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इंदौर में 100 साल पुरानी परंपरा को जीवित रखने की पहल, झांकियों को निकालने की कलेक्टर से लगाई गुहार - कोरोना संक्रमण

शहर में 100 साल पुरानी परंपरागत झांकियों पर कोरोना के चलते बेन लगाया गया था. प्रदेश में अब जब संक्रमण के नए मामलों में कमी दर्ज की जाने लगी हो, तो आयोजकों के द्वारा गाइडलाइन के अनुसार, झांकियों को निकालने की अनुमति के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई है.

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इंदौर न्यूज
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Published : Aug 1, 2021, 12:36 PM IST

Updated : Aug 1, 2021, 12:56 PM IST

इंदौर। शहर में 100 साल पुरानी परंपरागत झांकियों पर कोरोना के चलते बेन लगाया गया था. प्रदेश में अब जब संक्रमण के नए मामलों में कमी दर्ज की जाने लगी हो, तो आयोजकों के द्वारा गाइडलाइन के अनुसार, झांकियों को निकालने की अनुमति के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई है.

परंपरा को जीवित रखने की पहल
दरअसल, इंदौर शहर हमेशा से धार्मिक सौहार्द वाला शहर रहा है. यहां पर सभी त्यौहार बड़े हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं. बता दें कि शहर में परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष अनंत चतुर्दशी पर भव्य झांकियां और चल समारोह मिल मजदूरों और अन्य संस्थानों द्वारा प्रतिवर्ष निकाली जाती हैं. झांकियों को निकालने की परंपरा यहां 100 वर्षों से चली आ रही है.इस परंपरा पर विगत 2 वर्षों से कोरोना महामारी के साए के कारण ग्रहण छाया हुआ है, लेकिन इस वर्ष आयोजकों द्वारा रेसीडेंसी पर कलेक्टर की बैठक के दौरान मुलाकात कर झांकियां और चल समारोह निकालने की अनुमति मांगी गई है.


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कम झाकियों की मांगी अनुमति
बता दें कि झांकियों के संगठन से जुड़े अध्यक्ष कैलाश कुशवाहा द्वारा मीडिया से चर्चा कर बताया कि, कलेक्टर से अनुमति मांगी गई है. पूर्व में जहां चार या पांच झांकियां निकलती थी, उन्हें कम करके अब मात्र केवल 2 झांकियां और कुछ अखाड़ों को लेकर अनुमति मांगी गई है, ताकि इस 100 साल पुरानी परंपरा को जीवित रखा जा सके. बता दें कि परंपरा के कारण ही शहर देश और दुनिया में काफी विख्यात है.

झांकियों की परंपरा को जीवित रखने की पहल

इंदौर। शहर में 100 साल पुरानी परंपरागत झांकियों पर कोरोना के चलते बेन लगाया गया था. प्रदेश में अब जब संक्रमण के नए मामलों में कमी दर्ज की जाने लगी हो, तो आयोजकों के द्वारा गाइडलाइन के अनुसार, झांकियों को निकालने की अनुमति के लिए कलेक्टर से गुहार लगाई है.

परंपरा को जीवित रखने की पहल
दरअसल, इंदौर शहर हमेशा से धार्मिक सौहार्द वाला शहर रहा है. यहां पर सभी त्यौहार बड़े हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं. बता दें कि शहर में परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष अनंत चतुर्दशी पर भव्य झांकियां और चल समारोह मिल मजदूरों और अन्य संस्थानों द्वारा प्रतिवर्ष निकाली जाती हैं. झांकियों को निकालने की परंपरा यहां 100 वर्षों से चली आ रही है.इस परंपरा पर विगत 2 वर्षों से कोरोना महामारी के साए के कारण ग्रहण छाया हुआ है, लेकिन इस वर्ष आयोजकों द्वारा रेसीडेंसी पर कलेक्टर की बैठक के दौरान मुलाकात कर झांकियां और चल समारोह निकालने की अनुमति मांगी गई है.


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कम झाकियों की मांगी अनुमति
बता दें कि झांकियों के संगठन से जुड़े अध्यक्ष कैलाश कुशवाहा द्वारा मीडिया से चर्चा कर बताया कि, कलेक्टर से अनुमति मांगी गई है. पूर्व में जहां चार या पांच झांकियां निकलती थी, उन्हें कम करके अब मात्र केवल 2 झांकियां और कुछ अखाड़ों को लेकर अनुमति मांगी गई है, ताकि इस 100 साल पुरानी परंपरा को जीवित रखा जा सके. बता दें कि परंपरा के कारण ही शहर देश और दुनिया में काफी विख्यात है.

झांकियों की परंपरा को जीवित रखने की पहल
Last Updated : Aug 1, 2021, 12:56 PM IST
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