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कचरे से कमाएंगे करोड़ों, इंदौरियों का शानदार प्लान! - कचरे से सीएनजी

अब तक गैस के प्राकृतिक भंडारों से प्राप्त की जाने वाली CNG देश की क्लीन सिटी इंदौर में पहली बार कचरे से बनाई जाएगी. दरअसल यहां एशिया का सबसे बड़ा बायो मीथेनाईजेशन प्लांट स्थापित किया जा रहा है. इससे अप्रैल 2021 तक रोज 17500 किलो सीएनजी तैयार की जा सकेगी.

CNG plant
सीएनजी प्लांट
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Published : Jul 9, 2021, 2:25 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 2:31 PM IST

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का कचरा भी अब शहर को स्वच्छता प्रदान करेगा. वो ऐसे कि गीले-सूखे कचरे से करोड़ों की सीएनजी बनाई जाएगी. इसका प्रयोग शहर की बसों को चलाने में किया जाएगा. इस तरह इंदौर मध्य भारत का इकलौता शहर होगा जहां कचरे से भी लोक परिवहन के साधन चलाए जा सकेंगे.

कचरे का कमाल


इंदौर नगर निगम कोरोना पॉजिटिव मरीजों के घर से मिले कचरे को कर रहा इंसीनरेटर

एशिया का सबसे बड़ा प्लांट

दरअसल, इंदौर नगर निगम पहली बार दिल्ली की कंपनी एवरस्टोन कैपिटल के साथ मिलकर शहर के देवगुराडिया में एशिया के सबसे बड़े बायोमैथानेशन प्लांट बना रहा है. करीब 550 टन क्षमता वाले इस प्लांट को डेढ़ सौ करोड़ रुपए की लागत से 2021 दिसंबर तक बना कर तैयार किया जाएगा. लिहाजा इस प्रोजेक्ट को लेकर मौके पर काम लगातार किया जा रहा है.

देवगुराडिया पर जहां वाहनों से शहर भर का गीला कचरा एकत्र होता है वहां फिलहाल नगर निगम और संबंधित कंपनी के सहयोग से 4 बायोगैस टैंक के साथ ही डिकेंटर स्थापित किए जा रहे हैं जिन्हें अलग-अलग देशों से मंगाया गया है.

मिलेंगे करोड़ों!

इस प्रोजेक्ट के आकार लेने के बाद नगर निगम को संबंधित कंपनी से सालाना प्रीमियम के रूप में 2 करोड़ 52 लाख 50 हजार रुपए अगले 20 साल तक मिलेंगे.

इंदौर के विभिन्न इलाकों से यहां पहुंचने वाले करीब साढ़े 500 टन गीले कचरे से 17500 किलो सीएनजी गैस रोज तैयार होगी. इस गैस में से आधी गैस संबंधित कंपनी प्लांट लगाने की एवज में मार्केट रेट से बाजार में बेचेगी. जबकि नगर निगम की जरूरत के मुताबिक आधी सीएनजी गैस ₹5 कम की दर पर नगर निगम को दी जाएगी. इस गैस से निगम की CNG बसें चलाई जा सकेंगी.

UK डेनमार्क जर्मनी और इटली से मंगाए गए 82 करोड़ के पार्ट्स
इसकी करोड़ों की मशीन जर्मनी और इटली से मंगाई गई है. स्लज मेकिंग मशीन 10 करोड़ में डेनमार्क से मंगाई गई है जिसमें कचरे और पानी को मिलाकर घोल तैयार होता है. इसी प्रकार मिक्सचर एजिटेटर की लागत 7 करोड़ है जिसे जर्मनी से खरीदा गया है. 5 करोड़ रुपए में यहां डिकेंटर इटली से मंगाया गया है. जिसके जरिए बचे हुए गीले सूखे कचरे को मुख्य कचरे से अलग किया जा सकेगा.


ऐसे काम करती है सीएनजी गैस
मीथेन, एथेन और प्रोपेन सीएनजी के ही अवयव हैं, जो रंगहीन और गंध हीन होते हैं. ये सीएनजी की तरह ही ज्वलनशील भी होते हैं. CNG की तरह ही इन तीनों अवयवों को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस की तरह उपयोग में लाया जा सकता है. आमतौर पर प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली सीएनजी गैस को अत्यधिक दबाव के अंदर रखने से यह तरल रूप में बदल जाती है. इसी गैस का प्रयोग वाहनों में 200 से ढाई सौ किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर के प्रेशर से उपयोग किया जाता है. चूंकि यह पर्यावरण के लिहाज से उपयुक्त है, इसलिए दुनिया के कई देशों में अब सीएनजी ईंधन का महत्वपूर्ण स्रोत है. सीएनजी का प्रमुख अवयव मीथेन गैस होता है जो सीएनजी में 75 से 95% तक होता है यही अवयव गीले कचरे से प्राप्त किया जा सकता है.

