इंदौर। शहर में होल्कर कालीन होलिका दहन की तीन सौ साल पुरानी परंपरा को आज भी बखूभी निभाया जा रहा है. शहर का हृदय स्थल कहे जाने वाले इंदौर के राजवाड़ा पर होल्कर शासन काल से होलिका दहन की परम्परा है.
होल्कर साम्राज्य के वंशज होली के त्यौहार के अवसर पर हर साल होलिका दहन करने के लिए आते है. मां अहिल्या के समय से जारी इस रीत को उनके वंशज आज भी निभा रहे हैं. हर साल की तरह इस साल भी शाम 7 बजे राजवाड़ा पर सरकारी होली का दहन उनके वंशजों ने पूरे रीति रिवाज के साथ किया. होलिका दहन की परम्परा को पर्यावरण हित में ध्यान रखते हुए बदलाव किया और लकड़ी के बजाए गोबर से बने उपलों से होलिका दहन हुआ.
इस अवसर पर महिलाओं ने होलिका की पूजा की. होलकर राजवंश के शासकों ने इस परंपरा की शुरुआत की थी, जिसमे राजा अपनी प्रजा के साथ होलिका दहन करते थे. इसी परम्परा को लगातार वर्ष दर वर्ष इंदौर की जनता निभाती आ रही हैं.