकी सुनवाई 4 जनवरी सोमवार को होगी. याचिकाकर्ता अधिवक्ता पूर्व जैन ने बताया कि उनके द्वारा लोक सभा, राज्य सभा और मध्यप्रदेश विधानसभा एवं महाराष्ट्र विधानसभा में आरटीआई के तहत 8 से ज्यादा आवेदन लगाए गए थे. लेकिन अब तक उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला है. याचीकर्ता पूर्वा जैन ने बताया कि कानून में जब ऐसे कोई प्रावधान नहीं है, जिससे जनप्रतिनिधि की दो-दो पेंशन रोकी जा सके तो उन्होंने इंदौर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की.

आभिवक्ता ने बताया कि एक तरफ देश मे इतनी गरीबी दूसरी तरफ आर्थिक हालात खराब है. विधायक एक से ज्यादा पेंशन ले जा रही हैं. वहीं टैक्सपेयर अपनी गाढ़ी कमाई से समय पर टैक्स भर रहे है. वह रुपए हमारे कारोड़पति विधायक ले रहे हैं. विधायक का वेतन भत्ता मध्य प्रदेश में 1लाख 10 हजार है. साथ ही विधायक की पेंशन 35,000 है. सांसद की पेंशन 25,000 है. इसी तरह सांसद का वेतन ढाई लाख रुपए है.

अब एक विधायक जब सांसद बन गया तो उसने विधायक की पेंशन का भी लाभ लिया. वही जब एक सांसद विधायक बन गया तो उसने सांसद की भी पेंशन का लाभ लिया और वर्तमान में विधायक रहते हुए विधायक का वेतन और सांसद रहते हुए सांसद ने उस दौरान अपना सांसद का वेतन प्राप्त किया. इस तरह देश में सिर्फ माननीय मतलब चुनकर आने वाले सांसद और विधायक ही ऐसे हैं, जो एक नहीं बल्कि 2 पेंशन का लाभ ले रहे हैं. चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए एक से ज्यादा पेंशन लेने का लॉ तो है मतलब कानूनन अधिकार है. इन्हें लेकिन सैलरी लेते हुए आपको पेंशन नहीं लेना चाहिए, जिसके लिए ऐसा कोई कानून नहीं है. फिर भी वेतन और पेंशन का लाभ कई जनप्रतिनिधियों ले रहे हैं.

जनप्रतिनिधियों की लंबी लिस्ट है इस सूची में

अगर हम मध्य प्रदेश की बात करें तो मध्य प्रदेश में ऐसे बहुत से जनप्रतिनिधि हैं, जो सांसद होने के साथ-साथ विधायक भी रहे हैं. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पूर्व विधायक और अब राज्यसभा के सांसद हैं. इसी तरह केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, खंडवा के सांसद नंदकुमार सिंह चौहान, पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया, सज्जन सिंह वर्मा, विक्रम वर्मा, प्रेमचंद गुड्डू और कांतिलाल भूरिया तो कम से कम ऐसे हैं, जो विधायक और सांसद दोनों रहे हैं. या वर्तमान में हैं. इस तरह पूरे देश में ऐसे कई जनप्रतिनिधि हैं, जो नियम विरुद्ध सरकार के खजाने को खाली कर रहे हैं.

याचिका पर चार जनवरी को होगी सुनवाई

इस याचिका पर 4 जनवरी को सुनवाई होना है. और इस याचिका की सुनवाई तय करेगी कि इस याचिका पर न्यायालय का क्या निर्णय आता है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट जज, जिला कोर्ट के न्यायाधीश को भी एक पेंशन का अधिकार है. विधायक दो-दो पेंशन का लाभ ले रहे हैं. फिर कई विधायक तो ऐसे हैं जो वेतन के साथ पेंशन का भी लाभ ले रहे हैं.

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