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का कचरा भी अब शहर को स्वच्छता प्रदान करेगा. वो ऐसे कि गीले-सूखे कचरे से करोड़ों की सीएनजी बनाई जाएगी. इसका प्रयोग शहर की बसों को चलाने में किया जाएगा. इस तरह इंदौर मध्य भारत का इकलौता शहर होगा जहां कचरे से भी लोक परिवहन के साधन चलाए जा सकेंगे.

कचरे का कमाल


इंदौर नगर निगम कोरोना पॉजिटिव मरीजों के घर से मिले कचरे को कर रहा इंसीनरेटर

एशिया का सबसे बड़ा प्लांट

दरअसल, इंदौर नगर निगम पहली बार दिल्ली की कंपनी एवरस्टोन कैपिटल के साथ मिलकर शहर के देवगुराडिया में एशिया के सबसे बड़े बायोमैथानेशन प्लांट बना रहा है. करीब 550 टन क्षमता वाले इस प्लांट को डेढ़ सौ करोड़ रुपए की लागत से 2021 दिसंबर तक बना कर तैयार किया जाएगा. लिहाजा इस प्रोजेक्ट को लेकर मौके पर काम लगातार किया जा रहा है.

देवगुराडिया पर जहां वाहनों से शहर भर का गीला कचरा एकत्र होता है वहां फिलहाल नगर निगम और संबंधित कंपनी के सहयोग से 4 बायोगैस टैंक के साथ ही डिकेंटर स्थापित किए जा रहे हैं जिन्हें अलग-अलग देशों से मंगाया गया है.

मिलेंगे करोड़ों!

इस प्रोजेक्ट के आकार लेने के बाद नगर निगम को संबंधित कंपनी से सालाना प्रीमियम के रूप में 2 करोड़ 52 लाख 50 हजार रुपए अगले 20 साल तक मिलेंगे.

इंदौर के विभिन्न इलाकों से यहां पहुंचने वाले करीब साढ़े 500 टन गीले कचरे से 17500 किलो सीएनजी गैस रोज तैयार होगी. इस गैस में से आधी गैस संबंधित कंपनी प्लांट लगाने की एवज में मार्केट रेट से बाजार में बेचेगी. जबकि नगर निगम की जरूरत के मुताबिक आधी सीएनजी गैस ₹5 कम की दर पर नगर निगम को दी जाएगी. इस गैस से निगम की CNG बसें चलाई जा सकेंगी.

UK डेनमार्क जर्मनी और इटली से मंगाए गए 82 करोड़ के पार्ट्स
इसकी करोड़ों की मशीन जर्मनी और इटली से मंगाई गई है. स्लज मेकिंग मशीन 10 करोड़ में डेनमार्क से मंगाई गई है जिसमें कचरे और पानी को मिलाकर घोल तैयार होता है. इसी प्रकार मिक्सचर एजिटेटर की लागत 7 करोड़ है जिसे जर्मनी से खरीदा गया है. 5 करोड़ रुपए में यहां डिकेंटर इटली से मंगाया गया है. जिसके जरिए बचे हुए गीले सूखे कचरे को मुख्य कचरे से अलग किया जा सकेगा.


ऐसे काम करती है सीएनजी गैस
मीथेन, एथेन और प्रोपेन सीएनजी के ही अवयव हैं, जो रंगहीन और गंध हीन होते हैं. ये सीएनजी की तरह ही ज्वलनशील भी होते हैं. CNG की तरह ही इन तीनों अवयवों को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस की तरह उपयोग में लाया जा सकता है. आमतौर पर प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली सीएनजी गैस को अत्यधिक दबाव के अंदर रखने से यह तरल रूप में बदल जाती है. इसी गैस का प्रयोग वाहनों में 200 से ढाई सौ किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर के प्रेशर से उपयोग किया जाता है. चूंकि यह पर्यावरण के लिहाज से उपयुक्त है, इसलिए दुनिया के कई देशों में अब सीएनजी ईंधन का महत्वपूर्ण स्रोत है. सीएनजी का प्रमुख अवयव मीथेन गैस होता है जो सीएनजी में 75 से 95% तक होता है यही अवयव गीले कचरे से प्राप्त किया जा सकता है.

Last Updated : Jul 9, 2021, 2:31 PM IST
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