इंदौर। बकाया राशि के लिए पूरा जीवन खपा देने वाले श्रमिकों की आंखों में खुशी की चमक आ गई. हालांकि अपने साथियों के चले जाने का गम भी है. बता दें कि 12 दिसम्बर 1991 को अचानक बंद कर दी गई हुकमचंद मिल के 5885 श्रमिक तब से दर-दर भटक रहे हैं. संघर्ष समिति के अध्यक्ष नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि अब तक 2500 से ज्यादा श्रमिकों की मौत हो चुकी है और 70 श्रमिक ऐसे हैं, जिन्होंने पैसे के अभाव में तंग आकर मौत को गले लगा लिया. आज भी ऐसे कई श्रमिक हैं जो लाइलाज बीमारी या इलाज के पैसे न होने की स्थिति में बिस्तर पर जीवन काटने को मजबूर हैं. Hukamchand Mill workers emotional
सीएम सौंपेंगे श्रमिकों को राशि : उनकी आंखों में वर्षों से बस यही सवाल तैर रहा है कि आखिर कब उनके हक का पैसा मिलेगा? लेकिन आखिरकार वो शुभ घड़ी आ ही गई, जब उनके हक का पैसा उन्हें मिलने जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें पैसा देने की फाइल पर दस्तखत कर दिए. सीएम 26 दिसम्बर को इंदौर आ रहे हैं और संभावना है कि वे इसी दौरान हुकमचंद मिल के श्रमिकों को अपने हाथों से राशि वितरित करेंगे. हाईकोर्ट ने हुकमचंद श्रमिकों के लिए 229 करोड़ रुपए का क्लेम मंजूर किया था, जिसमें से 50 करोड़ रुपए सरकार से श्रमिकों को दिलवाए थे. Hukamchand Mill workers emotional
ALSO READ: |
मिल की जमीन पर आवासीय योजना संभव : इसके अलावा शेष 179 करोड़ में से एमपी हाउसिंग बोर्ड ने 174 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. श्रमिकों ने इसके अलावा सरकार से 88 करोड़ रुपए ब्याज की मांग भी की थी. शिवराज सरकार की आखरी कैबिनेट ने 44 करोड़ रुपए मंजूर किए थे. इस प्रकार श्रमिकों को कुल 223 करोड़ रुपए वितरित होंगे. बोर्ड ने इसके अलावा, विभिन्न बैंकों के बकाया राशि भी मिलाकर कुल 464 करोड़ रुपए दे दिए हैं. बदले में हुकमचंद मिल की कुल 42.5 एकड़ जमीन ले ली है. इस जमीन पर या तो आईटी पार्क या फिर आवासीय योजना लाई जाएगी. Hukamchand Mill workers emotional