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नए साल पर गूंजी किलकारियांः एमपी में शुभ मुहूर्त पर सिजेरियन डिलीवरी कराने का बढ़ रहा ट्रेंड - birth rate in India

नए साल पर एमपी के कई घरों में नन्हे मेहमान का आगमन हुआ. घर में किलकारी की गूंज से लोग खुश हैं. वहीं बच्चे के भाग्यशाली होने की कामना के चक्कर में लोग शुभ मुहूर्त पर सर्जरी (c section delivery on auspicious time) के जरिए बच्चे के जन्म पर जोर दे रहे हैं. इंदौर में शुभ मुहूर्त और तिथि पर बर्थ का ट्रेंड बढ़ा है.

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नए साल पर नन्हे मेहमान के आने की खुशी
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Published : Jan 1, 2022, 7:16 PM IST

इंदौर/ भोपाल / जबलपुर। नए साल का इंतजार हर किसी को था, लेकिन सबसे ज्यादा उन महिलाओं को जो मां बनने वाली थी. नए साल पर देश में किलकारियां गूंजी. आज की तारीख में चयनित समय और शुभ मुहूर्त पर बच्चों का जन्म कराने का चलन बढ़ने लगा है. एमपी में भी मुहूर्त और नए साल के हिसाब से बच्चों को जन्म देने का ट्रेंड चल रहा है (c section delivery on auspicious time). मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में आलम यह है कि अब अस्पतालों में भी परिजनों की मांग पर न्यू ईयर के समय और मुहूर्त के हिसाब से जन्मतिथि तय किए जाने के बाद डिलीवरी कराई जा रही है.

शिवराज देश के पहले CM जिन्होंने माना MP में आई कोरोना की तीसरी लहर, नीदरलैंड से छिंदवाड़ा आई महिला ओमीक्रोन वेरिएंट से इंफेक्टेड


शुभ मुहूर्त पर बर्थ का ट्रेंड
दुनिया भर में पैदा होने वाले बच्चों का अपना एक अलग भाग्य और भविष्य होता है, लेकिन प्राचीन हिंदू मान्यताओं के अलावा विभिन्न धर्मों के लोगों की समय और तिथियों के हिसाब से तय की जाने वाली मान्यताओं के आधार पर अब बच्चों की जन्म तिथि भी तय की जा रही है. स्थिति यह है कि दिसंबर माह के आखिरी दिनों में कोई भी परिजन अपने बच्चे का जन्म नहीं चाहता, लिहाजा अस्पतालों में या तो 1 जनवरी का इंतजार किया गया या फिर मुहूर्त के हिसाब से बच्चों के जन्म देने की प्रक्रिया निर्धारित की गई. इंदौर के तमाम स्त्री रोग विशेषज्ञों के पास अब ऐसे परिजनों की डिमांड लगातार बढ़ रही है जो शुभ मुहूर्त अथवा तिथियों के हिसाब से उनके बच्चों का जन्म चाहते हैं.

सिजेरियन डिलीवरी कराने का बढ़ रहा ट्रेंड
प्रीमेच्योर डिलीवरी में खतरा (dangers of premature delivery)
इंदौर की चर्चित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आशा बक्शी मानती हैं कि देशभर में मुहूर्त एवं तिथियों के हिसाब से बच्चों को जन्म देने का ट्रेंड बढ़ा है, लेकिन कोई भी डिलीवरी 40 सप्ताह अथवा 34 सप्ताह के पूर्व कराया जाना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि डॉक्टर भी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते. डॉ बक्शी के मुताबिक, हर बच्चे के जन्म का समय और भाग्य निर्धारित है, इसके बावजूद यदि परिजनों की मांग पर एक-दो दिनों का अंतर महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है तो डॉक्टर भी मदद करते हैं. लेकिन सामान्य मामलों में निर्धारित समय पर ही बच्चों की डिलीवरी कराई जाती है.
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भोपाल में 28 बच्चों का जन्म
भोपाल में 28 बच्चों का जन्म

नए साल में भोपाल में 28 बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें से 17 बच्चे सरकारी अस्पताल और 11 बच्चों ने प्राइवेट अस्पतालों में जन्म लिया. भोपाल में 31 दिसम्बर 2021 रात 12:00 बजे से 1 जनवरी 2022 की दोपहर 12:00 बजे तक 28 बच्चो ने जन्म लिया। जिसमें बेटियों की संख्या ज्यादा रही। इधर इनकी माता-पिता भी बेहद खुश हैं.भोपाल में मुख्य रूप से जेपी अस्पताल और सुल्तानिया अस्पताल में ही डिलीवरी होती है, इन दोनों सरकारी अस्पतालों में बच्चों की संख्या 17 रही.


