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अंग्रेजों के जमाने की 'छोटी रेल' का सफर खत्म, महू से खंडवा तक दौड़ती थी ट्रेन

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Published : Feb 1, 2023, 10:58 AM IST

इंदौर से ओंकारेश्वर, महु तक चलने वाली छोटी ट्रेन के पहिए हमेशा के लिए थम गए. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस रेल को ब्रॉडगेज में बदलने की सुविधा के लिए अनिश्चित काल के लिए ट्रेन की आवाजाही रोक दी. यह ट्रेन अंग्रेजों के जमाने यानि 1 दिसंबर, 1874 से पटरी पर दौड़ रही थी.

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इंदौर। पश्चिमी मध्य प्रदेश में रेलवे की विरासत से जुड़ी छोटी ट्रेन अब दिखाई नहीं देगी. एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि ''पश्चिमी मध्य प्रदेश में हेरिटेज रेलवे से जुड़ी 150 साल पुरानी गेज रेल लाइन पर आखिरी ट्रेन को मंगलवार को हरी झंडी दिखाई गई. क्योंकि अधिकारियों ने इसे ब्रॉडगेज में बदलने की सुविधा के लिए अनिश्चित काल के लिए ट्रेन की आवाजाही रोक दी''.

लोग बोले-ट्रेन की अंतिम यात्रा को देखना दुखद: प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ओंकारेश्वर रोड स्टेशन से अंतिम यात्रा शुरू होने से पहले यात्रियों ने ट्रेन के लोको पायलट दौलतराम मीणा और उनके सहयोगियों को माला पहनाई. यह सेवा ओंकारेश्वर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक या सबसे प्रतिष्ठित शिवलिंगों को डॉ. बीआर अम्बेडकर के जन्मस्थान महू से जोड़ती है. इंदौर से करीब 70 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर रोड स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने वाले मोहम्मद शाहिद ने पीटीआई-भाषा से कहा, इस ट्रेन की अंतिम यात्रा को देखना दुखद है. यह ट्रेन महू (डॉ अम्बेडकर नगर) और इंदौर के बीच आने-जाने का हमारा आसान और सुविधाजनक साधन थी, अब बस से सफर करना पड़ेगा.

खामोश छुक-छुक! मायूस चेहरे-व्यापार प्रभावित, गांव-गांव यात्री लेने जाती थी नैरोगेज ट्रेन

क्यों किया गया रेल लाइन को बंद: पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया कि "महू से खंडवा के बीच 90 किलोमीटर लंबी लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के चलते लाइन को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है''. उन्होंने कहा कि इस लाइन पर चलाई जा रही महू-ओंकारेश्वर रोड-महू पैसेंजर ट्रेन सेवा को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है. महू और खंडवा के बीच मीटर गेज के पातालपानी-कालाकुंड खंड को हेरिटेज ट्रैक घोषित किए जाने के बाद रेलवे ने 25 दिसंबर, 2018 से महू-कालाकुंड-महू हेरिटेज ट्रेन शुरू की थी.

1 दिसंबर 1874 से शुरू हुई थी रेल लाइन: रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ''तत्कालीन होल्कर शासकों ने इंदौर को खंडवा से जोड़ने के लिए 1870 में अंग्रेजों को 101 साल के लिए एक करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. इस लाइन का खंडवा-सनावद खंड पूरा हो गया और 1 दिसंबर, 1874 से ट्रेनें शुरू की गईं''. अधिकारियों ने कहा कि इस लाइन का इस्तेमाल उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए किया जाता था और इस पर जयपुर-पूर्णा मीनाक्षी एक्सप्रेस, अजमेर-खंडवा एक्सप्रेस और जयपुर-काचीगुड़ा मेल जैसी प्रमुख यात्री ट्रेनें चलाई जा रही थीं.

इंदौर। पश्चिमी मध्य प्रदेश में रेलवे की विरासत से जुड़ी छोटी ट्रेन अब दिखाई नहीं देगी. एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि ''पश्चिमी मध्य प्रदेश में हेरिटेज रेलवे से जुड़ी 150 साल पुरानी गेज रेल लाइन पर आखिरी ट्रेन को मंगलवार को हरी झंडी दिखाई गई. क्योंकि अधिकारियों ने इसे ब्रॉडगेज में बदलने की सुविधा के लिए अनिश्चित काल के लिए ट्रेन की आवाजाही रोक दी''.

लोग बोले-ट्रेन की अंतिम यात्रा को देखना दुखद: प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि ओंकारेश्वर रोड स्टेशन से अंतिम यात्रा शुरू होने से पहले यात्रियों ने ट्रेन के लोको पायलट दौलतराम मीणा और उनके सहयोगियों को माला पहनाई. यह सेवा ओंकारेश्वर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक या सबसे प्रतिष्ठित शिवलिंगों को डॉ. बीआर अम्बेडकर के जन्मस्थान महू से जोड़ती है. इंदौर से करीब 70 किलोमीटर दूर ओंकारेश्वर रोड स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने वाले मोहम्मद शाहिद ने पीटीआई-भाषा से कहा, इस ट्रेन की अंतिम यात्रा को देखना दुखद है. यह ट्रेन महू (डॉ अम्बेडकर नगर) और इंदौर के बीच आने-जाने का हमारा आसान और सुविधाजनक साधन थी, अब बस से सफर करना पड़ेगा.

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क्यों किया गया रेल लाइन को बंद: पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल के जनसंपर्क अधिकारी खेमराज मीणा ने बताया कि "महू से खंडवा के बीच 90 किलोमीटर लंबी लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने के चलते लाइन को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है''. उन्होंने कहा कि इस लाइन पर चलाई जा रही महू-ओंकारेश्वर रोड-महू पैसेंजर ट्रेन सेवा को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है. महू और खंडवा के बीच मीटर गेज के पातालपानी-कालाकुंड खंड को हेरिटेज ट्रैक घोषित किए जाने के बाद रेलवे ने 25 दिसंबर, 2018 से महू-कालाकुंड-महू हेरिटेज ट्रेन शुरू की थी.

1 दिसंबर 1874 से शुरू हुई थी रेल लाइन: रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ''तत्कालीन होल्कर शासकों ने इंदौर को खंडवा से जोड़ने के लिए 1870 में अंग्रेजों को 101 साल के लिए एक करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. इस लाइन का खंडवा-सनावद खंड पूरा हो गया और 1 दिसंबर, 1874 से ट्रेनें शुरू की गईं''. अधिकारियों ने कहा कि इस लाइन का इस्तेमाल उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने के लिए किया जाता था और इस पर जयपुर-पूर्णा मीनाक्षी एक्सप्रेस, अजमेर-खंडवा एक्सप्रेस और जयपुर-काचीगुड़ा मेल जैसी प्रमुख यात्री ट्रेनें चलाई जा रही थीं.

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