ETV Bharat / state

इंदौर के अस्पतालों में अव्यवस्थाओं का अंबार, परेशान मरीज और उनके परिजन

author img

By

Published : May 8, 2021, 3:08 PM IST

कोरोना संक्रमण के मरीज बढ़ने से इंदौर के अस्पतालों में कई प्रकार की अव्यवस्थाएं सामने आई हैं, लेकिन अब अव्यवस्थाओं से निपटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. कई दोनों से सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों के परिजन परेशान भटकते रहते थे, लेकिन अब उनके बैठने की व्यवस्था प्रशासन ने कर दी की है

Hospital of Indore
इंदौर के अस्पताल

इंदौर। शहर में कोरोना संक्रमण जमकर पैर पसार रहा है. संक्रमण बढ़ने से इंदौर के सरकारी-प्राइवेट अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों से भरे हुए हैं. इस दौरान अस्पतालों में इन लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मरीज इलाज के अभाव में अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं, उनके परिजन उनकी चिंता में हॉस्पिटल के बाहर ही डेरा डाले हुए हैं. कोरोना काल में इंदौर में एक ओर तो सरकारी अस्पतालों में प्रशासन ने मरीजों के परिजनों के लिए विभिन्न प्रकार की व्यवस्था कर रखी है, वहीं, दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं.

इंदौर के अस्पताल
  • दर-दर भटकने को मजबूर लोग

कोरोना संक्रमण के मरीज बढ़ने से इंदौर के अस्पतालों में कई प्रकार की अव्यवस्थाएं सामने आई हैं, लेकिन अब अव्यवस्थाओं से निपटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. कई दोनों से सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों के परिजन परेशान भटकते रहते थे, लेकिन अब उनके बैठने की व्यवस्था प्रशासन ने कर दी की है. यहां विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ ही प्रशासन ने लोगों ने लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की हैं.

केंद्र सरकार का वैक्सीन बजट ₹35 हजार करोड़, खर्च मात्र ₹4,744 करोड़

  • परेशान मरीजों के परिजन बोले

इंदौर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में जो भी उनके परिजन भर्ती हैं, उनकी क्या कंडीशन है इसके बारे में हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं देते हैं. वही एक भर्ती मरीज के परिजन का कहना है कि उन्हें आज तक यह जानकारी नहीं लगी कि उन्हें किस डॉक्टर के द्वारा देखा जा रहा है. वहीं परिजनों का तो यहां तक कहना है कि एक बार यदि किसी मरीज को सरकारी हॉस्पिटल में दाखिल कर दिया गया तो उसकी जानकारी हॉस्पिटल से निकालना नामुमकिन जैसा होने लग जाता है.

  • मरीज की जानकारी उनके परजनों के नहीं मिल रही

इसी के साथ एक अन्य परिजन का कहना है कि उनकी मां की उम्र तकरीबन 70 वर्ष है और उन्हें कोरोना संक्रमित होने के बाद एमटीएच हॉस्पिटल में भर्ती किया हुआ था, लेकिन आज एक महीना 10 दिन गुजर गए हैं अभी तक उनके हालात में कितना सुधार हुआ इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. जब भी प्रबंधक से 70 वर्षीय बुजुर्ग के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो उनके द्वारा किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी जाती है और खरी-खोटी सुनाकर हॉस्पिटल से बाहर निकाल दिया जाता है.

इंदौर। शहर में कोरोना संक्रमण जमकर पैर पसार रहा है. संक्रमण बढ़ने से इंदौर के सरकारी-प्राइवेट अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों से भरे हुए हैं. इस दौरान अस्पतालों में इन लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मरीज इलाज के अभाव में अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं, उनके परिजन उनकी चिंता में हॉस्पिटल के बाहर ही डेरा डाले हुए हैं. कोरोना काल में इंदौर में एक ओर तो सरकारी अस्पतालों में प्रशासन ने मरीजों के परिजनों के लिए विभिन्न प्रकार की व्यवस्था कर रखी है, वहीं, दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं.

इंदौर के अस्पताल
  • दर-दर भटकने को मजबूर लोग

कोरोना संक्रमण के मरीज बढ़ने से इंदौर के अस्पतालों में कई प्रकार की अव्यवस्थाएं सामने आई हैं, लेकिन अब अव्यवस्थाओं से निपटने का सिलसिला शुरू हो चुका है. कई दोनों से सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों के परिजन परेशान भटकते रहते थे, लेकिन अब उनके बैठने की व्यवस्था प्रशासन ने कर दी की है. यहां विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ ही प्रशासन ने लोगों ने लिए भोजन-पानी की व्यवस्था की हैं.

केंद्र सरकार का वैक्सीन बजट ₹35 हजार करोड़, खर्च मात्र ₹4,744 करोड़

  • परेशान मरीजों के परिजन बोले

इंदौर के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में जो भी उनके परिजन भर्ती हैं, उनकी क्या कंडीशन है इसके बारे में हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर किसी तरह की कोई जानकारी नहीं देते हैं. वही एक भर्ती मरीज के परिजन का कहना है कि उन्हें आज तक यह जानकारी नहीं लगी कि उन्हें किस डॉक्टर के द्वारा देखा जा रहा है. वहीं परिजनों का तो यहां तक कहना है कि एक बार यदि किसी मरीज को सरकारी हॉस्पिटल में दाखिल कर दिया गया तो उसकी जानकारी हॉस्पिटल से निकालना नामुमकिन जैसा होने लग जाता है.

  • मरीज की जानकारी उनके परजनों के नहीं मिल रही

इसी के साथ एक अन्य परिजन का कहना है कि उनकी मां की उम्र तकरीबन 70 वर्ष है और उन्हें कोरोना संक्रमित होने के बाद एमटीएच हॉस्पिटल में भर्ती किया हुआ था, लेकिन आज एक महीना 10 दिन गुजर गए हैं अभी तक उनके हालात में कितना सुधार हुआ इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है. जब भी प्रबंधक से 70 वर्षीय बुजुर्ग के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो उनके द्वारा किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी जाती है और खरी-खोटी सुनाकर हॉस्पिटल से बाहर निकाल दिया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.