इंदौर। ना कोरोना का डर ना सरकार का भय और ना ही बुजुर्गों की चिंता. इंदौर में बुजुर्गों के साथ हुई नगर निगम की घटना के बाद बुजुर्गों से जुड़ा यह दूसरा मामला स्वास्थ विभाग में आया है, जो शर्मसार कर दे. इसमें देपालपुर में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही देखने को मिली, जहां आंखों की जांच करवाने आए बुजुर्गों को मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए चोइथराम नेत्रालय की बस में ठूस-ठूस कर जानवरों की तरह भरा गया. इन्हें करीब 40 किलोमीटर से लम्बा रास्ता तय करना था.
फिर लापरवाही
पहले भी इंदौर के एक नेत्र अस्पताल में आंख फोड़वा कांड हुआ था. जिसमें बड़ी लापरवाही देखने को मिली थी. वहीं आज चोइथराम नेत्रालय की बस में भी प्रशासन और अस्पताल के प्रबंधक कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई. जहां देपालपुर में आंखों की जांच के लिए आए, मरीजों को जांच के बाद मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए चोइथराम अस्पताल की बस से भेजा जा रहा था. जिसमें नेत्र मरीजों को ठूस-ठूस कर भरा गया.
वहीं अब जिम्मेदार अधिकारियों का कहना कि मामले की जांच करवाकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेंगे. वहीं ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अस्पताल की बजाय सीएचएमओ ऑफिस इंदौर मीटिंग में व्यस्त थी. वहीं मंगलवार को आंखों की जांच, बच्चों को इंजेक्शन, गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी के साथ-साथ नसबंदी भी होती है उसके बावजूद भी यहां मंगलवार को अधिकारी का नहीं होना अस्पताल की पोल खोल रहा है.
मामले पर नरेंद्र सलूजा का ट्वीट भी किया है.
वही जांच और कार्रवाई की बातें
जहां एक और कोविड को लेकर प्रशासन सख्त है, वहीं सरकारी अस्पताल की इस कार्यप्रणाली की लापरवाही सरेआम मानवता को शर्मसार करते दिखाई दे रही है. जब भीड़ देख मीडिया पहुंची और बस के अंदर बैठे नेत्र मरीज लोगों से बात की तो उनका कहना था कि हमें जांच के लिए ले जाया जा रहा है. उसी दौरान बस कंडक्टर और ड्राइवर की माने तो लोग खुद अपनी मर्जी से इतनी संख्या में चढ़कर बैठ गए. जब मीडिया ने मामला कैमरे में कैद करना शुरू किया तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार डॉक्टर इधर-उधर हो गए. अब अधिकारीयों का कहना है कि जांच करवाएंगे और दोषियों पर कार्रवाई करेंगे.