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MP News: कौन सुनेगा बुजुर्ग पेंशनर्स का दर्द, दो राज्यों के बीच उलझा MP के 5 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों का महंगाई भत्ता

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Published : Jul 25, 2023, 7:13 AM IST

मध्यप्रदेश में चुनावी वर्ष में राज्य सरकार के कर्मचारियों को जहां 4 फ़ीसदी महंगाई भत्ता मिल गया है. वहीं महंगाई भत्ते का लाभ प्रदेश के 5 लाख पेंशनरों को नहीं मिल पाएगा. दरअसल, इसकी वजह है मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच राज्य पुनर्गठन की धारा 49. इसके तहत दोनों राज्य सरकारों को मिलकर पेंशनर्स की अपने हिस्से की पेंशन देनी होती है. दोनों सरकारों के बीच समन्वय नहीं है.

MP old age pensioners pain
दो राज्यों के बीच उलझा MP के 5 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों का महंगाई भत्ता
दो राज्यों के बीच उलझा MP के 5 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों का महंगाई भत्ता

इंदौर। मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान और गुजरात के पेंशनर्स को नियमित कर्मचारियों के समान ही महंगाई राहत भत्ता मिल रहा है. लेकिन मध्यप्रदेश में पेंशनर्स को यह लाभ नहीं मिल पा रहा है. राज्य पुनर्गठन की धारा 49 के तहत महंगाई राहत भत्ता पर खर्च होने वाली राशि का 76 प्रतिशत मध्यप्रदेश सरकार और 24 प्रतिशत छत्तीसगढ़ सरकार को देना होता है. जिससे मध्यप्रदेश के 5 लाख और छत्तीसगढ़ के एक लाख पेंशनरों को महंगाई राहत भत्ता मिलता है. दोनों राज्यो की सहमति के बाद वृद्धि की जाती है.

धारा 49 का पेच फंसा : राज्य पुनर्गठन के बाद बड़ी संख्या में रिटायर होने के पूर्व ये कर्मचारी छत्तीसगढ़ में भी सेवाएं दे चुके हैं. यही स्थिति मध्यप्रदेश में सेवा के बाद छत्तीसगढ़ में रिटायर होकर पेंशन लेने वालों की है. ऐसी स्थिति में दोनों राज्यों के बीच इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है कि राज्य पुनर्गठन के हिसाब से कर्मचारियों के भविष्य निधि हितों का भी बंटवारा हो जाए. हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार इसके लिए धारा 49 को विलोपित करने के लिए सहमत थी. 2017 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने धारा 49 को खत्म करने की सहमति दी थी, लेकिन मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार तैयार नहीं हुई.

पेंशनर्स को कम महंगाई भत्ता : इस कारण आज भी प्रदेश के पेंशनर दोनों राज्य सरकारों की सहमति पर निर्भर हैं. इस स्थिति के कारण पेंशनर्स आज भी नियमित कर्मचारियों से नौ फीसदी कम 33 प्रतिशत महंगाई राहत भत्ता ही मिल रहा है. मध्यप्रदेश सरकार ने चुनावी साल में नियमित कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 4 प्रतिशत बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन प्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स के महंगाई राहत भत्ते में कोई वृद्धि नहीं हो पाई. इधर महंगाई का सबसे ज्यादा असर पेंशनर्स पर पड़ता है क्योंकि उम्र के इस दौर में उन्हें दवाइयों और स्वास्थ संबंधी जरूरतों के लिए ज्यादा आवश्यकता होती है.

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आम आदमी पार्टी करेगी आंदोलन : आम आदमी पार्टी इस मामले में सरकार को घेरने जा रही है. आप प्रदेश प्रवक्ता हेमंत जोशी ने बताया कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में सामंजस्य और समन्वयन नहीं हो पाने के कारण पेंशनर्स को तकलीफ उठानी पड़ रही है. अब धारा 49 के विलोपन की आड़ में पेंशनरों को गुमराह किया जा रहा है. जबकि अन्य पड़ोसी राज्यों में पेंशनरों को निर्धारित महंगाई भत्ता दिया जा रहा है. लेकिन मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार गरीब पेंशनर्स के हक का महंगाई भत्ता भी हड़पना चाहती है. उन्होंने कहा एक तरफ तो शिवराज सरकार बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा कराने का ढोंग कर रही है, दूसरी तरफ 5 लाख पेंशनरों को उनके हक से ही वंचित किया जा रहा है.

दो राज्यों के बीच उलझा MP के 5 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों का महंगाई भत्ता

इंदौर। मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान और गुजरात के पेंशनर्स को नियमित कर्मचारियों के समान ही महंगाई राहत भत्ता मिल रहा है. लेकिन मध्यप्रदेश में पेंशनर्स को यह लाभ नहीं मिल पा रहा है. राज्य पुनर्गठन की धारा 49 के तहत महंगाई राहत भत्ता पर खर्च होने वाली राशि का 76 प्रतिशत मध्यप्रदेश सरकार और 24 प्रतिशत छत्तीसगढ़ सरकार को देना होता है. जिससे मध्यप्रदेश के 5 लाख और छत्तीसगढ़ के एक लाख पेंशनरों को महंगाई राहत भत्ता मिलता है. दोनों राज्यो की सहमति के बाद वृद्धि की जाती है.

धारा 49 का पेच फंसा : राज्य पुनर्गठन के बाद बड़ी संख्या में रिटायर होने के पूर्व ये कर्मचारी छत्तीसगढ़ में भी सेवाएं दे चुके हैं. यही स्थिति मध्यप्रदेश में सेवा के बाद छत्तीसगढ़ में रिटायर होकर पेंशन लेने वालों की है. ऐसी स्थिति में दोनों राज्यों के बीच इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है कि राज्य पुनर्गठन के हिसाब से कर्मचारियों के भविष्य निधि हितों का भी बंटवारा हो जाए. हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार इसके लिए धारा 49 को विलोपित करने के लिए सहमत थी. 2017 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने धारा 49 को खत्म करने की सहमति दी थी, लेकिन मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार तैयार नहीं हुई.

पेंशनर्स को कम महंगाई भत्ता : इस कारण आज भी प्रदेश के पेंशनर दोनों राज्य सरकारों की सहमति पर निर्भर हैं. इस स्थिति के कारण पेंशनर्स आज भी नियमित कर्मचारियों से नौ फीसदी कम 33 प्रतिशत महंगाई राहत भत्ता ही मिल रहा है. मध्यप्रदेश सरकार ने चुनावी साल में नियमित कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 4 प्रतिशत बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन प्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स के महंगाई राहत भत्ते में कोई वृद्धि नहीं हो पाई. इधर महंगाई का सबसे ज्यादा असर पेंशनर्स पर पड़ता है क्योंकि उम्र के इस दौर में उन्हें दवाइयों और स्वास्थ संबंधी जरूरतों के लिए ज्यादा आवश्यकता होती है.

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