इंदौर। हाई कोर्ट ने 3 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने वाले दुष्कर्मी की सजा कम कर दी है. हाई कोर्ट का मानना है कि दुष्कर्मी दयालु था, उसने बच्ची को जिंदा छोड़ दिया. बता दें कि एमआईजी थाना क्षेत्र में कुछ साल पहले 3 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई थी. इस पूरे मामले में आरोपी की ओर से अपनी सजा को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की थी. निचली कोर्ट ने आरोपी को आजीवन सजा के दंड से दंडित किया था, उन्हीं साक्ष्यों को इंदौर हाई कोर्ट ने एक बार फिर देखा, जिसमें पाया गया कि एसएफएल की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया था, यह पुलिस की एक बड़ी लापरवाही थी. लेकिन रिकॉर्ड पर नहीं लेने से यह सिद्ध नहीं हो जाता कि आरोपी दोषी नहीं है, इसके साथ ही डॉक्टर ने भी निचली अदालत में खड़े होकर आरोपी के खिलाफ गवाही दी थी और उसी के आधार पर निचली अदालत ने आरोपी को आजीवन सजा से दण्डित किया था.
हाई कोर्ट ने सात साल की बच्ची से गैंग रेप के आरोपियों फांसी की सजा रखी बरकरार
आरोपी को हाईकोर्ट से राहत: लेकिन पुलिस की पूरे मामले में कई तरह की लापरवाही थी उसी के चलते कोर्ट ने आरोपी की आजीवन सजा को 20 साल की सजा से दंडित कर दिया, साथ ही कोर्ट ने इस दौरान यह भी टिप्पणी की कि आरोपी ने इस पूरे मामले में 3 साल की बच्ची के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया जो गलत था लेकिन उसे जीवित छोड़ दिया यह उसकी दयालुता थी. उसी आधार पर उसकी सजा को कम करते हुए 20 साल की सजा से दंडित किया जाता है. इस मामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठते हैं.
(Indore High Court decision) (20 years jail for rape accused) (Questions raised on Indore police investigation)