जबलपुर में नए साल पर नन्हे मेहमान के आने की खुशी

नया साल 2022 एक बार फिर सभी लोगों के लिए खुशियां लेकर आया है. जबलपुर के कई घरों में नए साल पर नया मेहमान भी आया है. जबलपुर के रानी दुर्गावती लेडी एल्गिन अस्प्ताल में नए साल में 8 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 4 लड़के और 4 लड़कियां हैं.इन परिवारों की खुशी का ठिकाना नहीं है. कोई अपने नाती के आने पर खुश है तो किसी के घर लक्ष्मी के रूप में बेटी आई है.

जबलपुर में नए साल पर नन्हे मेहमान के आने की खुशी

लगातार बढ़ रहा जन्म दर (birth rate in India)
एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल करीब ₹2 करोड़ 6700000 बच्चे पैदा हो रहे हैं. जिनकी संख्या प्रतिदिन करीब 73000 है, जबकि हर मिनट में करीब 50 से 51 बच्चे जन्म लेते हैं. इन बच्चों में भी जिनके परिजन मुहूर्त एवं दिन के हिसाब से जन्म की मान्यताओं पर यकीन करते हैं उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, जो शिक्षित और संभ्रांत परिवारों के होते हुए भाग्य अथवा पंचांग के हिसाब से बच्चों के सुनहरे भविष्य की कल्पना करते हैं.


2021 में नए साल पर यह था देश और दुनिया का आंकड़ा
2021में दुनिया में 3,71,500 बच्चों ने जन्म लिया था. सबसे ज्यादा करीब 60,000 भारत में जन्मे थे. संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ के अनुसार, 2021में दुनियाभर में 3,71,500 से अधिक बच्चों का जन्म हुआ और इनमें सबसे अधिक करीब 60,000 शिशुओं का जन्म भारत में हुआ था. जबकि 2020 में भारत में नए साल पर 37385 बच्चों ने जन्म लिया था.

इंदौर/ भोपाल / जबलपुर। नए साल का इंतजार हर किसी को था, लेकिन सबसे ज्यादा उन महिलाओं को जो मां बनने वाली थी. नए साल पर देश में किलकारियां गूंजी. आज की तारीख में चयनित समय और शुभ मुहूर्त पर बच्चों का जन्म कराने का चलन बढ़ने लगा है. एमपी में भी मुहूर्त और नए साल के हिसाब से बच्चों को जन्म देने का ट्रेंड चल रहा है (c section delivery on auspicious time). मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में आलम यह है कि अब अस्पतालों में भी परिजनों की मांग पर न्यू ईयर के समय और मुहूर्त के हिसाब से जन्मतिथि तय किए जाने के बाद डिलीवरी कराई जा रही है.

शिवराज देश के पहले CM जिन्होंने माना MP में आई कोरोना की तीसरी लहर, नीदरलैंड से छिंदवाड़ा आई महिला ओमीक्रोन वेरिएंट से इंफेक्टेड


शुभ मुहूर्त पर बर्थ का ट्रेंड
दुनिया भर में पैदा होने वाले बच्चों का अपना एक अलग भाग्य और भविष्य होता है, लेकिन प्राचीन हिंदू मान्यताओं के अलावा विभिन्न धर्मों के लोगों की समय और तिथियों के हिसाब से तय की जाने वाली मान्यताओं के आधार पर अब बच्चों की जन्म तिथि भी तय की जा रही है. स्थिति यह है कि दिसंबर माह के आखिरी दिनों में कोई भी परिजन अपने बच्चे का जन्म नहीं चाहता, लिहाजा अस्पतालों में या तो 1 जनवरी का इंतजार किया गया या फिर मुहूर्त के हिसाब से बच्चों के जन्म देने की प्रक्रिया निर्धारित की गई. इंदौर के तमाम स्त्री रोग विशेषज्ञों के पास अब ऐसे परिजनों की डिमांड लगातार बढ़ रही है जो शुभ मुहूर्त अथवा तिथियों के हिसाब से उनके बच्चों का जन्म चाहते हैं.

