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इंदौर टू हैदराबाद: ऐसे बढ़ी राशन घोटाले की अमरबेल

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Published : Jan 21, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Jan 21, 2021, 6:18 PM IST

गरीबों का राशन डकारने वाले राशन माफिया पर शिकंजा कसता जा रहा है. इस घोटोले के तार हैदराबाद तक जुड़े नजर आ रहे हैं. मामले पर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है. कांग्रेस हमलावर है, तो सरकार का कहना है कि माफिया की असली जगह जेल में है.

who is responsible for ghotala
राशन घोटाले का जिम्मेदार कौन?

इंदौर। लॉक डाउन में करीब 51 हजार गरीबों का निवाला डकारने वाले घोटालेबाजों पर कानून का फंदा कसता जा रहा है. सरकारी राशन की 12 दुकानों में करीब 80 लाख के घोटाले का अभी तक पता चलाा है. जानकार मानते हैं कि अगर प्रदेश की सभी राशन की दुकानों को खंगाला जाए तो घोटाला 100 करोड़ के पार भी जा सकता है. राशन माफिया ने गरीब को मिलने वाला अनाज मुनाफाखोरों को चोरी छिपे बेच दिया. घोटाले का तानाबाना जिस तरह से बुना गया है वो किसी संगठित अपराध कथा से कम नहीं हैं. जिसके कुछ खलनायक कानून की गिरफ्त में हैं. लेकिन माफिया की पूरी चेन पर कानून का हथौड़ा पड़ना अभी बाकी है. राशन घोटाले की इस रस्सी का एक सिरा हैदराबाद तक भी जाता है.

how to bring justice
न्याय दिलाना एक चुनौती

हैदराबाद में बिका इंदौर के गरीब का निवाला

लॉकडाउन में गरीबों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने सस्ती दर पर राशन जारी किया था. ये राशन इंदौर में बांटा जाना था. लेकिन आपदा को राशन माफिया ने अपने फायदे के लिए अवसर में बदल दिया. प्लानिंग बनी गरीब का निवाला छीनकर मुनाफाखोरों की जेब गर्म करने की. बिना अफसरों की मिलीभगत के ये होना मुमकिन नहीं था.

घोटाले पर सियासी बयानबाजी तेज

राशन घोटाले पर सियासत भी जोरों से हो रही है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस घोटाले का ठीकरा बीजेपी सरकार पर फोड़ दिया.

"ये माफिया सरकार है"

माफिया की जगह सिर्फ जेल में

लेकिन सरकार का दावा है कि वे घोटालेबाजों बख्शने वाले नहीं हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि शिवराज सरकार में किसी माफिया को बख्शा नहीं जाएगाे .इसलिए इन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक्शन लिया जा रहा है.

माफिया की जगह जेल में

कैसे पनपी भ्रष्टाचार की बेल ?

सरकार राशन की दुकान तक गरीबों के लिए अनाज भेजती. लेकिन उपभोक्ता को तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता. बाकी अनाज को किसी दूसरे गोदाम में शिफ्ट कर दिया जाता. उपभोक्ता के नाम पर फर्जी एट्री लिख दी जाती. इस तरह जब गोदाम में बड़ी मात्रा में अनाज इकट्ठा हो जाता तो उसका फर्जी बिल तैयार किया जाता. यहां पर भी किसी भ्रष्ट अफसर का ईमान बिकने को तैयार होता था . अब चुनौती थी कृषि उपज मंडी से अनाज को बाहर ले जाने की. वहां फर्जी बिलों के आधार पर मंडी शुल्क चुकाया जाता. साथ ही दूसरी जगहों के व्यापारियों को माल बेचने की फर्जी रसीद भी दिखाई जाती. अब बारी थी माल को खपाने की. इसके लिए देश में दूसरी जगहों पर ऐसे व्यापारियों की तलाश की जाती, जो चोरी का माल खरीद लें . गरीबों के निवाले को ये दो नंबरी लोग हैदराबाद के व्यापारियों को बेच देते. जाहिर है भ्रष्टाचार की इस अमरबेल को सींचने में पूरा नेटवर्क लगा हुआ था. इनमें कृषि उपज मंडी के अधिकारी और कर्मचारी तो हैं ही. साथ ही सरकारी विभागों के अफसरों की मिलीभगत होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता.

indore to hyderabad ration scam indore
इंदौर टू हैदराबाद : करप्शन की अमरबेल

भरत दवे ने बनाई करप्शन की चेन!

