ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव) : देश दुनिया में हुनरबाज तो बहुत हैं, लेकिन ऐसे लोग जो अपनी कला को जीवन बना लें, उन्हें ही कलाकार कहा जाता है. ऐसे ही चित्रकार हैं, ग्वालियर के हरिकृष्ण कदम जिन्होंने दुनिया में अपनी चित्रकारी का लोहा मनवाया, लेकिन तीन दशक बाद भी कैनवास उनकी जिंदगी बन चुका है. खुद की दोनों किडनी काम करना बंद कर चुकी है, लेकिन हाथों ने कैनवास पर ब्रश चालान बंद नहीं किया. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुके हरि कृष्ण कदम बीमारी से लड़ने के बावजूद प्रतिदिन पेंटिंग करते हैं. कला के प्रति उनका जुनून जोश आज भी कम नहीं हुआ है.
बीमारी ने बदल दिया जीवन
ग्वालियर के सिरोल इलाके में रहने वाले हरि कृष्ण कदम हर दिन जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. दोनों किडनी पांच साल पहले खराब हो गई थी, लेकिन हफ्ते में तीन दिन डायलिसिस कराने अस्पताल जाते हैं. उनका जीवन पहले ऐसा नहीं था, कुछ वर्षों पहले हरिकृष्ण कदम ग्वालियर के जाने माने चित्रकार हुआ करते थे. जिन्होंने अपने साथियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पेंटिंग बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. कुछ सालों पहले टायफाइड हुआ, इलाज के दौरान दोनों किडनी फेल हो गई और सब बदल गया, लेकिन जो नहीं बदला, वह था पेंटिंग के लिए उनका प्रेम और समर्पण.
बचपन से ही पेंटिंग और प्रकृति दोनों से था प्यार
ईटीवी भारत संवाददाता पीयूष श्रीवास्तव से बातचीत के दौरान हरिकृष्ण कदम ने बताया कि "बचपन से ही उनका झुकाव चित्रकारी की ओर था. फाइन आर्ट्स से डिग्री पूरी की गोल्ड मेडलिस्ट बने और उसके बाद तीन सालों तक फाइन आर्ट्स कॉलेज में बतौर प्रफेसर नौकरी भी की. कुछ समय केंद्रीय विद्यालय में भी समय दिया, लेकिन उनका मानना है कि एक चित्रकार की असली उपलब्धि उसकी आजादी है. यह सोचना की वह अपने विचार कैसे कैनवास पर उतारे, यही वजह थी कि उन्होंने फ्रीलांस आर्टिस्ट बनकर अपना समय पेंटिंग को दिया. शुरुआत से ही प्रकृति प्रेमी रहा हूं, इसलिए हमेशा लैंडस्कैप ही बनाना पसंद है."
वर्कशॉप के लिए जगह के बदले पूरी की थी शर्त
एक साधारण चित्रकार से गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर बनने के सफर पर चर्चा हुई तो यादों के किताब से कुछ पन्ने निकालते हरि कृष्ण कदम की तबीयत हरी हो गई. उस समय को याद करते हुए कदम कहते हैं कि," जब हमने फाइन आर्ट्स पास आउट किया तो उसके बाद एक संस्था बनायी नाम था कलारंग कला संघ. साल 2005 में उस संस्था में देश भर के कुछ कलाकारों को आमंत्रित किया और उनके साथ ग्वालियर में एक वर्कशॉप किया. ये वर्कशॉप ग्वालियर की श्याम वाटिका में आयोजित करना था.
जब वहां के ओनर से बात की कि इसका बैंक्विट हॉल चाहिए, तो उन्होंने पूछा की हम आप कलाकारों को अगर यह हॉल दें तो आप बदले में क्या देंगे. तो हमने उनसे कहा कि हम कलाकार हैं, आपको पैसे तो नहीं दे सकते लेकिन आप चाहें तो आपके लिए पेंटिंग कर सकते हैं. उन्होंने कहा की आप इस श्याम वाटिका की पूरी वॉल पर चित्रकारी कर देंगे, तो आपको आयोजन के लिए यह जगह मिल जाएगी."
सात दिनों में तैयार की थी 9731 स्क्वायर फीट की पेंटिंग
हरि कृष्ण कदम सहित 6 कलाकारों ने मिलकर उस वॉल पर पेंटिंग का प्लान बनाया फिर ख्याल आया थोड़ा रिसर्च किया, तो पता चला कि, उस समय पर ऑस्ट्रेलिया के 60 कलाकारों द्वारा 60 दिन के अंदर दुनिया की सबसे बड़ी पेंटिंग जो करीब 6 हजार स्क्वायर फीट एरिया में बनायी गई दर्ज थी, फिर उस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए और अपना नया रिकॉर्ड स्थापित करने की बात ध्यान में रख कर पेंटिंग शुरू की और 6 कलाकारों ने लगभग 7 दिनों में चित्र तैयार किया जो 9731 वर्ग फुट में बनी थी.
कदम कहते हैं कि, "हमें नहीं पता था कि इस पेंटिंग को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में कैसे दर्ज करायें, तो इसके लिए हमारे एक साथी के बेटे ने इसे हैंडल किया. उन्होंने करीब 8 महीने तक इसके लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारियों से संवाद किया और इसके बाद सारी फॉर्मेलिटी पूरी की गई. इसके बाद हमें एक लेटर प्राप्त हुआ कि आपका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में चयनित हुआ है. इसके बाद हमारे पास इसका सर्टिफिकेट भी आ गया. फिर स्थानीय तौर पर मेयर उस समय के विधायक मंत्रियों ने सभी कलाकारों को सम्मान पत्र भी दिया."
बीमार हुए तो टायफाइड ने खराब कर दी किडनी
हरिकृष्ण कदम बीते 5 सालों से हफ्ते में तीन दिन डायलिसिस पर रहते हैं. कुछ समय पहले उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थी. हालात ये थे कि वह लगभग 1 महीने वेंटिलेटर पर भी रहे. होश आने के बाद भी थोड़ी रिकवरी हुई, लेकिन इलाज काफी महंगा था, क्योंकि ब्लड फिल्टरेशन का काम नहीं कर पा रही थी, ऐसे में डॉक्टरों की सलाह पर उन्होंने डायलिसिस करना शुरू किया है. वे हफ्ते में तीन दिन हॉस्पिटल जाते हैं और वहां डायलिसिस ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराते हैं, क्योंकि इसके बिना उनका जीवित रहना बहुत मुश्किल है. डॉक्टर्स का कहना है कि उनके ऑर्गन्स कभी भी फेल हो सकते हैं. इसलिए डायलिसिस जरूरी है.
जीवन का सहारा बनी पेंटिंग
जिंदगी की जंग लड़ते हरिकृष्ण कदम हताश नहीं हुए उन्होंने पेंटिंग को अपने जीवन का सहारा बनाया. हरिकृष्ण कदम कहते हैं की "पेंटिंग करने से उन्हें आनंद मिलता है. उन्होंने महसूस किया है कि जब से उन्होंने दोबारा पेंटिंग शुरू की है. तब से वे ऊर्जावान महसूस करने लगे हैं. उनका कहना है कि कला आपके जीवन को नई दिशा देती है और यही उमंग उनकी पेंटिंग में भी अब नजर आती है."