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मंडियों की खुली नीलामी में लुट रहा अन्नदाता, कैसे हो गुजारा - किसान उपज समर्थन मूल्य

इंदौर की छावनी अनाज मंडी में व्यापारियों द्वारा मनमानी बोली के चलते किसानों को अपनी ही फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है.

mandi
मंडी
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Published : Mar 13, 2021, 9:15 PM IST

Updated : Mar 13, 2021, 9:49 PM IST

इंदौर। केंद्र और राज्यों की सरकारें किसानों की उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने के भले दावे करती हो लेकिन असलियत यह है कि मंडियों में साल भर समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने के कारण अन्नदाता व्यापारी के हाथों लगातार लूटा जा रहा है. इंदौर की मंडियों में आलम यह है कि यहां 19सौ रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर के भाव का गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने के कारण जरूरतमंद किसानों को महज 13सौ क्विंटल के भाव बेचना पड़ रहा है.

भीम सिंह यादव, प्रभारी मंडी
किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम


इंदौर की छावनी अनाज मंडी में इस तरह किसानों की उपज की रोज लगने वाली मनमानी बोली के कारण किसानों को अपनी ही फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. मंडियों में व्यापारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि किसानों को उनके ही मुताबिक अपनी फसलें बाजार मूल्य से भी कम दामों पर बेचकर रुखसत होना पड़ता है. यह बात और है कि मंडी प्रशासन भी किसानों की इस स्थिति को लेकर असहाय है. इधर राज्य सरकार ने फिलहाल 22 मार्च से गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर 1975 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से तय की है, लेकिन इसके पूर्व भी अपनी-अपनी जरूरत के मुताबिक किसान मंडियों में गेहूं बेचने पहुंच रहे हैं. उनकी फसल की नीलामी 13 सौ रुपए से अट्ठारह सौ रुपए तक ही हो पा रही है.

मौसमी सितम पर मरहम की आस, बारिश ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी

ऐसी स्थिति में उन किसानों के साथ धोखा हो रहा है, जिनका गेहूं उन्नत नस्ल और उच्च कोटि का है. किसानों की अच्छी फसल को भी व्यापारियों द्वारा मनमाने दाम पर खरीदा जा रहा है. यह बात और है कि ना तो मंडी प्रशासन ना ही प्रशासन इसे लेकर कुछ कर पाने की स्थिति में है, क्योंकि समर्थन मूल्य पर खरीदी राज्य सरकार के निर्देशों पर तय होने वाले समय के अनुसार ही की जाती है. इसके अलावा समय में जब भी किसानों को अपनी उपज बेचनी होती है. उन्हें मंडी की नीलामी प्रक्रिया में तय होने वाले दाम पर ही अपनी फसल बेचनी होती है. ऐसी स्थिति में किसानों की फसल व्यापारी सस्ते दामों पर खरीद लेते हैं. बाद में उसी फसल को या तो मंडी में बिकवा दिया जाता है या फिर महंगे दामों पर बेच दिया जाता है.

15 मार्च से होगी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी


फिलहाल 15 मार्च से गेहूं के समर्थन मूल्य पर खरीदी होगी. इसके अलावा चना मसूर और सरसों भी इसी दौरान समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी. जिसके लिए इंदौर में आज खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. इसी प्रकार प्रदेश में 4530 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. इस बार राज्य सरकार ने गेहूं पर एमएसपी की दर 1975 रुपए प्रति क्विंटल तय की है. इसके विपरीत मंडियों में गेहूं के अलावा सोयाबीन 2200से 5170 रुपए, गेहूं 1300 से 2062 रुपए, चना 4000 से लेकर 7900 रुपए, चना देसी 4400 से 5450 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा और बेचा जा रहा है. हालांकि राज्य सरकार ने फिलहाल चने का समर्थन मूल्य 5100 रुपए तय किया है.

इंदौर। केंद्र और राज्यों की सरकारें किसानों की उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने के भले दावे करती हो लेकिन असलियत यह है कि मंडियों में साल भर समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने के कारण अन्नदाता व्यापारी के हाथों लगातार लूटा जा रहा है. इंदौर की मंडियों में आलम यह है कि यहां 19सौ रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर के भाव का गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने के कारण जरूरतमंद किसानों को महज 13सौ क्विंटल के भाव बेचना पड़ रहा है.

भीम सिंह यादव, प्रभारी मंडी
किसानों को नहीं मिल रहा उचित दाम


इंदौर की छावनी अनाज मंडी में इस तरह किसानों की उपज की रोज लगने वाली मनमानी बोली के कारण किसानों को अपनी ही फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. मंडियों में व्यापारियों की मनमानी इस कदर हावी है कि किसानों को उनके ही मुताबिक अपनी फसलें बाजार मूल्य से भी कम दामों पर बेचकर रुखसत होना पड़ता है. यह बात और है कि मंडी प्रशासन भी किसानों की इस स्थिति को लेकर असहाय है. इधर राज्य सरकार ने फिलहाल 22 मार्च से गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर 1975 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से तय की है, लेकिन इसके पूर्व भी अपनी-अपनी जरूरत के मुताबिक किसान मंडियों में गेहूं बेचने पहुंच रहे हैं. उनकी फसल की नीलामी 13 सौ रुपए से अट्ठारह सौ रुपए तक ही हो पा रही है.

मौसमी सितम पर मरहम की आस, बारिश ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी

ऐसी स्थिति में उन किसानों के साथ धोखा हो रहा है, जिनका गेहूं उन्नत नस्ल और उच्च कोटि का है. किसानों की अच्छी फसल को भी व्यापारियों द्वारा मनमाने दाम पर खरीदा जा रहा है. यह बात और है कि ना तो मंडी प्रशासन ना ही प्रशासन इसे लेकर कुछ कर पाने की स्थिति में है, क्योंकि समर्थन मूल्य पर खरीदी राज्य सरकार के निर्देशों पर तय होने वाले समय के अनुसार ही की जाती है. इसके अलावा समय में जब भी किसानों को अपनी उपज बेचनी होती है. उन्हें मंडी की नीलामी प्रक्रिया में तय होने वाले दाम पर ही अपनी फसल बेचनी होती है. ऐसी स्थिति में किसानों की फसल व्यापारी सस्ते दामों पर खरीद लेते हैं. बाद में उसी फसल को या तो मंडी में बिकवा दिया जाता है या फिर महंगे दामों पर बेच दिया जाता है.

15 मार्च से होगी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी


फिलहाल 15 मार्च से गेहूं के समर्थन मूल्य पर खरीदी होगी. इसके अलावा चना मसूर और सरसों भी इसी दौरान समर्थन मूल्य पर खरीदी जाएगी. जिसके लिए इंदौर में आज खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. इसी प्रकार प्रदेश में 4530 खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. इस बार राज्य सरकार ने गेहूं पर एमएसपी की दर 1975 रुपए प्रति क्विंटल तय की है. इसके विपरीत मंडियों में गेहूं के अलावा सोयाबीन 2200से 5170 रुपए, गेहूं 1300 से 2062 रुपए, चना 4000 से लेकर 7900 रुपए, चना देसी 4400 से 5450 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा और बेचा जा रहा है. हालांकि राज्य सरकार ने फिलहाल चने का समर्थन मूल्य 5100 रुपए तय किया है.

Last Updated : Mar 13, 2021, 9:49 PM IST
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