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लॉकडाउन ने रोका उपचुनाव का 'रण', खुलते ही ग्राउंड पर दिखेंगे दोनों दलों के नेता - उपचुनाव मध्यप्रदेश

प्रदेश में 24 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल लॉकडाउन के इस दौर में चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं. लॉकडाउन खुलने और चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रदेश में सियासी घमासान एक बार फिर देखने को मिल सकता है.

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उपचुनाव की तैयारी
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Published : May 1, 2020, 11:37 AM IST

इंदौर। प्रदेश में कोरोना के संकट के पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच सत्ता हथियाने का राजनीतिक घमासान लॉकडाउन खुलते ही दोबारा शुरू होने के आसार हैं. दरअसल कांग्रेस ने अपनी सरकार जाने के बाद कोरोना के संकटकाल में भी बीजेपी और सिंधिया खेमे के बागियों से उपचुनाव में बदला लेने की रणनीति तय की है. नई रणनीति के तहत कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि पार्टी से बगावत कर बीजेपी सरकार बनवाने वाले सिंधिया खेमे के विधायकों और मंत्रियों को हराया जाए. कांग्रेस की इस रणनीति को भांपकर सिंधिया खेमे के मंत्री और विधायक उपचुनाव की घोषणा के पहले ही बिना समय गवाएं हुए लॉकडाउन में प्रचार की तैयारियों में जुट गए हैं.

सांवेर सीट से कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तुलसी सिलावट ने शिवराज सरकार में भी मंत्री बने रहने के लिए अपनी सीट को बचाए रखने का मोर्चा संभाल लिया है. लिहाजा वे अपनी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण मतदाताओं के घर खुद सैनिटाइजेशन के दौरान मौजूद रह रहे हैं. इनके साथ सांवेर नगर कांग्रेस के अध्यक्ष दिलीप चौधरी ने भी मोर्चा संभाला तो पार्टी को उन्हें 6 साल के लिए बर्खास्त करना पड़ा. अब कांग्रेस ने यहां सिंधिया के सबसे करीबी माने जाने वाले तुलसी सिलावट को पटखनी देने के लिए कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे प्रेमचंद गुड्डू को मैदान में उतारने की रणनीति तैयार की है. हालांकि गुड्डू पिछले विधानसभा चुनाव में अपने पुत्र अजीत बोरासी को टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज होकर बीजेपी में चले गए थे. जो अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मदद से तुलसी सिलावट के सामने कांग्रेस से मोर्चा संभालने को तैयार हैं.

कमोवेश ऐसी ही स्थिति सिंधिया खेमे के हर विधायक और मंत्री के विधानसभा क्षेत्रों की है. जहां कांग्रेस ने सभी को चुनौती देने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरने का फैसला किया है. हालांकि अब दोनों ही दलों की तरफ से लॉकडाउन खुलने का इंतजार किया जा रहा है.

बागियों से बदला लेने की बनी रणनीति

कांग्रेस उपचुनाव में सभी 24 सीटों पर सरकार जाने का बदला लेने की रणनीति के तहत तैयारी कर रही है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक उपचुनाव में अपने प्रत्याशियों को जिताने के स्थान पर सिंधिया खेमे के तमाम पूर्व विधायकों को हराने पर ज्यादा फोकस रहेगा. इसके लिए अभी से जाति और राजनैतिक समीकरण बिठाए जा रहे हैं. मालवा निमाड़ की 5 सीटें और ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटें समेत सागर, भोपाल और शहडोल संभाग की एक-एक सीटों पर होने वाले उपचुनाव के दौरान कांग्रेस जनमत से गद्दारी करके सरकार गिरा कर डेढ़ साल में ही जनता पर चुनाव थोपने को मुद्दा बनाने जा रही है. इसके अलावा कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां भी मतदाताओं के सामने रखेगी. पार्टी पदाधिकारियों की संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में तैनाती की जा रही है. ग्वालियर चंबल अंचल की प्रमुख 16 सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समेत तमाम बड़े नेताओं का फोकस रहने वाला है.

