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आर्थिक राजधानी में अग्निशमन सेवाओं का है बुरा हाल, 32 लाख की आबादी वाले शहर में हैं सिर्फ 5 फायर स्टेशन - आर्थिक राजधानी

औद्योगिक राजधानी इंदौर में आलम ये है कि यहां कि अग्निशमन सेवाएं और विभागीय अमला शासन की उपेक्षा का शिकार है. 32 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में मात्र 5 फायर स्टेशन हैं.

अग्निशमन सेवाओं का है बुरा हाल
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Published : May 9, 2019, 6:21 PM IST

इंदौर| बढ़ती गर्मी के कारण लगातार आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अग्निशमन विभाग खुद संसाधन और अमले को की कमी से जूझ रहा है. औद्योगिक राजधानी इंदौर में आलम ये है कि यहां कि अग्निशमन सेवाएं और विभागीय अमला शासन की उपेक्षा का शिकार है.

32 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में मात्र 5 फायर स्टेशन हैं. जिनमें 2010 तक ढाई सौ कर्मचारी कार्यरत थे, अब इनमें से एक तिहाई कर्मचारी रिटायर हो गए. लिहाजा जितने लोग फिलहाल विभाग में मौजूद हैं वहीं जैसे- तैसे अग्निशमन सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं. इंदौर में अग्निशमन सेवाओं का मुख्यालय लक्ष्मी नगर फायर स्टेशन है, जहां फायर एसपी के निर्देशन में चार थाना प्रभारी, 7 सब इंस्पेक्टर और 1 एएसआई है. शहर के मोती तबेला, गांधी हाल, जीएनटी मार्केट और सांवेर रोड पर स्थित फायर स्टेशन शहर के विभिन्न इलाकों में अग्निशमन सेवाएं मुहैया करवा रहे हैं.

जरूरत के मुताबिक शहर में 10 स्टेशन होने चाहिए, लेकिन कई दशकों से यहां आधे ही फायर स्टेशन हैं. इसी प्रकार फायर स्टेशन में न्यूनतम 40 फायर नियंत्रण वाहन होने चाहिए, लेकिन यहां मात्र 20 फायर ब्रिगेड ही मौजूद हैं. इनमें से भी आधे वाहनों की हालत कंडम हो चुकी है. इंदौर जैसे महत्वपूर्ण और आग की घटनाओं के लिए संवेदनशील औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों का आलम यह है कि जो वाहन नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा फायर ब्रिगेड को दिए जाते हैं वह आधे-अधूरे बजट और सामंजस्य नहीं होने के कारण समय रहते अपग्रेड ही नहीं हो पाते.

इंदौर| बढ़ती गर्मी के कारण लगातार आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अग्निशमन विभाग खुद संसाधन और अमले को की कमी से जूझ रहा है. औद्योगिक राजधानी इंदौर में आलम ये है कि यहां कि अग्निशमन सेवाएं और विभागीय अमला शासन की उपेक्षा का शिकार है.

32 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में मात्र 5 फायर स्टेशन हैं. जिनमें 2010 तक ढाई सौ कर्मचारी कार्यरत थे, अब इनमें से एक तिहाई कर्मचारी रिटायर हो गए. लिहाजा जितने लोग फिलहाल विभाग में मौजूद हैं वहीं जैसे- तैसे अग्निशमन सेवाएं उपलब्ध करवा रहे हैं. इंदौर में अग्निशमन सेवाओं का मुख्यालय लक्ष्मी नगर फायर स्टेशन है, जहां फायर एसपी के निर्देशन में चार थाना प्रभारी, 7 सब इंस्पेक्टर और 1 एएसआई है. शहर के मोती तबेला, गांधी हाल, जीएनटी मार्केट और सांवेर रोड पर स्थित फायर स्टेशन शहर के विभिन्न इलाकों में अग्निशमन सेवाएं मुहैया करवा रहे हैं.

जरूरत के मुताबिक शहर में 10 स्टेशन होने चाहिए, लेकिन कई दशकों से यहां आधे ही फायर स्टेशन हैं. इसी प्रकार फायर स्टेशन में न्यूनतम 40 फायर नियंत्रण वाहन होने चाहिए, लेकिन यहां मात्र 20 फायर ब्रिगेड ही मौजूद हैं. इनमें से भी आधे वाहनों की हालत कंडम हो चुकी है. इंदौर जैसे महत्वपूर्ण और आग की घटनाओं के लिए संवेदनशील औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों का आलम यह है कि जो वाहन नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा फायर ब्रिगेड को दिए जाते हैं वह आधे-अधूरे बजट और सामंजस्य नहीं होने के कारण समय रहते अपग्रेड ही नहीं हो पाते.

Intro:बढ़ती गर्मी के दौरान प्रदेशभर में जहां लगातार आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है वहीं ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विभाग खुद संसाधन और अमले को लेकर लचरहाल है
प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में ही आलम यह है कि यहां कि अग्निशमन सेवाएं और विभागीय अमला शासन की उपेक्षा का शिकार है जो नगरीय प्रशासन विभाग और ग्रह विभाग के बीच झूल रहा है ऐसे में अग्निशमन सेवाएं सीमित संसाधन और कर्मचारियों की कमी के चलते यहां भगवान भरोसे ही उपलब्ध हो पा रही हैं


Body:दरअसल 32 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में मात्र 5 फायर स्टेशन है जिनमें 2010 तक ढाई सौ कर्मचारी कार्यरत थे अब इनमें से एक तिहाई कर्मचारी रिटायर हो गए लिहाजा जितने लोग फिलहाल विभाग में मौजूद है वहीं जैसे तैसे अग्निशमन सेवाएं उपलब्ध करवा पा रहे हैं इंदौर में अग्निशमन सेवाओं का मुख्यालय लक्ष्मी नगर फायर स्टेशन है जहां एसपी फायर के निर्देशन में चार थाना प्रभारी 7 सब इंस्पेक्टर और 1 एएसआई शहर के मोती तबेला गांधी हाल जीएनटी मार्केट और सांवेर रोड फायर स्टेशन से शहर के विभिन्न इलाकों मैं अग्निशमन सेवा की सुविधा और संसाधन मुहैया करवा रहे हैं जरूरत के मुताबिक यहां 10 स्टेशन होने चाहिए लेकिन कई दशकों से यहां आधे ही फायर स्टेशन हैं इसी प्रकार फायर स्टेशन में न्यूनतम 40 फायर नियंत्रण वाहन होने चाहिए लेकिन यहां मात्र 20 फायर ब्रिगेड भी मौजूद हैं इनमें से भी आधे वाहनों की हालत कंडम हो चुकी हैl शहर में चिंताजनक स्थिति तब बन जाती है जब सर्वाधिक तेजी से विकसित हो रहा है शहर के पूर्वी इलाके में कोई आग लगने की घटना होती है क्योंकि शहर के पूर्वी हिस्से में फिलहाल कोई भी फायर स्टेशन नहीं है ऐसे में जिन वाहनों को वर्तमान फायर स्टेशनों से पूर्वी इलाकों में भेजा जाता है वे भारी भरकम ट्रैफिक और लंबी दूरी के कारण समय पर घटनास्थल तक पहुंच ही नहीं पाते ऐसे में जब तक फायर ब्रिगेड के वाहन मौके पर पहुंचते हैं तब तक घटनास्थल पर लाखों का नुकसान होने के बाद आग भी बुझ चुकी होती है नतीजा फायर सेवाओं का लाभ अधिकांश घटनाओं में मिली नहीं पाता चौंकाने वाली बात यह है की इंदौर की फायर सेवाओं का लाभ इंदौर में ही नहीं मिलने के बावजूद इंदौर के फायर ब्रिगेड मुख्यालय के अधीन भोपाल का जेल पहाड़ी स्थित फायर स्टेशन, भिंड का मालनपुर और धार जिले के पीथमपुर का फायर स्टेशन भी है जिसकी तमाम व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी और नियंत्रण इंदौर मुख्यालय अधीन है विभाग के प्रति शासन की बेरुखी का आलम भी यह है कि विभाग के आईजी डीआईजी के पद भी खाली पड़े हैं ऐसे में जितने कर्मचारी यहां काम कर रहे हैं वह भी अपने कामकाज में नगरी प्रशासन विभाग और पुलिस की नीतियों और फैसले का शिकार हैl

इस निर्णय से बिगड़ी व्यवस्थाएं

मध्य प्रदेश का फायर ब्रिगेड और अग्निशमन सेवाएं संभवत ऐसी सेवाएं हैं जिन के वरिष्ठ अधिकारी तो गृह विभाग के अधीन है जबकि कनिष्ठ अधिकारियों की सेवाएं 2010 में नगरीय प्रशासन विभाग को सौंप दी गई है इस स्थिति के चलते वरिष्ठ अधिकारियों का वेतन गृह विभाग से आता है जबकि कनिष्ठ अधिकारी और कर्मचारियों की सेवा शर्तें नगर निगम और नगरी प्रशासन विभाग के अधीन हैं इन हालातों में दोनों विभाग में सामंजस्य नहीं होने के कारण फायर ब्रिगेड की सेवाएं भगवान भरोसे है इस फैसले के खिलाफ फायर ब्रिगेड के कर्मचारी उसी दौरान हाई कोर्ट भी गए लेकिन हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के हितों को ध्यान रखने के जो आदेश दिए उस पर भी कोई अमल नहीं हो सका वर्तमान में स्थिति यह है कि फायर ब्रिगेड के बजट की स्वीकृति नगरी प्रशासन विभाग से होती है जबकि इसका उपयोग गृह विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाता है इस स्थिति के कारण जो कर्मचारी यहां से रिटायर हो रहे हैं वह पद ही नहीं भरे जा रहे हैं दोनों विभाग की उपेक्षा के चलते यहां जो कर्मचारी पुलिस सेवा में भर्ती होकर फायर ब्रिगेड में आए थे वह नगरीय प्रशासन में पदोन्नत भी नहीं हो पा रहे हैं

संसाधनों का विकास रुका

इंदौर जैसे महत्वपूर्ण और आग की घटनाओं के लिए संवेदनशील औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपलब्ध संसाधनों का आलम यह है कि जो वाहन नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा फायर ब्रिगेड को दिए जाते हैं वह आधे अधूरे बजट और सामंजस्य नहीं होने के कारण समय रहते अपग्रेड ही नहीं हो पाते कुछ वर्ष पूर्व फायर ब्रिगेड के वाहनों की संख्या बढ़ाने के लिए जो वाहनों के नए चेचिस नगरी प्रशासन विभाग ने फायर ब्रिगेड मुख्यालय को दिए थे वे आज भी उसी हाल में कंडम हो चले हैं इनको फायर फाइटिंग के हिसाब से अपग्रेड करने के लिए पृथक से बजट नहीं होने के कारण फायर ब्रिगेड लेने भी इनका उपयोग नहीं किया लिहाजा करोड़ों रुपए की यह वाहन अब भंगार में बिकने लायक बचे हैंl


Conclusion:बाइट मधुमीणा गौर थाना प्रभारी अग्निशमन इंदौर
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