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पहले बुजुर्ग दंपत्ति ने अपनाई होम कंपोस्ट से जीरोवेस्ट प्रणाली, अब पूरे शहर को ये दंपत्ति कर रहे हैं जागरूक

इंदौर को स्वच्छता में एक बार फिर नंबर वन बनाने के लिए अब जिलेवासी भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे है. इसी कड़ी में इंदौर शहर के बुजुर्ग दंपत्ति ने होम कंपोस्टिंग को अपनाया है, इनके कार्यों का अब नगर निगम भी लोगों के बीच में प्रचार-प्रसार करवा रहा है.

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होम कंपोस्ट से जीरोवेस्ट प्रणाली
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Published : Oct 7, 2020, 1:06 PM IST

इंदौर। स्वच्छता को लेकर इंदौर पूरे देश में मशहूर है, जिसने देश में चार बार स्वच्छता में नंबर वन का खिताब जीता है. इसी कड़ी में अब इंदौर पांची बार नंबर वन आने के लिए जुट गया है, जिसमें अब जिलेवासियों ने भी कवायद शुरू कर दी है. इंदौर में एक बुजुर्ग दंपत्ति स्वच्छता को लेकर पूरे शहर के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. इन दंपत्तियों के द्वारा जीरोवेस्ट पर किए गए काम को देखते हुए शहर में लोगों को घर में ही होम कंपोस्टिंग अपनाने की बात कही जा रही है.

होम कंपोस्ट से जीरोवेस्ट प्रणाली

इंदौर शहर के रहने वाले शर्मा दंपत्ति के द्वारा किए गए कामों को अब नगर निगम भी लोगों के बीच में प्रचार प्रसार करवा रहा है, जिससे लोग इन बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर अपने घर में भी होम कम्पोस्टिंग अपनाएं और स्वच्छता में पांचवीं बार शहर को नंबर वन बनाएं की सलाह दे रहे हैं.

गीले कचरे से खाद तैयार करना

इंदौर शहर के विजय नगर इलाके में रहने वाले डॉक्टर राजेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी डॉक्टर करुणा शर्मा रिटायर्ड प्रोफेसर हैं, लेकिन शर्मा दंपत्ति के कार्यों की तारीफ पूरे शहर में की जा रही है. दरअसल डॉक्टर करुणा शर्मा ने अपने पूरे घर को होम कंपोस्टिंग के लिए तैयार किया है. डॉक्टर करुणा शर्मा के घर से निकलने वाले हर कचरे का किसी न किसी रूप में उपयोग हो रहा है. गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है, तो वहीं सूखे कचरे को रीयूज करने का तरीका अपनाया है. अब शर्मा दंपत्ति को नगर निगम के एनजीओ लोगों के बीच में स्वच्छता प्रहरी के रूप में बता रहे हैं, ताकि इन से प्रेरणा लेकर अन्य लोग भी अपने घर में होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा दें.

Bins for home composting
होम कंपोस्टिंग के लिए डिब्बे

जीरोवेस्ट बनाने का लक्ष्य

शर्मा दंपत्ति के घर से हुई शुरुआत को पहले मोहल्ले और अब पूरे वार्ड ने अपना लिया है. अब इंदौर शहर के इस वार्ड ने जीरोवेस्ट बनने की चुनौती को अपनाया है. 14 नवंबर का लक्ष्य तय कर इस वार्ड के लोगों ने तय किया है कि पूरे वार्ड को जीरोवेस्ट बनाया जाएगा. इसके लिए हर घर को डॉक्टर करुणा शर्मा का उदाहरण भी दिया जा रहा है, जो अपने घर से निकलने वाले गीले कचरे को खाद में परिवर्तित कर रही हैं.

ये भी पढ़े- लोगों को स्वस्थ रखने स्मार्ट सिटी ने बनाए ओपन जिम, कांग्रेस ने उठाए सवाल

होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा

इंदौर शहर में नगर निगम ने होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा देने से कचरा गाड़ियों की संख्या भी कम की है. जिस वार्ड में पहले 6 गाड़ियां कचरा एकत्रित करने के लिए निकलती थी अब उस वार्ड में सिर्फ दो गाड़ियों को रखने का लक्ष्य रखा गया है. डॉक्टर करुणा शर्मा ने भी अपने घर के पूरे कचरे को वापस री-यूज करने के लिए प्रोसेस की हैं. अब डॉक्टर करुणा शर्मा हफ्ते में एक बार घर के बाहर आने वाली कचरा गाड़ी में अपना कचरा डालती हैं और बांकी पूरे कचरे को खाद में परिवर्तित कर लेती हैं.

ये भी पढ़े- इंदौर बना देश में सबसे ज्यादा मैकेनाइज्ड स्वीपिंग मशीनों का उपयोग करने वाला शहर, जानें खासियत

शर्मा दंपत्ति को मिली स्वच्छता प्रहरी की पहचान

डॉक्टर राजेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी पूरे शहर के लिए एक मिसाल बन कर उभरे हैं. यही कारण है कि नगर निगम में काम करने वाले एनजीओ ने भी अपने अभियान में शर्मा दंपत्ति को शामिल किया है. अब जब भी जनता को जागरूक करने की बात होती है तो डॉक्टर राजेंद्र शर्मा और डॉक्टर करुणा शर्मा लोगों के बीच जाकर लोगों को मोटिवेशन दे रहे हैं.

होम कंपोस्टिंग की विधि

घरों से निकलने वाले गीले कचरे, फलों के छिलके, खराब सब्जी से होम कंपोस्टिंग खाद बनाए जाते है. जिसके लिए घरों में डिब्बा या मटकों में छेद कर उसमें मिट्टी और पानी डालकर फलों और सब्जियों के अपशिष्ट को डालकर रखा जाता है. जिसमें से करीब 10 दिनों के बाद पानी निकलता है, जिसे इकट्ठा करके बॉटल में रखा जाता है. फिर से उसे पानी में मिलाकर पेड़-पौधों में डाला जा सकता है. इस विधि को अपनाने से घरों से निकलने वाले कचरों का खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. साथ ही वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने में भी सहायता मिलती है.

स्वच्छता सर्वेक्षण में पांचवीं बार नंबर वन बनने के लिए नगर निगम ने तैयारी शुरू कर दी है. जिसके लिए अब जिलेवासियों ने भी अपनी पहल की शुरूआत की है. ऐसे में जिस शहर में आम जनता बढ़-चढ़कर स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले रही हो, उस शहर को नंबर वन आने से कोई नहीं रोक सकता है.

इंदौर। स्वच्छता को लेकर इंदौर पूरे देश में मशहूर है, जिसने देश में चार बार स्वच्छता में नंबर वन का खिताब जीता है. इसी कड़ी में अब इंदौर पांची बार नंबर वन आने के लिए जुट गया है, जिसमें अब जिलेवासियों ने भी कवायद शुरू कर दी है. इंदौर में एक बुजुर्ग दंपत्ति स्वच्छता को लेकर पूरे शहर के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. इन दंपत्तियों के द्वारा जीरोवेस्ट पर किए गए काम को देखते हुए शहर में लोगों को घर में ही होम कंपोस्टिंग अपनाने की बात कही जा रही है.

होम कंपोस्ट से जीरोवेस्ट प्रणाली

इंदौर शहर के रहने वाले शर्मा दंपत्ति के द्वारा किए गए कामों को अब नगर निगम भी लोगों के बीच में प्रचार प्रसार करवा रहा है, जिससे लोग इन बुजुर्गों से प्रेरणा लेकर अपने घर में भी होम कम्पोस्टिंग अपनाएं और स्वच्छता में पांचवीं बार शहर को नंबर वन बनाएं की सलाह दे रहे हैं.

