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MP Election 2023 : समंदर पटेल के Congress में जाने के बाद BJP का ये कद्दावर नेता भी पाला बदलने की तैयारी में - भंवर सिंह शेखावत भी कांग्रेस की राह पर

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में उपेक्षा से नाराज कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. दावेदारों को लगने लगा है कि 2023 के चुनाव में टिकट मिलना मुश्किल है. शुक्रवार को नीमच की जावद सीट पर दावेदारी कर रहे समंदर पटेल ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है. बदनावर से विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत भी कांग्रेस की राह पर हैं.

MP Election 2023
भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत भी कांग्रेस की राह पर
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Published : Aug 18, 2023, 4:10 PM IST

इंदौर। बीजेपी का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो कमलनाथ की सरकार गिराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके साथ भाजपा में शामिल हुए. सिंधिया के साथ आने वाले कांग्रेसियों के कारण पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के राजनीतिक हित प्रभावित हुए हैं. यही स्थिति कमोबेश सिंधिया समर्थकों के कारण मालवा ही नहीं बल्कि मध्य भारत विंध्य और चंबल अंचल के कई विधानसभा क्षेत्रों को लेकर बनी हुई है. यहां के पुराने भाजपाई और पूर्व विधायक 2023 के चुनाव को लेकर इस उम्मीद में हैं कि उन्हें उनकी परंपरागत सीट से मौका मिलेगा, लेकिन पार्टी ने पहली सूची में जिस तरह से उम्मीदवार तय किए हैं, उसको देखकर कई दावेदार निराश हैं.

बदनावर सीट में फंसेगा पेंच : पहली सूची में जिस तरह सांवेर से चुनाव लड़ने वाले राजेश सोनकर को हटाकर सोनकच्छ भेजा गया है, उससे माना जा रहा है कि बदनावर सीट से सिंधिया समर्थक मंत्री दत्ती गांव को ही टिकट मिलेगा. ऐसी स्थिति में भंवर सिंह शेखावत के लिए भाजपा में कोई मुकाम मिल पाना मुश्किल होगा. यही वजह है कि वे अब कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. शेखावत के तेवरों से इस बात का अंदाजा उसी समय लग गया था, जब उन्होंने कोरोना काल मे सरकार की विफलता के साथ वरिष्ठ कार्यकर्ता और नेताओं की उपेक्षा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को जिम्मेदार ठहरा दिया था.

शेखावत ने अटकलों को खारिज किया : कमलनाथ सरकार के जाने के बाद बनी शिवराज सरकार के बीते 4 सालों में उपेक्षित कार्यकर्ताओं और सिंधिया समर्थकों के पार्टी में शामिल होने से प्रभावित भाजपा नेताओं के बारे में पार्टी कोई सकारात्मक फैसला नहीं ले पाई. हालांकि आज खुद भंवर सिंह शेखावत ने कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा इस तरह की भ्रामक खबरें चलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि ना कांग्रेस ने फिलहाल मुझसे संपर्क किया ना ही मैंने कांग्रेसियों से संपर्क किया. फिलहाल ये खबरें सही नहीं हैं.

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शेखावत को देनी पड़ी थी सफाई : बता दें कि बदनावर सीट से विधायक रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत अपनी सीट से सिंधिया समर्थक राज्यवर्धन दत्तीगांव को टिकट देने की तैयारियों से नाराज हैं. हाल ही में उन्होंने इस बात पर मुखर होकर नाराजगी जताई थी, जिसे लेकर उन्हें बाद में पार्टी को सफाई देनी पड़ी थी. बता दें कि लंबे समय से बीजेपी के भीतर घुटन महसूस कर रही भंवर सिंह शेखावत मौके मौके से पार्टी के भीतर रहकर पार्टी पर ही आंखे तरेरते रहे हैं. उनके सबसे ज्यादा निशाने पर रहे हैं सिंधिया. पिछले दिनों उन्होने सिंधिया को लेकर कहा था कि एमपी में बीजेपी की जो हालत खराब हुई है उसके लिए पूरी तरह से सिंधिया जवाबदार हैं.

इंदौर। बीजेपी का एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो कमलनाथ की सरकार गिराने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत उनके साथ भाजपा में शामिल हुए. सिंधिया के साथ आने वाले कांग्रेसियों के कारण पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के राजनीतिक हित प्रभावित हुए हैं. यही स्थिति कमोबेश सिंधिया समर्थकों के कारण मालवा ही नहीं बल्कि मध्य भारत विंध्य और चंबल अंचल के कई विधानसभा क्षेत्रों को लेकर बनी हुई है. यहां के पुराने भाजपाई और पूर्व विधायक 2023 के चुनाव को लेकर इस उम्मीद में हैं कि उन्हें उनकी परंपरागत सीट से मौका मिलेगा, लेकिन पार्टी ने पहली सूची में जिस तरह से उम्मीदवार तय किए हैं, उसको देखकर कई दावेदार निराश हैं.

बदनावर सीट में फंसेगा पेंच : पहली सूची में जिस तरह सांवेर से चुनाव लड़ने वाले राजेश सोनकर को हटाकर सोनकच्छ भेजा गया है, उससे माना जा रहा है कि बदनावर सीट से सिंधिया समर्थक मंत्री दत्ती गांव को ही टिकट मिलेगा. ऐसी स्थिति में भंवर सिंह शेखावत के लिए भाजपा में कोई मुकाम मिल पाना मुश्किल होगा. यही वजह है कि वे अब कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. शेखावत के तेवरों से इस बात का अंदाजा उसी समय लग गया था, जब उन्होंने कोरोना काल मे सरकार की विफलता के साथ वरिष्ठ कार्यकर्ता और नेताओं की उपेक्षा के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को जिम्मेदार ठहरा दिया था.

शेखावत ने अटकलों को खारिज किया : कमलनाथ सरकार के जाने के बाद बनी शिवराज सरकार के बीते 4 सालों में उपेक्षित कार्यकर्ताओं और सिंधिया समर्थकों के पार्टी में शामिल होने से प्रभावित भाजपा नेताओं के बारे में पार्टी कोई सकारात्मक फैसला नहीं ले पाई. हालांकि आज खुद भंवर सिंह शेखावत ने कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा इस तरह की भ्रामक खबरें चलती रहती हैं. उन्होंने कहा कि ना कांग्रेस ने फिलहाल मुझसे संपर्क किया ना ही मैंने कांग्रेसियों से संपर्क किया. फिलहाल ये खबरें सही नहीं हैं.

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