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पौस्टिक फूड प्रोडक्ट बनाने के लिए अब सोयाबीन की प्राकृतिक खेती पर अनुसंधान, 3 से 6 जनवरी तक होंगे ये आयोजन - मध्यप्रदेश में मध्य क्षेत्र वार्षिक खेल

देश में अब सोयाबीन की फसल पर बड़े स्तर पर अनुसंधान शुरु हो गया है. इंदौर में सोयाबीन केंद्र में खेलकूद के बहाने देश भर से एक्सपर्ट्स जुट रहे हैं. यही नहीं ये एक्सपर्ट कैसे सोयाबीन की 4 वेरायटी से किसानों को मालामाल किया जा सकता है, इसके लिए नए रिसर्च पर मंथन करेंगे.

central region annual sports in mp
मध्यप्रदेश में वार्षिक खेलों का आयोजन कर रहा सोयाबीन केंद्र
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Published : Jan 4, 2023, 1:06 PM IST

इंदौर सोयाबीन अनुसंधान केंद्र

इंदौर। दुनिया भर में फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए तेजी से हो रहे रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग के मद्देनजर अब सोयाबीन जैसी फसलों में भी प्राकृतिक उपज की जरूरत महसूस की जाने लगी है. यही वजह है कि देश में पहली बार सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में प्राकृतिक उपायों से सोयाबीन की फसल की तैयारी की गई है. इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में नई नई फसलों की किस्में तैयार की जाती है. यह पहला मौका है कि जब यहां सोयाबीन की प्राकृतिक उपज पर अनुसंधान हो रहा है.

सोयाबीन की कई वैरायटी तैयार: बीते साल ही भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन की नई विकसित वैरायटी से केटीआई का दुष्प्रभाव हटाने में सफलता प्राप्त की थी. जिससे कि सोयाबीन गंध मुक्त हो सका है. यही वजह है कि अब सोया दूध और सोया से बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थ भी गंध से मुक्त किए जा रहे हैं, क्योंकि सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक होती है, इसलिए सोयाबीन को अब प्राकृतिक रूप से पूरी तरह पोस्टिक उपज बनाने के लिए यह पहल हो रही है.

इसके अलावा सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में सोयाबीन की अन्य चार वैरायटी भी तैयार की गई हैं. इनमें फोलिक एसिड की मात्रा ज्यादा है जोकि सोयाबीन से तेल उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी गई है. भारत में सोयाबीन की फसल 120 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जा रही है, लेकिन इसका प्राकृतिक स्वरूप अभी मौजूद नहीं है. हालांकि किसी दौर में चीन और अमेरिका की एक फसल का भारत में बहुतायत उत्पादन है, जिसकी हाल ही में नई 4 वैरायटी तैयार की गई है जो सोयाबीन के तेल की गुणवत्ता और प्रोटीन के लिहाज से काफी उपयुक्त मानी गई है.

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खेलकूद की मेजबानी: मध्यप्रदेश में पहली बार होने जा रही मध्य क्षेत्र वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता की मेजवानी इस साल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा की जाएगी. 3 से 6 जनवरी तक आयोजित इस खेल प्रतियोगिता में मध्य भारत के कृषि अनुसंधान से संबंधित 15 केंद्रीय संस्थानों के 550 खिलाड़ी अपनी भागीदारी करेंगे. 4 दिवसीय इस प्रतियोगिता का आयोजन देश के सोयाबीन अनुसंधान विशेषज्ञों और कर्मचारियों के बीच आपसी मेलजोल और कार्य दक्षता बढ़ाना है. इस खेल प्रतियोगिता में महिला और पुरुष दोनों अधिकारी कर्मचारी 800 मीटर दौड़ शॉटपुट, लोंगजंप डिस्कस थ्रो साइकिलिंग शतरंज कैरम ज्वेलिनथ्रो आदि खेलेंगे.

इंदौर सोयाबीन अनुसंधान केंद्र

इंदौर। दुनिया भर में फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए तेजी से हो रहे रसायनिक कीटनाशकों के उपयोग के मद्देनजर अब सोयाबीन जैसी फसलों में भी प्राकृतिक उपज की जरूरत महसूस की जाने लगी है. यही वजह है कि देश में पहली बार सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में प्राकृतिक उपायों से सोयाबीन की फसल की तैयारी की गई है. इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में नई नई फसलों की किस्में तैयार की जाती है. यह पहला मौका है कि जब यहां सोयाबीन की प्राकृतिक उपज पर अनुसंधान हो रहा है.

सोयाबीन की कई वैरायटी तैयार: बीते साल ही भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन की नई विकसित वैरायटी से केटीआई का दुष्प्रभाव हटाने में सफलता प्राप्त की थी. जिससे कि सोयाबीन गंध मुक्त हो सका है. यही वजह है कि अब सोया दूध और सोया से बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थ भी गंध से मुक्त किए जा रहे हैं, क्योंकि सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक होती है, इसलिए सोयाबीन को अब प्राकृतिक रूप से पूरी तरह पोस्टिक उपज बनाने के लिए यह पहल हो रही है.

इसके अलावा सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में सोयाबीन की अन्य चार वैरायटी भी तैयार की गई हैं. इनमें फोलिक एसिड की मात्रा ज्यादा है जोकि सोयाबीन से तेल उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी गई है. भारत में सोयाबीन की फसल 120 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जा रही है, लेकिन इसका प्राकृतिक स्वरूप अभी मौजूद नहीं है. हालांकि किसी दौर में चीन और अमेरिका की एक फसल का भारत में बहुतायत उत्पादन है, जिसकी हाल ही में नई 4 वैरायटी तैयार की गई है जो सोयाबीन के तेल की गुणवत्ता और प्रोटीन के लिहाज से काफी उपयुक्त मानी गई है.

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खेलकूद की मेजबानी: मध्यप्रदेश में पहली बार होने जा रही मध्य क्षेत्र वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता की मेजवानी इस साल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा की जाएगी. 3 से 6 जनवरी तक आयोजित इस खेल प्रतियोगिता में मध्य भारत के कृषि अनुसंधान से संबंधित 15 केंद्रीय संस्थानों के 550 खिलाड़ी अपनी भागीदारी करेंगे. 4 दिवसीय इस प्रतियोगिता का आयोजन देश के सोयाबीन अनुसंधान विशेषज्ञों और कर्मचारियों के बीच आपसी मेलजोल और कार्य दक्षता बढ़ाना है. इस खेल प्रतियोगिता में महिला और पुरुष दोनों अधिकारी कर्मचारी 800 मीटर दौड़ शॉटपुट, लोंगजंप डिस्कस थ्रो साइकिलिंग शतरंज कैरम ज्वेलिनथ्रो आदि खेलेंगे.

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