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लॉकडाउन ने किया वायु प्रदूषण डाउन, 'मिनी मुंबई' की साफ हुई आबोहवा - इंदौर में लॉकडाउन का असर

लॉकडाउन के चलते इंदौर में प्रदूषण में काफी कमी देखने को मिली है. पर्यावरणविदों का मानना है कि प्रदूषण में तकरीबन 70 फीसदी कमी आई है.

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Published : Apr 6, 2020, 7:16 PM IST

इंदौर। लॉकडाउन भले ही लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है, लेकिन प्रकृति पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है. प्रदूषण से पीड़ित मिनी मुंबई की आबोहवा बदल रही है. प्रदूषण के स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गैसों का स्तर तेजी से घटा है. कॉर्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. लंबे समय बाद इस मौसम में शहर ने प्रकृति की गोद में खुलकर सांस ली है.

प्रकृति की सेहत के लिए 'फायदेमंद' है लॉकडाउन

PM-2.5 की स्टेंडर्ड वैल्यू 60 और PM-10 की स्टेंडर्ड वैल्यू 100 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होती है. तभी इस हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है. वहीं इंदौर में इन दोनों मानकों में तेजी से कमी देखने को मिली है. PM-2.5 का स्तर करीब 32 μg/m3 और PM-10 का स्तर 72 μg/m3 के आस-पास है. जो दर्शाता है कि हवा साफ है. पर्यावरणविदों का मानना है कि लॉकडाउन के चलते प्रदूषण में 70 फीसदी तक कमी आई है.

पश्चिमी विक्षोभ की वजह से अंचल में बारिश होने के बाद हरियाली छाई हुई है. वसंत ऋतु में खिले फूल बता रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान ना केवल प्रदूषण कम हुआ है, बल्कि चारों तरफ ताजा हवा भी चल रही है.

क्या है PM 2.5 और PM 10 कण

वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़ों की घटती संख्या के कारण प्रदूषण के प्रकार और उसकी तीव्रता में हर साल बढ़ोतरी होती जा रही है. मेट्रोपोलिटन सिटी में वायु प्रदूषण बहुत खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. इसकी वजह होती है हवा में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कण. ये कण स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. जब इन कणों का स्तर हवा में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन होने लगती हैं.

PM 2.5- ये वायुमंडल में मौजूद ऐसे कण होते हैं. जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है. वहीं PM 10 वो कण हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर से कम होता है. ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है.

इंदौर। लॉकडाउन भले ही लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है, लेकिन प्रकृति पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है. प्रदूषण से पीड़ित मिनी मुंबई की आबोहवा बदल रही है. प्रदूषण के स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गैसों का स्तर तेजी से घटा है. कॉर्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. लंबे समय बाद इस मौसम में शहर ने प्रकृति की गोद में खुलकर सांस ली है.

प्रकृति की सेहत के लिए 'फायदेमंद' है लॉकडाउन

PM-2.5 की स्टेंडर्ड वैल्यू 60 और PM-10 की स्टेंडर्ड वैल्यू 100 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर होती है. तभी इस हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है. वहीं इंदौर में इन दोनों मानकों में तेजी से कमी देखने को मिली है. PM-2.5 का स्तर करीब 32 μg/m3 और PM-10 का स्तर 72 μg/m3 के आस-पास है. जो दर्शाता है कि हवा साफ है. पर्यावरणविदों का मानना है कि लॉकडाउन के चलते प्रदूषण में 70 फीसदी तक कमी आई है.

पश्चिमी विक्षोभ की वजह से अंचल में बारिश होने के बाद हरियाली छाई हुई है. वसंत ऋतु में खिले फूल बता रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान ना केवल प्रदूषण कम हुआ है, बल्कि चारों तरफ ताजा हवा भी चल रही है.

क्या है PM 2.5 और PM 10 कण

वाहनों की बढ़ती संख्या और पेड़ों की घटती संख्या के कारण प्रदूषण के प्रकार और उसकी तीव्रता में हर साल बढ़ोतरी होती जा रही है. मेट्रोपोलिटन सिटी में वायु प्रदूषण बहुत खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है. इसकी वजह होती है हवा में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कण. ये कण स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. जब इन कणों का स्तर हवा में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन होने लगती हैं.

PM 2.5- ये वायुमंडल में मौजूद ऐसे कण होते हैं. जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम होता है. वहीं PM 10 वो कण हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर से कम होता है. ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है.

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