इंदौर। राज्य शासन ने 28 मार्च 2017 को शहर की दुकानों के बाहर लगाए जाने वाले साइन बोर्ड को लेकर गाइडलाइन जारी की थी. इसके तहत सभी बड़े शोरूम संचालकों को अपनी दुकानों पर लगने वाले विज्ञापन संबंधी साइन बोर्ड का पंजीयन कराना जरूरी किया था. इसके तहत प्रदेश के चारों प्रमुख शहरों में से सर्वाधिक पंजीयन इंदौर में हुए थे. जिसके तहत 3 वर्ष के लिए ₹11800 रुपए जमा करके निर्धारित आकार में बोर्ड लगाना तय किया गया था. हालांकि भोपाल ग्वालियर और जबलपुर नगर निगमों ने साइन बोर्ड पर टैक्स की प्रभावी वसूली नहीं की.
व्यापारियों को थमाए नोटिस : हाल ही में इंदौर में नगर निगम ने जब कई व्यापारियों को हजारों की टैक्स वसूली के नोटिस थमा दिए तो व्यापारियों को इस टैक्स वसूली के विरोध में उतरना पड़ा. इसके बाद कई प्रतिष्ठानों से साइन बोर्ड उतार लिए गए थे. हालांकि बाद में इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मामले में मध्यस्थता करते हुए दुकानों पर निर्धारित आकार 3 फीट से कम ऊंचाई के बोर्ड लगाने संबंधी सलाह व्यापारियों को दी थी. जिस पर फिलहाल सहमति बनती नजर आ रही है. हालांकि कांग्रेस ने नगर निगम की टैक्स वसूली को अनुचित मानते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.
साइन बोर्ड और ब्रांड प्रमोशन पर भारी टैक्स : प्रदेश में किसी भी दुकान अथवा व्यवसायिक संस्थान के प्रमोशन के लिए ₹11800 के पंजीयन शुल्क के बाद 3 साल तक 3 फीट से कम ऊंचाई के बोर्ड लगाने की पात्रता है. इसके अलावा ऊंचाई बढ़ाने के साथ टैक्स की दर भी बढ़ेगी. इसके अलावा व्यावसायिक संस्थाओं कंपनियों के ब्रांड की टैक्स की दरें अलग हैं. फिलहाल इंदौर में ढाई सौ से ज्यादा व्यवसाई इस टैक्स के दायरे में हैं, जिनमें कई बड़े ब्रांड हैं. (Tax collection on sign boards) (Dispute tax on sign boards) (Agreed now in sign boards)