Rau Assembly Seat। मध्य प्रदेश की राऊ विधानसभा सीट उन विधानसभा सीटों में शुमार है, जिस पर हर किसी की नजर होती है. दरअसल हाई प्रोफाइल कही जाने वाली इंदौर की इस सीट पर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सामने भाजपा अपनी पिछली दो हार का बदला लेकर जीतू पटवारी की हैट्रिक रोकना चाहती है. हालांकि इसके लिए पार्टी ने एक बार फिर पुराने चेहरे मधु वर्मा पर दांव लगाया है. कांग्रेस से जीतू पटवारी चुनावी मैदान में हैं. ईटीवी भारत ने क्षेत्र के मुद्दे और स्थिति को लेकर पड़ताल की, जिसमें कांग्रेस जहां विकास की गंगा बहाने के दावे कर रही है. वहीं भाजपा का आरोप है कि भाजपा के शासनकाल में कांग्रेस के इस इलाके का विकास पिछड़ गया है.
2008 में जीते थे जीतू जिराती: इंदौर की नौ विधानसभा में से सबसे अहम राऊ सीट मानी जाती है. राऊ विधानसभा क्षेत्र में कुल 325709 मतदाता हैं, जिनमें 165465 पुरुष मतदाता और 160240 महिला मतदाता हैं और 4 अन्य हैं. ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाके आते हैं. इस विधानसभा पर सबसे पहले 2008 में भाजपा के स्थानीय प्रत्याशी जीतू जिराती ने 73326 वोटों से शिकस्त देकर जीत दर्ज की थी. हालांकि उस दौरान भी जीतू जिराती का मुकाबला उनके खास दोस्त जीतू पटवारी से था. इसके बाद हुए दो चुनाव में जीतू पटवारी ने यहां से 18559 वोटों से जीत दर्ज करके अपनी हार का बदला लिया था. इस दौरान भाजपा को जहां 73226 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के पक्ष में 90885 मत आए थे.
इस बार करो या मरो की स्थिति: इसके बाद 2018 के चुनाव में भी जीतू पटवारी ने इस सीट पर अपना कब्जा बनाए रखते हुए 107,740 वोट प्राप्त किए थे. जबकि भाजपा के मधु वर्मा को 102037 वोट से ही संतोष करना पड़ा था. हालांकि इस बार दोनों ही पार्टियों के लिए करो या मरो की स्थिति है. लिहाजा राऊ विधानसभा में इस बार चुनाव प्रचार से लेकर परिणाम तक भारी कशमकश और मारामारी की स्थिति रहने वाली है. दरअसल इस सीट पर खाती समाज के मतदाताओं का बहुमत है. इसीलिए कांग्रेस ने यहां जीतू पटवारी और भाजपा ने इसी समाज से होने के कारण जीतू जिराती को मौका दिया था. हालांकि इंदौर से सटे शहरी इलाके में यहां बड़ी संख्या में मराठी मतदाता हैं. जिनकी विधानसभा क्षेत्र के 8 वार्ड में बहुलता है, ब्राह्मण और पिछला वर्ग के वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में होते हैं. इसीलिए खाती समाज के अलावा दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों का फोकस मराठी वोट बैंक के अलावा ब्राह्मण और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं पर भी होता है. इस वोट बैंक को साधना दोनों ही पार्टी की मजबूरी होती है. लिहाजा अपने-अपने तरीके से दोनों ही दल हर बार मतदाताओं को अपने खेमे में बनाए रखने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ते.
दोनों ही दलों के अपने-अपने दावे: भाजपा ने यहां अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. जबकि कांग्रेस की ओर से भी लगभग जीतू पटवारी का नाम तय है. भाजपा के प्रत्याशी मधु वर्मा ने यह कार्यकर्ता सम्मेलन कर चुनावी शंखनाद कर दिया है. इस दौरान उन्होंने करीब 100000 मतों से जीतने का दावा किया है. वहीं जीतू पटवारी को उनके विकास कार्यों पर पूरा भरोसा है. जीतू पटवारी का कहना है कि उनका विधानसभा क्षेत्र एक परिवार की तरह है. जिससे वह परिवार की तरह ही जुड़े हुए हैं. आम जनता महंगाई बेरोजगारी और मनमानी से त्रस्त आ चुकी है. लिहाजा इस बार जनता भाजपा को सबक सिखाएगी और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी.