इंदौर। मध्य प्रदेश समेत पड़ोसी राज्यों में मॉनसून की बेरुखी के चलते फसलों के उत्पादन पर संकट गहरा गया है. बीते एक महीने से बारिश नहीं होने के कारण जहां मध्य प्रदेश के आधा दर्जन से ज्यादा जिले सूखाग्रस्त घोषित होने को हैं. वहीं खेतों में खड़ी सोयाबीन और मक्का की फसल सूखने की कगार पर आ गई है. जाहिर है इस स्थिति में उत्पादन घटने से अनाज के दाम और ज्यादा बढ़ाने के आसार हैं. जिसका असर अभी से प्रदेश की प्रमुख अनाज मंडियों में नजर आ रहा है. जहां वर्तमान सीजन की फसलों की आवक 100 फीसदी से घटकर 25 फीसदी रह गई है.
बारिश नहीं होने से दालों के भाव बढ़े: प्रदेश में अगस्त और सितंबर के शुरुआती दिनों तक बारिश नहीं होने के कारण खेतों में खड़ी सोयाबीन और मक्का की फसल अब सूख रही है. यही स्थिति मूंग और अन्य दालों की अन्य फसलों को लेकर है. जिसकी आवक अब 25 फीसदी ही रह गई है. इधर मंडियों में हालत यह है कि अनाज और दलहन महंगे होने के कारण व्यापारियों के स्टॉक में भी लगातार कमी हुई है. सरकारी गोदाम में भी स्टॉक की स्थिति चिंताजनक है. इंदौर में अनाज तिलहन व्यापारी संघ के मुताबिक नाफेड के पास जो चने का उत्पादन, इस सीजन में 35 लाख टन था, वह घटकर 24 लाख टन बचा है. जबकि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पास भी गेहूं के स्टॉक की कमी है. इसलिए एफसीआई महज दो फ्लोर मिल को ही गेहूं की आपूर्ति कर पा रही है. इसके अलावा फिलहाल भारत सरकार ने दालों की आपूर्ति सुचारू बनाए रखने के लिए बर्मा से तुवर और उड़द आयात करने के फैसले को जारी रखने का निर्णय लिया है, जबकि कनाडा से मसूर दाल का आयात किया जा रहा है. इन हालातों में आशंका जताई जा रही है कि देश में दालों के दाम 15 से 25 परसेंट तक और बढ़ सकते हैं.
आवक घटने से बढ़ गई कीमतें: इंदौर की लक्ष्मीगंज और छावनी अनाज मंडी में उड़द की जो फसल प्रति क्विंटल ₹1500 से ₹2000 बिकती थी. उसके दाम अब 10000 तक पहुंच गए हैं, मूंग भी 9000 से 10500 के भाव से बिक रहा है. चने के दाम अब 6000 से 6600 तक पहुंच गए हैं. यही स्थिति मसूर दाल की है, जो प्रति क्विंटल 6700 तक बिक रही है. जबकि चावल ₹4000 से 4500 रुपए क्विंटल हो चुका है. इसी प्रकार गेहूं की कीमतें भी प्रति क्विंटल ₹2600 से लेकर ₹2700 तक हो गई है. जाहिर है इन फसलों के प्रोसेस होने के बाद इनके दाम और बढ़ जाएंगे. जिसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा.
खाद्य तेल भी हो सकता है महंगा: अवर्षा की स्थिति के कारण यदि सोयाबीन की आपूर्ति घटी तो विभिन्न देशों से पाम ऑयल की आपूर्ति के बावजूद देश में खाद्य तेल के दाम फिर बढ़ सकते हैं. यही वजह है कि भारत सरकार अब किसानों से दलहन और तिलहन फसल बोने को लेकर प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण फिलहाल किसानों के पास भी कोई विकल्प नहीं है.