इस संगठित अपराध कथा का सबसे बड़ा विलेन भरत दवे को बताया जा रहा है. ये प्रदेश की सभी राशन दुकानों के संचालकों के संगठन का अध्यक्ष है . इसलिए राशन की हर दुकान में इसका दखल था. अपने रसूख से इसने कई दुकानदारों को अपने साथ मिला लिया. इस तरह तैयार हो गई एक सामानान्तर सप्लाई चेन. जो तैयार थी गरीब का हक मारने के लिए.

main accused ration mafia
घोटाले का अहम किरदार भरत दवे

गरीब का अनाज कैसे भेजते थे हैदराबाद ?

कोरोना कॉल के दौरान लॉकडाउन में गरीबों के लिए इंदौर को 10 करोड़ से ज्यादा का अनाज जारी हुआ था. लॉकडाउन के दौरान इंदौर शहर सहित पूरे देश में ट्रकों की आवाजाही पर रोक नहीं थी. इसी बात का राशन माफिया ने फायदा उठाया. राशन को ट्रकों के जरिए हैदराबाद भेजा गया और वहां के बाजारे में खपा दिया गया.

फूड कंट्रोलर ने भी खाए पैसे !

अंत्योदय योजना में हर परिवार को 35 किलो राशन मिलता है. लेकिन गरीब परिवारों को सिर्फ 10 किलो राशन ही बांट जाता था . लोगों से कहा जाता कि अभी इतना ही राशन बांटने की इजाजत है. लोग शिकायत करते तो जांच होती, लेकिन दुकानों को क्लीन चिट दे दी जाती. दुकानों को क्लीन चिट देने वाले थे इस अपराध कथा के एक और विलेन फूड कंट्रोलर आरसी मीणा. घोटाले की रकम का एक हिस्सा इन तक भी पहुंचे की बात कही जा रही है. दिखाने के लिए मीणा कुछ दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड कर देते, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें फिर से बहाल कर दिया जाता.

food controller under lence
फूड कंट्रोलर ने भी खाए पैसे !

न्याय दिलाना एक चुनौती

घोटाले की परतें धीरे धीरे खुल रही हैं. लेकिन घोटाले की रकम बरामद करना एक बड़ी चुनौती होगी. इंदौर से हैदराबाद तक करप्शन के जाल को काटने की कोशिश हो रही है. व्यापारियों की लिस्ट तैयार हो रही है, जिन्होंने चोरी का अनाज खरीदा. आरोपी भरत दवे के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं . उसकी संपत्ति को नीलाम करके घोटाले की रकम वसूलने की तैयारी है.

इंदौर। लॉक डाउन में करीब 51 हजार गरीबों का निवाला डकारने वाले घोटालेबाजों पर कानून का फंदा कसता जा रहा है. सरकारी राशन की 12 दुकानों में करीब 80 लाख के घोटाले का अभी तक पता चलाा है. जानकार मानते हैं कि अगर प्रदेश की सभी राशन की दुकानों को खंगाला जाए तो घोटाला 100 करोड़ के पार भी जा सकता है. राशन माफिया ने गरीब को मिलने वाला अनाज मुनाफाखोरों को चोरी छिपे बेच दिया. घोटाले का तानाबाना जिस तरह से बुना गया है वो किसी संगठित अपराध कथा से कम नहीं हैं. जिसके कुछ खलनायक कानून की गिरफ्त में हैं. लेकिन माफिया की पूरी चेन पर कानून का हथौड़ा पड़ना अभी बाकी है. राशन घोटाले की इस रस्सी का एक सिरा हैदराबाद तक भी जाता है.

how to bring justice
न्याय दिलाना एक चुनौती

हैदराबाद में बिका इंदौर के गरीब का निवाला

लॉकडाउन में गरीबों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने सस्ती दर पर राशन जारी किया था. ये राशन इंदौर में बांटा जाना था. लेकिन आपदा को राशन माफिया ने अपने फायदे के लिए अवसर में बदल दिया. प्लानिंग बनी गरीब का निवाला छीनकर मुनाफाखोरों की जेब गर्म करने की. बिना अफसरों की मिलीभगत के ये होना मुमकिन नहीं था.

घोटाले पर सियासी बयानबाजी तेज

राशन घोटाले पर सियासत भी जोरों से हो रही है. पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस घोटाले का ठीकरा बीजेपी सरकार पर फोड़ दिया.

"ये माफिया सरकार है"

माफिया की जगह सिर्फ जेल में

लेकिन सरकार का दावा है कि वे घोटालेबाजों बख्शने वाले नहीं हैं. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि शिवराज सरकार में किसी माफिया को बख्शा नहीं जाएगाे .इसलिए इन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत एक्शन लिया जा रहा है.