सिजेरियन डिलीवरी कराने का बढ़ रहा ट्रेंड
प्रीमेच्योर डिलीवरी में खतरा (dangers of premature delivery)
इंदौर की चर्चित स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आशा बक्शी मानती हैं कि देशभर में मुहूर्त एवं तिथियों के हिसाब से बच्चों को जन्म देने का ट्रेंड बढ़ा है, लेकिन कोई भी डिलीवरी 40 सप्ताह अथवा 34 सप्ताह के पूर्व कराया जाना खतरे से खाली नहीं है क्योंकि डॉक्टर भी प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते. डॉ बक्शी के मुताबिक, हर बच्चे के जन्म का समय और भाग्य निर्धारित है, इसके बावजूद यदि परिजनों की मांग पर एक-दो दिनों का अंतर महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किया जा सकता है तो डॉक्टर भी मदद करते हैं. लेकिन सामान्य मामलों में निर्धारित समय पर ही बच्चों की डिलीवरी कराई जाती है.
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भोपाल में 28 बच्चों का जन्म
भोपाल में 28 बच्चों का जन्म

नए साल में भोपाल में 28 बच्चों ने जन्म लिया, जिसमें से 17 बच्चे सरकारी अस्पताल और 11 बच्चों ने प्राइवेट अस्पतालों में जन्म लिया. भोपाल में 31 दिसम्बर 2021 रात 12:00 बजे से 1 जनवरी 2022 की दोपहर 12:00 बजे तक 28 बच्चो ने जन्म लिया। जिसमें बेटियों की संख्या ज्यादा रही। इधर इनकी माता-पिता भी बेहद खुश हैं.भोपाल में मुख्य रूप से जेपी अस्पताल और सुल्तानिया अस्पताल में ही डिलीवरी होती है, इन दोनों सरकारी अस्पतालों में बच्चों की संख्या 17 रही.


जबलपुर में नए साल पर नन्हे मेहमान के आने की खुशी

नया साल 2022 एक बार फिर सभी लोगों के लिए खुशियां लेकर आया है. जबलपुर के कई घरों में नए साल पर नया मेहमान भी आया है. जबलपुर के रानी दुर्गावती लेडी एल्गिन अस्प्ताल में नए साल में 8 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 4 लड़के और 4 लड़कियां हैं.इन परिवारों की खुशी का ठिकाना नहीं है. कोई अपने नाती के आने पर खुश है तो किसी के घर लक्ष्मी के रूप में बेटी आई है.

जबलपुर में नए साल पर नन्हे मेहमान के आने की खुशी

लगातार बढ़ रहा जन्म दर (birth rate in India)
एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल करीब ₹2 करोड़ 6700000 बच्चे पैदा हो रहे हैं. जिनकी संख्या प्रतिदिन करीब 73000 है, जबकि हर मिनट में करीब 50 से 51 बच्चे जन्म लेते हैं. इन बच्चों में भी जिनके परिजन मुहूर्त एवं दिन के हिसाब से जन्म की मान्यताओं पर यकीन करते हैं उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, जो शिक्षित और संभ्रांत परिवारों के होते हुए भाग्य अथवा पंचांग के हिसाब से बच्चों के सुनहरे भविष्य की कल्पना करते हैं.


2021 में नए साल पर यह था देश और दुनिया का आंकड़ा
2021में दुनिया में 3,71,500 बच्चों ने जन्म लिया था. सबसे ज्यादा करीब 60,000 भारत में जन्मे थे. संयुक्त राष्ट्र की बाल संस्था यूनिसेफ के अनुसार, 2021में दुनियाभर में 3,71,500 से अधिक बच्चों का जन्म हुआ और इनमें सबसे अधिक करीब 60,000 शिशुओं का जन्म भारत में हुआ था. जबकि 2020 में भारत में नए साल पर 37385 बच्चों ने जन्म लिया था.

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