इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पांच दिवसीय अखिल भारतीय अधिवेशन का आज आखिरी दिन था, इस दौरान पांच दिवसीय बैठक में संघ के पदाधिकारियों ने कई मुद्दों पर चर्चा की. सबसे अहम मुद्दा नागरिकता संसोधन कानून को लेकर था, जबकि दूसरा मुद्दा संघ से युवा और छात्रों को किस तरह जोड़ा जाए, इस पर विचार विमर्श किया गया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय बैठक की शुरुआत इंदौर में 2 तारीख को हुई थी, इसी दिन मोहन भागवत के अलावा तकरीबन 400 से अधिक पदाधिकारी भी इंदौर पहुंचे थे. बैठक का विधिवत उद्घाटन 3 जनवरी को हुआ था. इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सभी पदाधिकारियों से अपने अपने क्षेत्रों के कार्यों का विवरण लिया था. फिर कार्यकर्ताओं को विभिन्न तरीके के दिशा निर्देश भी दिए थे.
कई राज्यों से पहुंचे पदाधिकारी
बैठक में हर राज्य से अखिल भारतीय स्तर के कई पदाधिकारी पहुंचे थे, जिनके साथ मोहन भागवत ने अलग से बैठक की. पश्चिम बंगाल व दक्षिण भारत के अधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें पश्चिम बंगाल व दक्षिण भारत में संघ की शाखा को किस तरह से बढ़ाया जा सकता है, इस पर चर्चा की.
दिल्ली और यूपी के पदाधिकारियों को दिए विशेष निर्देश
दिल्ली के पदाधिकारियों से जेएनयू व आने वाले चुनाव में किन मुद्दों पर विभिन्न पार्टियां चुनाव लड़ेंगी, इस पर बात की. बिहार-उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों से वहां के काम के बारे में पूछताछ की और आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और बिहार में किस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को काम करना है, इसके दिशा निर्देश दिए. इस दौरान संघ प्रमुख ने उत्तर प्रदेश के स्वयंसेवकों से राम मंदिर निर्माण के समय किस तरह से जनमानस व जनता के बीच पहुंचना है. इस पर भी दिशा निर्देश दिए.
9 जनवरी को इंदौर से रवाना होंगे भागवत
आखिरी दिन मोहन भागवत से अनुसांगिक संगठन जिसमें बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद, धर्म रक्षा समिति के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से भी मुलाकात की. बैठक खत्म होने के बाद 9 जनवरी को भागवत इंदौर से रवाना होंगे, इस दौरान वे कई बुद्धिजीवी व सामाजिक क्षेत्र के लोगों से मुलाकात भी करेंगे.
देश के बाहर काम करने वाले पदाधिकारी भी शामिल
फिलहाल पांच दिनी बैठक कई मायनों में अहम थी, इसमें कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई, जिसका परिणाम भी आने वाले समय में देखा जा सकता है. इसी के साथ इस बैठक में वे पदाधिकारी भी शामिल हुए थे, जो देश के बाहर भी संघ का काम करते हैं.