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इंदौर बना देश में सबसे ज्यादा मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों का उपयोग करने वाला शहर, जानें खासियत

इंदौर अब देश में सबसे ज्यादा मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों का उपयोग करने वाला शहर बन गया है. अब इंदौर शहर में 23 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों के जरिए सड़कों की सफाई की जाएगी.

Mechanized sweeping machine
मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन
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Published : Sep 23, 2020, 3:25 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 10:43 AM IST

इंदौर। देश में स्वच्छता में चार बार नंबर वन का परचम फहराने के बाद इंदौर शहर एक बार फिर स्वच्छता में नंबर वन बनने की तैयारी कर रहा है. इंदौर अब देश में सबसे ज्यादा मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों का उपयोग करने वाला शहर बन गया है. अब इंदौर में 23 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों से शहर की सड़कों की सफाई की जाएगी.

इंदौर में आए 10 नए मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन

इंदौर नगर निगम द्वारा पांचवी बार स्वच्छता में नंबर वन बनने के लिए इन मशीनों को लाया गया है. जिसकी कीमत डेढ़ करोड़ से लेकर 5 करोड़ तक की है. नगर निगम द्वारा अभी शहर में 13 स्वीपिंग मशीन के माध्यम से सड़कों की सफाई की जाती थी, इस काफिले में 10 और आधुनिक स्वीपिंग मशीनों को शामिल किया गया है, इन्हें मिलाकर अब इंदौर में 23 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों से शहर की सड़कों की सफाई होगी.

mechanized sweeping machine
आधुनिक स्वीपिंग मशीन

देश में सबसे ज्यादा मशीनों से सफाई करने वाला शहर इंदौर

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में यह शर्त भी जोड़ी गई है, कि शहर की प्रमुख सड़कों को भी साफ किया जाए. नगर निगम ने इसी को ध्यान में रखते हुए 10 मशीनें और बुलवा ली हैं. पहले हर दिन 300 किलोमीटर की सड़कें इन मशीनों से साफ की जाती थी, लेकिन अब 700 किलोमीटर सड़कें मशीनों से साफ हो रही है. इन T20 रोड स्वीपिंग मशीनों से अब रोज 700 किलोमीटर की सड़कें साफ कर इंदौर शहर ये काम करने वाला देश का पहला शहर बन गया है.

क्लीनेस्ट रोड का अवार्ड भी जीत चुका है इंदौर

इंदौर को क्लीनेस्ट रोड का अवार्ड भी मिल चुका है. इन मशीनों की खासियत ये है, कि यह महीन धूल के कणों से लेकर मोटी रेत और प्लास्टिक का कचरा भी आसानी से उठा लेती हैं. सफाई करते समय मशीनों से पानी का छिड़काव भी किया जाता है, जिससे कि सड़कों पर धूल नहीं उड़ती. शहर की हर तरह की सड़कों के लिए मशीनें उपलब्ध है. हाइवे और रिंग रोड को साफ करने के लिए ब्राइटसन मशीन है, तो वहीं रावो नाम की छोटी मशीन राजवाड़ा और उसके आसपास की छोटी गलियों को कवर करती हैं.

mechanized sweeping machine
10 नए मैकेनाइज्ड स्वीपिंग

मशीनों की ये हैं खासियत

अपर आयुक्त संदीप सोनी ने बताया कि नई मशीनों की विशेषता ये है कि ये रोड पर बिखरे महीन धूल के कणों से लेकर मोटी रेत के कण, सूखा कीचड़, प्लास्टिक कचरा आदि आसानी से मैकेनिकल तरीके से उठा लेती है. मशीनों में वाटर स्प्रिंकलर लगे हैं, जिनसे सफाई के बाद रोड धुल जाती है. अब शहर की सड़कों की लंबाई बढ़ चुकी है इसलिए नई मशीनें किराए पर ली जा रही हैं. इनसे सफाई की गुणवत्ता बढ़ेगी, जिन सड़कों की सफाई एक या दो दिन के बाद होती थी, वहां रोज सफाई हो सकेगी. बायपास समेत वे प्रमुख सड़कें जो अब तक मैकेनाइज्ड स्वीपिंग के दायरे में नहीं थीं, वहां भी अब यह काम हो सकेगा.

mechanized sweeping machine
मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन

निगम फुटपाथ, डिवाइडर और चौराहों की सफाई के लिए 10 नई हाई प्रेशर जेट मशीनें ले रहा है. जिसमें तीन मशीनें छोटे आकार की हैं, जिनसे छोटी सड़कों या गलियों की सफाई होगी. ये सब काम रात में किए जाएंगे. सोनी ने बताया कि मशीनों से सड़कों की सफाई तो दूसरे शहरों में भी होती है, लेकिन 23 मशीनों का उपयोग देश के किसी शहर में नहीं होता.

अधिक मशीनों के उपयोग से बढ़ेगी बेरोजगारी

नगर निगम की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, ऐसे में नई मशीनरी में हर माह दो करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी, जो निगम की वित्तीय स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर सकती है, वहीं इन मशीनों के आने के बाद कई ऐसे लोग है जिनका घर निगम सफाई का काम करके चलता था, वो अब बेरोजगार हो जाएंगे. जिससे शहर में बेरोजगारों की संख्या और बढ़ जाएगी, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के नियमों में शहर को मैकनाइज्ड मशीनों से साफ करने की बात भी कही गई है. वहीं स्वच्छता में एक बार फिर नंबर वन बनने के लिए निगम को ये प्रयास करना आवश्यक लगता है.

