जबलपुर: अधिवक्ताओं की प्रदेश स्तरीय हड़ताल और हाईकोर्ट की अवमानना मामले की सुनवाई में कोर्ट ने अधिवक्ताओं को बड़ी राहत दी है. याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष की ओर से बिना शर्त माफी मांगे जाने के बाद कोर्ट ने कार्रवाई समाप्त कर दी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ द्वारा माफी स्वीकार करते हुए याचिका का निराकरण कर दिया गया है.
क्या है अधिवक्ताओं की हड़ताल का मामला?
गौरतलब है कि मार्च 2023 में अधिवक्ता अनिश्चितकालीन प्रदेशव्यापी हड़ताल पर चले गए थे, जिस पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करते हुए अधिवक्ताओं को तत्काल काम पर वापस लौटने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने सर्वाेच्च न्यायालय और हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित आदेश को हवाला देते हुए कहा है कि अधिवक्ता काम पर नहीं लौटते हैं, तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा. आदेश का पालन नहीं करने वालों अधिवक्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें निष्कासित किया जाएगा.
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अधिवक्ताओं को दिए थे अवमानना के नोटिस
हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि आदेश की प्रति के साथ स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर के अध्यक्ष, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश भर के जिला तथा तहसील बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें. याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष राधेलाल गुप्ता की ओर से युगलपीठ को बताया गया कि हाईकोर्ट में लंबित संज्ञान याचिका के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर मामले को वापस ले लिया गया है. इसके बाद अध्यक्ष ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे देखते हुए मामले की सुनवाई कर रही युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया है.