इंदौर। मंगलवार को देश भर में जहां रावण दहन के साथ दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया गया. वहीं इंदौर में रावण की बहन शूर्पणखा का पुतला राजनीतिक द्वेष के कारण नहीं जलाया जा सका. यहां महालक्ष्मी नगर से पुलिस द्वारा पुतला जब्त किए जाने के बाद मजबूरी में आयोजकों को शूर्पणखा की ढाल और तलवार का प्रतीकात्मक दहन करना पड़ा.
पुरुष आयोग गठित करने की मांग: दरअसल, सामाजिक संस्था द्वारा शहर के महालक्ष्मी नगर स्थित मेला ग्राउंड पर प्रतीकात्मक रूप से शूर्पणखा का पुतला तैयार किया गया था. इस पुतले को तैयार करने के पीछे संस्था के उन आयोजकों की भागीदारी थी, जो किसी न किसी कारण से दहेज प्रताड़ना एवं धारा 498 के कारण प्रताड़ित हैं. आयोजकों में संस्था के ऐसे भी कार्यकर्ता हैं, जो महिला प्रताड़ना के खिलाफ कहीं ना कहीं लंबे समय से पुरुष आयोग गठित करने की मांग कर रहे हैं.
10 सिर वाली शूर्पणखा की तैयार: संस्था ने अपने पुतले में दर्शाने की कोशिश की कि समाज में रावण की तरह ही कई महिलाएं शूर्पणखा के रूप में आज भी मौजूद हैं. जो तरह-तरह से कई पुरुषों को प्रताड़ित करके उन पर अत्याचार कर रही हैं. लिहाजा संस्था ने ऐसी शूर्पणखाओं के खिलाफ संदेश देने के लिए 10 सिर वाली शूर्पणखा के पुतले को तैयार करके रावण दहन के अवसर पर जलने की तैयारी की थी.
पुलिस ने शूर्पणखा को किया जब्त: यह पुतला सोशल मीडिया के जरिए चर्चा में भी आया था. इसके बाद शूर्पणखा के नाम पर महिलाओं का पुतला जलाने पर कुछ लोगों ने आपत्ति लेते हुए मामले की शिकायत पुलिस में की, तो पुलिस ने आयोजक एवं संस्था पौरुष के अध्यक्ष अशोक दशोरा के घर पहुंच कर पुतले को जब्त कर लिया. इसके बाद संस्था के पदाधिकारी को पता चला कि चुनाव के पहले भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कम कपड़े पहनने वाली लड़कियों को शूर्पणखा करार दिया था. शूर्पणखा कठपुतली जलाने की तैयारी को लेकर माना जा रहा था, कि विजयवर्गीय के ही इशारे पर इस तरह का पुतला दहन किया जा रहा था. इस मामले में कांग्रेस नेता राकेश सिंह यादव द्वारा पुतले को कैलाश विजयवर्गीय द्वारा आयोजित बताया गया था. इसके बाद पुलिस को विवाद से बचने के लिए यह पुतला जब्त करना पड़ा.
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शूर्पणखा के प्रतीकात्मक तलवार ढाल को किया दहन: हालांकि संस्था का कहना है कि "उनकी संस्था का किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है, ना ही किसी नॉरेटिव के कारण उनके द्वारा शूर्पणखा का पुतला जलाया जा रहा था. संस्था के अध्यक्ष दशोर के मुताबिक संस्था पुरुषों के अधिकारों के लिए पिछले 12 सालों से संघर्ष कर रही है, लेकिन पुतला जलाने के पहले ही लसूडिया पुलिस ने शूर्पणखा का पुतला जब्त करवा लिया इसके बाद संस्था द्वारा शाम को शूर्पणखा के प्रतीकात्मक तलवार और ढाल का दहन किया गया.