इंदौर। देश में स्वच्छता में चार बार नंबर वन का परचम फहराने के बाद इंदौर शहर एक बार फिर स्वच्छता में नंबर वन बनने की तैयारी कर रहा है. इंदौर अब देश में सबसे ज्यादा मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों का उपयोग करने वाला शहर बन गया है. अब इंदौर में 23 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों से शहर की सड़कों की सफाई की जाएगी.

इंदौर में आए 10 नए मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन

इंदौर नगर निगम द्वारा पांचवी बार स्वच्छता में नंबर वन बनने के लिए इन मशीनों को लाया गया है. जिसकी कीमत डेढ़ करोड़ से लेकर 5 करोड़ तक की है. नगर निगम द्वारा अभी शहर में 13 स्वीपिंग मशीन के माध्यम से सड़कों की सफाई की जाती थी, इस काफिले में 10 और आधुनिक स्वीपिंग मशीनों को शामिल किया गया है, इन्हें मिलाकर अब इंदौर में 23 मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों से शहर की सड़कों की सफाई होगी.

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आधुनिक स्वीपिंग मशीन

देश में सबसे ज्यादा मशीनों से सफाई करने वाला शहर इंदौर

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में यह शर्त भी जोड़ी गई है, कि शहर की प्रमुख सड़कों को भी साफ किया जाए. नगर निगम ने इसी को ध्यान में रखते हुए 10 मशीनें और बुलवा ली हैं. पहले हर दिन 300 किलोमीटर की सड़कें इन मशीनों से साफ की जाती थी, लेकिन अब 700 किलोमीटर सड़कें मशीनों से साफ हो रही है. इन T20 रोड स्वीपिंग मशीनों से अब रोज 700 किलोमीटर की सड़कें साफ कर इंदौर शहर ये काम करने वाला देश का पहला शहर बन गया है.

क्लीनेस्ट रोड का अवार्ड भी जीत चुका है इंदौर

इंदौर को क्लीनेस्ट रोड का अवार्ड भी मिल चुका है. इन मशीनों की खासियत ये है, कि यह महीन धूल के कणों से लेकर मोटी रेत और प्लास्टिक का कचरा भी आसानी से उठा लेती हैं. सफाई करते समय मशीनों से पानी का छिड़काव भी किया जाता है, जिससे कि सड़कों पर धूल नहीं उड़ती. शहर की हर तरह की सड़कों के लिए मशीनें उपलब्ध है. हाइवे और रिंग रोड को साफ करने के लिए ब्राइटसन मशीन है, तो वहीं रावो नाम की छोटी मशीन राजवाड़ा और उसके आसपास की छोटी गलियों को कवर करती हैं.

mechanized sweeping machine
10 नए मैकेनाइज्ड स्वीपिंग

मशीनों की ये हैं खासियत

अपर आयुक्त संदीप सोनी ने बताया कि नई मशीनों की विशेषता ये है कि ये रोड पर बिखरे महीन धूल के कणों से लेकर मोटी रेत के कण, सूखा कीचड़, प्लास्टिक कचरा आदि आसानी से मैकेनिकल तरीके से उठा लेती है. मशीनों में वाटर स्प्रिंकलर लगे हैं, जिनसे सफाई के बाद रोड धुल जाती है. अब शहर की सड़कों की लंबाई बढ़ चुकी है इसलिए नई मशीनें किराए पर ली जा रही हैं. इनसे सफाई की गुणवत्ता बढ़ेगी, जिन सड़कों की सफाई एक या दो दिन के बाद होती थी, वहां रोज सफाई हो सकेगी. बायपास समेत वे प्रमुख सड़कें जो अब तक मैकेनाइज्ड स्वीपिंग के दायरे में नहीं थीं, वहां भी अब यह काम हो सकेगा.

mechanized sweeping machine
मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीन

निगम फुटपाथ, डिवाइडर और चौराहों की सफाई के लिए 10 नई हाई प्रेशर जेट मशीनें ले रहा है. जिसमें तीन मशीनें छोटे आकार की हैं, जिनसे छोटी सड़कों या गलियों की सफाई होगी. ये सब काम रात में किए जाएंगे. सोनी ने बताया कि मशीनों से सड़कों की सफाई तो दूसरे शहरों में भी होती है, लेकिन 23 मशीनों का उपयोग देश के किसी शहर में नहीं होता.

अधिक मशीनों के उपयोग से बढ़ेगी बेरोजगारी

नगर निगम की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, ऐसे में नई मशीनरी में हर माह दो करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी, जो निगम की वित्तीय स्थिति को और भी ज्यादा खराब कर सकती है, वहीं इन मशीनों के आने के बाद कई ऐसे लोग है जिनका घर निगम सफाई का काम करके चलता था, वो अब बेरोजगार हो जाएंगे. जिससे शहर में बेरोजगारों की संख्या और बढ़ जाएगी, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के नियमों में शहर को मैकनाइज्ड मशीनों से साफ करने की बात भी कही गई है. वहीं स्वच्छता में एक बार फिर नंबर वन बनने के लिए निगम को ये प्रयास करना आवश्यक लगता है.

Last Updated : Sep 24, 2020, 10:43 AM IST
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