इंदौर। मिलावटखोरों के खिलाफ शहर में विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से लगातार छापेमारी की कार्रवाई जारी है. वहीं, कई के खिलाफ तो प्रशासन ने रासुका जैसी कार्रवाई को भी अंजाम दिया है, लेकिन उसके बाद भी विभिन्न चीजों में मिलावटखोरी जारी है. वहीं, प्रशासन का दावा है कि सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन उसके बाद भी शहर में मिलावटखोरों की संख्या में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है.
दरअसल, मिलावटखोरों के खिलाफ विभिन्न सरकारी विभाग लामबंद है. किसी भी विभाग को यदि मिलावट खोरी या नकली सामान बेचने की सूचना मिलती है, तो तत्काल प्रभाव से विभिन्न विभाग अन्य विभागों के माध्यम से संबंधित मिलावटखोरों पर छापामार कार्रवाई को अंजाम देते हैं.
वहीं, कार्रवाई के दौरान जहां खाद्य विभाग विभिन्न तरह के खाद्य सामग्री का सैंपल लेता है. तो वहीं अन्य विभाग जिसमें पुलिस के साथ ही नगर निगम भी शामिल रहता है. वहां पर मौजूद विभिन्न तरह के व्यवस्थाओं को देखते हुए विभिन्न तरह की कार्रवाई को अंजाम देता है. पुलिस मिलावटखोरों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर उस पर कानूनी कार्रवाई करती है, तो इंदौर नगर निगम वहां की व्यवस्थाओं को देख कर उस पर चालानी कार्रवाई सहित अन्य करवाईयों को अंजाम देती है और यह कार्रवाई पिछले काफी दिनों से विभिन्न विभागों के द्वारा लगातार चलाई जा रही है.
एसटीएफ ने दो बड़ी करवाईयों को दिया अंजाम
शहर में एसटीएफ के द्वारा पिछले कुछ दिनों में दो बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. इसमें एक हींग कारोबारी है, जिस पर एसटीएफ की टीम ने कार्रवाई की और बड़ी मात्रा में वहां से नकली हींग को जब्त किया. और वहीं नकली हींग बनाने वाले कारोबारी पर रासुका के तहत कार्रवाई हुई इसी तरह से एसटीएफ ने पेंट बनाने वाले के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई को पिछले दिनों अंजाम दिया और उसके वहां से नकली पेंट बनाने की विभिन्न तरह की सामग्री को जब्त किया. इसके साथ ही बनाने और बेचने वालों पर भी कार्रवाई एसटीएफ के द्वारा की गई.
क्राइम ब्रांच ने दिया कार्रवाई को अंजाम
वहीं, इंदौर क्राइम ब्रांच ने भी समय-समय पर मिलावटखोरों पर कार्रवाई की है. क्राइम ब्रांच की बात की जाए तो टीम ने पिछले काफी दिनों से कई मिलावटखोरों के ऊपर कार्रवाई की. इसके अलावा पिछले दिनों नकली खाद्य सामग्री बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जिसमें बड़ी मात्रा में नेस्ले कॉफी, मैग्गी, एवरेस्ट, गोदरेज जैसे ब्रांड का नाम लेकर नकली प्रोडक्ट को बाजार में बेचा था. टीम ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया.
ऐसे दिया जाता है कार्रवाई को अंजाम
वहीं, अपर कलेक्टर का कहना है कि मिलावटी पदार्थों की सूचना देने वाला व्यक्ति कोई भी व्यक्ति हो सकता है. अधिकतर सूचना कंपनी से जुड़े हुए या व्यापार से जुड़े हुए लोगों के द्वारा ही दी जाती है, तो कई बार आम आदमी भी सूचना दे देते हैं, जिसके बाद खाद्य विभाग की टीमें गठित कर संबंधित व्यक्ति के यहां छापामार कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि मौके पर जाते ही विभिन्न तरह की अनियमितताएं देखी जाती हैं. यदि वहां पर गंदगी में किसी प्रोडक्ट को तैयार किया जाता है, तो उस पर उन धाराओं में मामला दर्ज किया जाता है. इसी के साथ यह भी देखा जाता है कि जिस भी प्रोडक्ट को बनाया जा रहा है. उसकी क्वालिटी क्या है. वहीं, नाम के साथ ही रजिस्ट्रेशन नंबर, एड्रेस पर किस तरह का माल सप्लाई किया जा रहा है और किस चीज का निर्माण किया जा रहा है. इसकी भी जांच की जाती है और फिर वहां पर किस तरह की कोई अनियमितता मिलती है तो उस पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया जाता है.