माफिया की जगह जेल में

कैसे पनपी भ्रष्टाचार की बेल ?

सरकार राशन की दुकान तक गरीबों के लिए अनाज भेजती. लेकिन उपभोक्ता को तय मात्रा से कम अनाज दिया जाता. बाकी अनाज को किसी दूसरे गोदाम में शिफ्ट कर दिया जाता. उपभोक्ता के नाम पर फर्जी एट्री लिख दी जाती. इस तरह जब गोदाम में बड़ी मात्रा में अनाज इकट्ठा हो जाता तो उसका फर्जी बिल तैयार किया जाता. यहां पर भी किसी भ्रष्ट अफसर का ईमान बिकने को तैयार होता था . अब चुनौती थी कृषि उपज मंडी से अनाज को बाहर ले जाने की. वहां फर्जी बिलों के आधार पर मंडी शुल्क चुकाया जाता. साथ ही दूसरी जगहों के व्यापारियों को माल बेचने की फर्जी रसीद भी दिखाई जाती. अब बारी थी माल को खपाने की. इसके लिए देश में दूसरी जगहों पर ऐसे व्यापारियों की तलाश की जाती, जो चोरी का माल खरीद लें . गरीबों के निवाले को ये दो नंबरी लोग हैदराबाद के व्यापारियों को बेच देते. जाहिर है भ्रष्टाचार की इस अमरबेल को सींचने में पूरा नेटवर्क लगा हुआ था. इनमें कृषि उपज मंडी के अधिकारी और कर्मचारी तो हैं ही. साथ ही सरकारी विभागों के अफसरों की मिलीभगत होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता.

indore to hyderabad ration scam indore
इंदौर टू हैदराबाद : करप्शन की अमरबेल

भरत दवे ने बनाई करप्शन की चेन!

इस संगठित अपराध कथा का सबसे बड़ा विलेन भरत दवे को बताया जा रहा है. ये प्रदेश की सभी राशन दुकानों के संचालकों के संगठन का अध्यक्ष है . इसलिए राशन की हर दुकान में इसका दखल था. अपने रसूख से इसने कई दुकानदारों को अपने साथ मिला लिया. इस तरह तैयार हो गई एक सामानान्तर सप्लाई चेन. जो तैयार थी गरीब का हक मारने के लिए.

main accused ration mafia
घोटाले का अहम किरदार भरत दवे

गरीब का अनाज कैसे भेजते थे हैदराबाद ?

कोरोना कॉल के दौरान लॉकडाउन में गरीबों के लिए इंदौर को 10 करोड़ से ज्यादा का अनाज जारी हुआ था. लॉकडाउन के दौरान इंदौर शहर सहित पूरे देश में ट्रकों की आवाजाही पर रोक नहीं थी. इसी बात का राशन माफिया ने फायदा उठाया. राशन को ट्रकों के जरिए हैदराबाद भेजा गया और वहां के बाजारे में खपा दिया गया.

फूड कंट्रोलर ने भी खाए पैसे !

अंत्योदय योजना में हर परिवार को 35 किलो राशन मिलता है. लेकिन गरीब परिवारों को सिर्फ 10 किलो राशन ही बांट जाता था . लोगों से कहा जाता कि अभी इतना ही राशन बांटने की इजाजत है. लोग शिकायत करते तो जांच होती, लेकिन दुकानों को क्लीन चिट दे दी जाती. दुकानों को क्लीन चिट देने वाले थे इस अपराध कथा के एक और विलेन फूड कंट्रोलर आरसी मीणा. घोटाले की रकम का एक हिस्सा इन तक भी पहुंचे की बात कही जा रही है. दिखाने के लिए मीणा कुछ दुकानों के लाइसेंस सस्पेंड कर देते, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें फिर से बहाल कर दिया जाता.

food controller under lence
फूड कंट्रोलर ने भी खाए पैसे !

न्याय दिलाना एक चुनौती

घोटाले की परतें धीरे धीरे खुल रही हैं. लेकिन घोटाले की रकम बरामद करना एक बड़ी चुनौती होगी. इंदौर से हैदराबाद तक करप्शन के जाल को काटने की कोशिश हो रही है. व्यापारियों की लिस्ट तैयार हो रही है, जिन्होंने चोरी का अनाज खरीदा. आरोपी भरत दवे के ठिकानों पर छापे मारे जा रहे हैं . उसकी संपत्ति को नीलाम करके घोटाले की रकम वसूलने की तैयारी है.

Last Updated : Jan 21, 2021, 6:18 PM IST

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