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MP हाईकोर्ट ने फार्मेसी मालिक के खिलाफ रद्द की FIR, गरबा के दौरान किया था ये पोस्ट

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने गरबा के दौरान सोशल मीडिया पोस्ट पर एक केमिस्ट के खिलाफ दर्ज 4 साल पुरानी प्राथमिकी को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि पोस्ट की सामग्री अश्लील नहीं है और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के साथ उचित नहीं बैठती. बता दें कि फार्मेसी मालिक ने गरबा के दौरान सेल्स प्रमोशन के लिए 2010 में मुफ्त कंडोम और प्रेगनेंसी किट की पेशकश की थी.

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Published : Dec 27, 2022, 10:31 AM IST

Updated : Dec 27, 2022, 10:39 AM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एक फार्मेसी मालिक के खिलाफ दर्ज 4 साल पुरानी FIR को रद्द कर दिया है. फार्मेसी मालिक पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पोस्ट में एक जोड़े की गरबा करते तस्वीर के साथ मुफ्त कंडोम और प्रेगनेंसी किट का ऑफर दिया था, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो गई थी. ये मामला 10 अक्टूबर, 2018 का है जब महेंद्र त्रिपाठी नाम के फार्मेसी मालिक के खिलाफ इंदौर के भवरकुआं थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

मामला चलाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग: हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि- "मामले को जारी रखने की अनुमति देने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.

ये था मामला: फार्मेसी मालिक महेंद्र त्रिपाठी 2018 में 38 वर्ष के थे और उन्होंने गरबा की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, "प्री-लवरात्रि वीकेंड ऑफर- कंडोम (3 का पैक) / प्रेगनेंसी किट INR 0 पर". त्रिपाठी ने ये पोस्ट सेल्स प्रमोशन के लिये किया था. इस पोस्ट के बाद एक निवासी ने फार्मेसी मालिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर उनके खिलाफ IPC के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. बाद में त्रिपाठी ने पोस्ट को डिलीट कर दिया और गलती न दोहराने का वादा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माफी मांगी. इसके बाद उन्होंने प्राथमिकी और उसके बाद की कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.

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एडवोकेट आरएस रघुवंशी ने कहा कि त्रिपाठी एक "धार्मिक व्यक्ति" थे और उन्होंने फोटो को "Good Faith" (अच्छी भावना) के साथ पोस्ट किया था. गरबा के दौरान कई कंडोम कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए कई तरह के ऑफर देर ही थीं, ऐसे में त्रिपाठी ने भी इस तरह के पेशकश की थी." वहीं, सरकारी वकील ने यह तर्क देते हुए याचिका का विरोध किया कि पोस्ट से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है.

न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा, "...यह स्पष्ट है कि उस (पोस्ट) की सामग्री अश्लील नहीं है, और इसलिए आईटी अधिनियम की धारा 67 की सामग्री (section 67 of IT Act ingredients) भी पूरी नहीं होती है ... कार्यवाही को रद्द करना आवश्यक है, ताकि न्याय हो सके"

इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एक फार्मेसी मालिक के खिलाफ दर्ज 4 साल पुरानी FIR को रद्द कर दिया है. फार्मेसी मालिक पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पोस्ट में एक जोड़े की गरबा करते तस्वीर के साथ मुफ्त कंडोम और प्रेगनेंसी किट का ऑफर दिया था, जिससे हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हो गई थी. ये मामला 10 अक्टूबर, 2018 का है जब महेंद्र त्रिपाठी नाम के फार्मेसी मालिक के खिलाफ इंदौर के भवरकुआं थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

मामला चलाना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग: हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा कि- "मामले को जारी रखने की अनुमति देने से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.

ये था मामला: फार्मेसी मालिक महेंद्र त्रिपाठी 2018 में 38 वर्ष के थे और उन्होंने गरबा की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, "प्री-लवरात्रि वीकेंड ऑफर- कंडोम (3 का पैक) / प्रेगनेंसी किट INR 0 पर". त्रिपाठी ने ये पोस्ट सेल्स प्रमोशन के लिये किया था. इस पोस्ट के बाद एक निवासी ने फार्मेसी मालिक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर उनके खिलाफ IPC के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. बाद में त्रिपाठी ने पोस्ट को डिलीट कर दिया और गलती न दोहराने का वादा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माफी मांगी. इसके बाद उन्होंने प्राथमिकी और उसके बाद की कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया.

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एडवोकेट आरएस रघुवंशी ने कहा कि त्रिपाठी एक "धार्मिक व्यक्ति" थे और उन्होंने फोटो को "Good Faith" (अच्छी भावना) के साथ पोस्ट किया था. गरबा के दौरान कई कंडोम कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए कई तरह के ऑफर देर ही थीं, ऐसे में त्रिपाठी ने भी इस तरह के पेशकश की थी." वहीं, सरकारी वकील ने यह तर्क देते हुए याचिका का विरोध किया कि पोस्ट से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है.

न्यायमूर्ति सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा, "...यह स्पष्ट है कि उस (पोस्ट) की सामग्री अश्लील नहीं है, और इसलिए आईटी अधिनियम की धारा 67 की सामग्री (section 67 of IT Act ingredients) भी पूरी नहीं होती है ... कार्यवाही को रद्द करना आवश्यक है, ताकि न्याय हो सके"

Last Updated : Dec 27, 2022, 10:39 AM IST
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