इन्दौर में नही है जांच लैब
दरअसल, कई बार मिलावटी पदार्थों की कार्रवाई के बाद सैंपल लिए जाते हैं. उन्हें जांच के लिए भोपाल लैब पहुंचाया जाता है, क्योंकि भोपाल में एक या दो लैब मौजूद है और पूरे प्रदेश के मिलावट से संबंधित सैंपलों की जांच के लिए वहां पर पहुंचाए जाते हैं. जिसके कारण रिपोर्ट आने में तकरीबन 2 से 3 महीने या अधिक समय भी लग जाता है. जब रिपोर्ट आती है, तो फिर उस पर आगे करवाई की जाती है।
रिपोर्ट के बाद तय होती है सजा
वहीं, भोपाल लैब से रिपोर्ट आने के बाद विभिन्न तरह से सजा का प्रावधान भी है. यदि भोपाल लैब से किसी सैंपल की पॉजिटिव रिपोर्ट आती है, तो उस पूरे मामले में संबंधित व्यक्ति का मामला एडीएम कोर्ट में चलता है. जहां पर पांच लाख तक का जुर्माना संबंधित व्यक्ति पर लगाया जाता है. इसी तरह से यदि किसी व्यक्ति के सैंपल में अनयूजेबल या मानव जीवन के लिए खतरनाक से संबंधित रिपोर्ट आती है, तो उससे संबंधित मामले की सुनवाई सीजीएम कोर्ट में चलती है, जहां पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. वहीं, अभी तक खाद्य विभाग के द्वारा तीन से चार महीनों में 700 से 800 सैंपल जांच के लिए भोपाल में पहुंचाए गए हैं. जिनमें से 19 मामलों में खाद्य विभाग की ओर से मिलावटखोरों के खिलाफ मामला दर्ज हो चुके हैं, तो 4 से 5 पर रासुका की कार्रवाई की जा चुकी है.
आम उपभोक्ता का कहना है खुद होना होगा जागरूक
इंदौर शहर के आम उपभोक्ताओं का कहना है कि मिलावटखोरों से बचने के लिए खुद को जागरूक होना होगा. इसके लिए जो भी खुला सामान मिलता है उसको खरीदा बंद हो करना होगा. इसी के साथ विभिन्न तरह के प्रोडक्ट जिनमें कई बार असली प्रोडक्ट के नाम पर नकली प्रोडक्ट थमा दिए जाते हैं, लेकिन उसमें कई बार काफी बारीकी से जांच करने के बाद आम आदमी ही नकली प्रोडक्ट को पकड़ सकता है. इसके लिए आम आदमी को भी जागरूक होना पड़ेगा तभी इन मिलावटखोरों पर रोक लगाई जा सकता है.
जांच को तेज करना होगा
खाद्य विभाग के द्वारा जिस तरह से खाद्य पदार्थों की जांच के लिए मुहिम चलाई जाती है, उसे हर 6 महीने में चलाना चाहिए क्योंकि इस जांच से मिलावटखोरों पर अंकुश लगेगा. इसी के साथ जो सजा का प्रावधान है उसमें भी बढ़ोतरी होनी चाहिए. वहीं, जो भी नया प्रोडक्ट बाजार में आए उसके पहले खाद्य विभाग को उस प्रोडक्ट का सैंपल लेना चाहिए. साथ ही विभिन्न तरह से जांच पड़ताल करने के बाद ही उसे बाजार में सप्लाई करना चाहिए.
लॉकडाउन में बचा माल खपाया जा रहा
वहीं, यह बात भी सामने आई है कि पिछले साल जिस तरह से कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन लगाया गया था. उसको देखते हुए कई व्यापारियों का काफी माल गोदामों में भरा रह गया था. जिसे अब धीरे-धीरे खापाया जा रहा है. वहीं, इस तरह का एक घटनाक्रम एक व्यक्ति के सामने आया जब वह इंदौर शहर से 40 किलोमीटर दूर गया और पीने के लिए कोल्डड्रिंक मांगी. तब उसे एक्सपायरी डेट की थमा दी गई, क्योंकि जागरूकता के कारण उसने उसके एक्पायरी डेट देख ली. जिसके बाद उसे वापस कर दी, लेकिन यदि उसकी उचित फोरम पर शिकायत की जाती, तो निश्चित तौर पर एक बड़ा मामला सामने आ सकता था. फिलहाल. अलग-अलग क्षेत्रों के व्यापारी लॉकडाउन में बचे हुए माल को अब खाने में जुटे हुए हैं, लेकिन एक्सपायरी डेट नकली प्रोडक्ट से बचना है तो जागरूकता ही एकमात्र विकल्प है.
किसान से सीधे उपभोक्ता तक पहुचाने की दिशा में सरकार करे काम
वहीं, कई उपभोक्ताओं का कहना है कि मिलावटखोरों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाना होगा. इसके अलावा मिलावटखोरों पर अंकुश लगाना है तो किसान से सीधे जनता को जोड़ना होगा. जिससे कि मिलावटखोरों पर अंकुश लगाया जा सके. यदि किसान सीधे जनता को खाद्यान्न उपलब्ध करवाएगा, तब मिलावटखोरों पर अंकुश लगेगा. इसके लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार को उचित कदम उठाते हुए मिलावटखोरों को खत्म करने के लिए इस तरह की व्यवस्था को लागू करनी चाहिए.