गीले कचरे से खाद तैयार करना

इंदौर शहर के विजय नगर इलाके में रहने वाले डॉक्टर राजेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी डॉक्टर करुणा शर्मा रिटायर्ड प्रोफेसर हैं, लेकिन शर्मा दंपत्ति के कार्यों की तारीफ पूरे शहर में की जा रही है. दरअसल डॉक्टर करुणा शर्मा ने अपने पूरे घर को होम कंपोस्टिंग के लिए तैयार किया है. डॉक्टर करुणा शर्मा के घर से निकलने वाले हर कचरे का किसी न किसी रूप में उपयोग हो रहा है. गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है, तो वहीं सूखे कचरे को रीयूज करने का तरीका अपनाया है. अब शर्मा दंपत्ति को नगर निगम के एनजीओ लोगों के बीच में स्वच्छता प्रहरी के रूप में बता रहे हैं, ताकि इन से प्रेरणा लेकर अन्य लोग भी अपने घर में होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा दें.

Bins for home composting
होम कंपोस्टिंग के लिए डिब्बे

जीरोवेस्ट बनाने का लक्ष्य

शर्मा दंपत्ति के घर से हुई शुरुआत को पहले मोहल्ले और अब पूरे वार्ड ने अपना लिया है. अब इंदौर शहर के इस वार्ड ने जीरोवेस्ट बनने की चुनौती को अपनाया है. 14 नवंबर का लक्ष्य तय कर इस वार्ड के लोगों ने तय किया है कि पूरे वार्ड को जीरोवेस्ट बनाया जाएगा. इसके लिए हर घर को डॉक्टर करुणा शर्मा का उदाहरण भी दिया जा रहा है, जो अपने घर से निकलने वाले गीले कचरे को खाद में परिवर्तित कर रही हैं.

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होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा

इंदौर शहर में नगर निगम ने होम कंपोस्टिंग को बढ़ावा देने से कचरा गाड़ियों की संख्या भी कम की है. जिस वार्ड में पहले 6 गाड़ियां कचरा एकत्रित करने के लिए निकलती थी अब उस वार्ड में सिर्फ दो गाड़ियों को रखने का लक्ष्य रखा गया है. डॉक्टर करुणा शर्मा ने भी अपने घर के पूरे कचरे को वापस री-यूज करने के लिए प्रोसेस की हैं. अब डॉक्टर करुणा शर्मा हफ्ते में एक बार घर के बाहर आने वाली कचरा गाड़ी में अपना कचरा डालती हैं और बांकी पूरे कचरे को खाद में परिवर्तित कर लेती हैं.

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शर्मा दंपत्ति को मिली स्वच्छता प्रहरी की पहचान

डॉक्टर राजेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी पूरे शहर के लिए एक मिसाल बन कर उभरे हैं. यही कारण है कि नगर निगम में काम करने वाले एनजीओ ने भी अपने अभियान में शर्मा दंपत्ति को शामिल किया है. अब जब भी जनता को जागरूक करने की बात होती है तो डॉक्टर राजेंद्र शर्मा और डॉक्टर करुणा शर्मा लोगों के बीच जाकर लोगों को मोटिवेशन दे रहे हैं.

होम कंपोस्टिंग की विधि

घरों से निकलने वाले गीले कचरे, फलों के छिलके, खराब सब्जी से होम कंपोस्टिंग खाद बनाए जाते है. जिसके लिए घरों में डिब्बा या मटकों में छेद कर उसमें मिट्टी और पानी डालकर फलों और सब्जियों के अपशिष्ट को डालकर रखा जाता है. जिसमें से करीब 10 दिनों के बाद पानी निकलता है, जिसे इकट्ठा करके बॉटल में रखा जाता है. फिर से उसे पानी में मिलाकर पेड़-पौधों में डाला जा सकता है. इस विधि को अपनाने से घरों से निकलने वाले कचरों का खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है. साथ ही वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने में भी सहायता मिलती है.

स्वच्छता सर्वेक्षण में पांचवीं बार नंबर वन बनने के लिए नगर निगम ने तैयारी शुरू कर दी है. जिसके लिए अब जिलेवासियों ने भी अपनी पहल की शुरूआत की है. ऐसे में जिस शहर में आम जनता बढ़-चढ़कर स्वच्छता अभियान में हिस्सा ले रही हो, उस शहर को नंबर वन आने से कोई नहीं रोक सकता है.

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