इंदौर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व एलएलएम स्टूडेंट लकी आदिवाल की शिकायत पर पुलिस ने 3 दिसंबर को गवर्नमेंट नवीन लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. इनामुर रहमान और प्रोफेसर मिर्जा मोजीज बेग के खिलाफ कथित रूप से विवादास्पद पुस्तक को लेकर केस दर्ज किया था. आदिवाल ने दावा किया था कि पुस्तक में हिंदुओं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां हैं और धार्मिक नफरत को बढ़ावा देती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर को रहमान की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगा दी थी और साथ ही इस मुद्दे पर मध्यप्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया था. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने बुधवार को रहमान को एक लाख रुपये के मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दी.
एससी ने गिरफ्तारी पर लगाया था स्टे : कोर्ट ने बेग (41) को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जो कथित तौर पर कॉलेज में संविधान पढ़ाता है. रहमान लॉ कॉलेज में प्रिंसिपल का प्रशासनिक पद संभाल रहे हैं. कोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रोफेसर होने के नाते बेग छात्रों के मन को भड़काने की स्थिति में हैं और सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने तत्काल अपराध के संबंध में सह आरोपी इनामुर रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी.
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हाईकोर्ट ने की टिप्पणी : कोर्ट ने कहा कि बेग के खिलाफ रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री साक्ष्य के मद्देनजर अग्रिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है. राज्य सरकार के वकील कमल कुमार तिवारी ने अदालत को बताया था हिंदू धर्म के खिलाफ नफरत फैलाने के इरादे से छात्रों को पुस्तकालय में उपलब्ध विवादास्पद पुस्तक को पढ़ने के लिए उकसाया था. तिवारी ने अदालत से यह भी कहा कि अगर प्रोफेसर को जमानत दी जाती है तो वह फरार हो सकता है. हालांकि, बेग के वकील अभिनव धानोडकर ने राज्य सरकार के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया.