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अपनों से सिर्फ डीएनए टेस्ट की दूरी पर मूक-बधिर गीता

गीता के पाकिस्तान से वतन वापसी के बाद अब गीता को उसका परिवार मिल गया है. बस सिर्फ डीएनए टेस्ट भर की दूरी बची है.

Geeta, who was estranged for years, can get a lost family through a DNA test
बरसों से बिछड़ी गीता को एक डीएनए टेस्ट से मिल सकता है खोया परिवार
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Published : Mar 12, 2021, 8:39 PM IST

इंदौर/औरंगाबाद। दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के चलते पाकिस्तान से आई मूक-बधिर गीता को उसकी मां मिल गई है. हालांकि अब भी दोनों के रिश्तों की पुष्टि होने में डीएनए टेस्ट की दूरी रह गई है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो लंबे समय से चली आ रही गीता के परिवार की तलाश पूरी हो सकती है. गीता को लगभग 5 साल पहले 26 अक्टूबर 2015 को सुषमा स्वराज की पहल पर पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था. वह पांच साल तक इंदौर में रही. कुछ समय तक मूक-बधिर संगठन में अस्थायी आश्रय मिला, फिर 20 जुलाई 2020 से गीता आनंद सर्विस सोसायटी के साथ थी. मूल रूप से गीता कहां की थी और उसके मां-बाप कौन हैं, इसके लिए आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका ने लगातार खोज जारी रखी और आखिरकार वे यह जानने में सफल रहे कि गीता महाराष्ट्र के परभणी से लापता हुई थी. उसी के आधार पर गीता को जनवरी माह में महाराष्ट्र ले जाया गया था. अब औरंगाबाद के वाजुल की मीना पांद्रे ने दावा किया है कि गीता उनकी बेटी है. उन्होंने गीता के पेट पर जलने का निशान होने की पहचान भी बताई, जो सच है.

  • डीएनए टेस्ट के बाद मिल सकता है खोया परिवार

मोनिका पुरोहित ने कहा कि, "बेटी को किस अंग में क्या चोट लगी है, इसे सबसे पहले मां ही जानती है. मीना ने गीता के शरीर पर जलने के जिस स्थान के बारे में बताया है, वह सही है. अब मां और बेटी के रिश्ते की पुष्टि होने के लिए केवल डीएनए टेस्ट होना ही बाकी है." ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित ने कहा कि गीता ने उन्हें बताया था कि वह जिस जगह पर रहती थी, वहां के रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखा होता था. साथ ही उसके घर के पास गन्ने और मूंगफली की खेती भी होती थी. इस बात से यह पुष्टि हुई थी कि गीता महाराष्ट्र की रहने वाली है. साथ ही गीता ने यह भी बताया था कि वह एक ऐसी ट्रेन में बैठी थी, जिसका एक जगह इंजन बदला जाता है और दूसरी जगह पहुंचने के बाद जब उसने ट्रेन बदली तो वह पाकिस्तान पहुंच गई थी.

महाराष्ट्र के एक दंपति ने गीता को बताया अपनी बेटी, DNA टेस्ट के बाद होगा फैसला

  • गीता की बताई गई बातों की तहकीकात से मिला सिरा

मोनिका पुरोहित बताती हैं कि, "उन्होंने इस आधार पर तहकीकात की तो पता चला कि सचखंड एक्सप्रेस नांदेड़ से अमृतसर जाती है और परभणी पर उस समय आती है जो समय गीता ने बताया था. इतना ही नहीं लगभग डेढ़ घंटे बाद अन्य स्टेशन पर गाड़ी का इंजन भी बदला जाता है. इसके अलावा गीता ने रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे होने की बात कही थी. उसे भाषा ज्ञान बेहतर नहीं है इसलिए संभावना इस बात की बन रही थी कि मराठी को ही वह हिंदी समझी थी. इसके साथ ही उस इलाके में मूंगफली और गन्ने की खेती होती है. गीता ने संबंधित गाड़ी के दूसरे स्थान पर पहुंचने से दूसरी गाड़ी की बात का पता किया गया तो, सचखंड एक्सप्रेस जिस समय अमृतसर पहुंचती है, उसके बाद वहां से समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान को जाती थी. लिहाजा सारी चीजें एक-दूसरे से मेल खा रही थीं."

पिछले दिनों मीना ने गीता के अपनी बेटी होने का दावा किया था. उसी के आधार पर गीता को मूक बधिरों की संस्था पहल फाउंडेशन को सौंपा गया था. अभी गीता वहीं है. वहीं गीता के पिता का निधन होने के कारण उसकी मां मीना ने दूसरी शादी कर ली थी.

इंदौर/औरंगाबाद। दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के चलते पाकिस्तान से आई मूक-बधिर गीता को उसकी मां मिल गई है. हालांकि अब भी दोनों के रिश्तों की पुष्टि होने में डीएनए टेस्ट की दूरी रह गई है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो लंबे समय से चली आ रही गीता के परिवार की तलाश पूरी हो सकती है. गीता को लगभग 5 साल पहले 26 अक्टूबर 2015 को सुषमा स्वराज की पहल पर पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था. वह पांच साल तक इंदौर में रही. कुछ समय तक मूक-बधिर संगठन में अस्थायी आश्रय मिला, फिर 20 जुलाई 2020 से गीता आनंद सर्विस सोसायटी के साथ थी. मूल रूप से गीता कहां की थी और उसके मां-बाप कौन हैं, इसके लिए आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका ने लगातार खोज जारी रखी और आखिरकार वे यह जानने में सफल रहे कि गीता महाराष्ट्र के परभणी से लापता हुई थी. उसी के आधार पर गीता को जनवरी माह में महाराष्ट्र ले जाया गया था. अब औरंगाबाद के वाजुल की मीना पांद्रे ने दावा किया है कि गीता उनकी बेटी है. उन्होंने गीता के पेट पर जलने का निशान होने की पहचान भी बताई, जो सच है.

  • डीएनए टेस्ट के बाद मिल सकता है खोया परिवार

मोनिका पुरोहित ने कहा कि, "बेटी को किस अंग में क्या चोट लगी है, इसे सबसे पहले मां ही जानती है. मीना ने गीता के शरीर पर जलने के जिस स्थान के बारे में बताया है, वह सही है. अब मां और बेटी के रिश्ते की पुष्टि होने के लिए केवल डीएनए टेस्ट होना ही बाकी है." ज्ञानेंद्र और मोनिका पुरोहित ने कहा कि गीता ने उन्हें बताया था कि वह जिस जगह पर रहती थी, वहां के रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखा होता था. साथ ही उसके घर के पास गन्ने और मूंगफली की खेती भी होती थी. इस बात से यह पुष्टि हुई थी कि गीता महाराष्ट्र की रहने वाली है. साथ ही गीता ने यह भी बताया था कि वह एक ऐसी ट्रेन में बैठी थी, जिसका एक जगह इंजन बदला जाता है और दूसरी जगह पहुंचने के बाद जब उसने ट्रेन बदली तो वह पाकिस्तान पहुंच गई थी.

महाराष्ट्र के एक दंपति ने गीता को बताया अपनी बेटी, DNA टेस्ट के बाद होगा फैसला

  • गीता की बताई गई बातों की तहकीकात से मिला सिरा

मोनिका पुरोहित बताती हैं कि, "उन्होंने इस आधार पर तहकीकात की तो पता चला कि सचखंड एक्सप्रेस नांदेड़ से अमृतसर जाती है और परभणी पर उस समय आती है जो समय गीता ने बताया था. इतना ही नहीं लगभग डेढ़ घंटे बाद अन्य स्टेशन पर गाड़ी का इंजन भी बदला जाता है. इसके अलावा गीता ने रेलवे स्टेशन पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे होने की बात कही थी. उसे भाषा ज्ञान बेहतर नहीं है इसलिए संभावना इस बात की बन रही थी कि मराठी को ही वह हिंदी समझी थी. इसके साथ ही उस इलाके में मूंगफली और गन्ने की खेती होती है. गीता ने संबंधित गाड़ी के दूसरे स्थान पर पहुंचने से दूसरी गाड़ी की बात का पता किया गया तो, सचखंड एक्सप्रेस जिस समय अमृतसर पहुंचती है, उसके बाद वहां से समझौता एक्सप्रेस पाकिस्तान को जाती थी. लिहाजा सारी चीजें एक-दूसरे से मेल खा रही थीं."

पिछले दिनों मीना ने गीता के अपनी बेटी होने का दावा किया था. उसी के आधार पर गीता को मूक बधिरों की संस्था पहल फाउंडेशन को सौंपा गया था. अभी गीता वहीं है. वहीं गीता के पिता का निधन होने के कारण उसकी मां मीना ने दूसरी शादी कर ली थी.

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