इन सीटों पर इन्हें मिलेगी जिम्मेदारी

सांवेर

जीतू पटवारी,बाला बच्चन, सज्जन वर्मा, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, रामलाल मालवीय, विजयलक्ष्मी साधौ और रवि जोशी.

हाटपिपलिया

सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, हुकुम सिंह कराड़ा, कुणाल चौधरी, बाला बच्चन.

बदनावर

कांतिलाल भूरिया, उमंग सिंघार, सुरेंद्र सिंह बघेल, दिलीप गुर्जर, प्रताप ग्रेवाल, पाची लाल मीणा, झूमा सोलंकी, मुरली मोरवाल और कलावती भूरिया.

सुवासरा

हर्ष विजय गहलोत, दिलीप गुर्जर, सचिन यादव, कांतिलाल भूरिया, महेश परमार.

सांची

देवेंद्र पटेल, आनंद अहिरवार, पीसी शर्मा, सुरेश पचौरी, आरिफ अकील, आरिफ मसूद, शशांक भार्गव.

सुरखी

राजेंद्र सिंह राठौर, हर्ष यादव, दरबार सिंह, राहुल सिंह, सिद्धार्थ कुशवाहा, नीलांश चतुर्वेदी और सुनीता पटेल.

ग्वालियर, डबरा, भांडेर, करेरा, पोरी और ग्वालियर पूर्व सीट

गोविंद सिंह, लाखन सिंह यादव, एनपी प्रजापति, केपी सिंह, कुंवर विक्रम सिंह, घनश्याम सिंह, आलोक चतुर्वेदी, प्रद्युम्न सिंह लोधी और मनोज दीक्षित.

सुमावली, जौरा, मुरैना, दिमनी, मेहगांव और गोहद सीट

डॉक्टर गोविंद सिंह, बैजनाथ कुशवाहा, बाबू जांडेल, बाला बच्चन, बृजेंद्र सिंह राठौर, प्रवीण पाठक, घनश्याम सिंह समेत अन्य विधायक.

अशोकनगर मुंगावली बमोरी पोहरी और अंबाह सीट

जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, लक्ष्मण सिंह, गोपाल सिंह चौहान, गोवर्धन दांगी और बापू सिंह तवर.

लॉकडाउन के बाद शुरू हो सियासी घमासान

उपचुनाव जीतने लिए दोनों ही पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगाने के लिए तैयार हैं. एक तरफ बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती होगी, तो वहीं कांग्रेस भी बागियों को सबक सिखाकर दोबार सत्ता में आने का कोशिश करेगी. दोनों ही दलों को लॉकडाउन खुलने और चुनाव की तारीखों के ऐलान का बेसब्री से इंतजार है.

इंदौर। प्रदेश में कोरोना के संकट के पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच सत्ता हथियाने का राजनीतिक घमासान लॉकडाउन खुलते ही दोबारा शुरू होने के आसार हैं. दरअसल कांग्रेस ने अपनी सरकार जाने के बाद कोरोना के संकटकाल में भी बीजेपी और सिंधिया खेमे के बागियों से उपचुनाव में बदला लेने की रणनीति तय की है. नई रणनीति के तहत कांग्रेस की कोशिश रहेगी कि पार्टी से बगावत कर बीजेपी सरकार बनवाने वाले सिंधिया खेमे के विधायकों और मंत्रियों को हराया जाए. कांग्रेस की इस रणनीति को भांपकर सिंधिया खेमे के मंत्री और विधायक उपचुनाव की घोषणा के पहले ही बिना समय गवाएं हुए लॉकडाउन में प्रचार की तैयारियों में जुट गए हैं.

सांवेर सीट से कमलनाथ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे तुलसी सिलावट ने शिवराज सरकार में भी मंत्री बने रहने के लिए अपनी सीट को बचाए रखने का मोर्चा संभाल लिया है. लिहाजा वे अपनी विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण मतदाताओं के घर खुद सैनिटाइजेशन के दौरान मौजूद रह रहे हैं. इनके साथ सांवेर नगर कांग्रेस के अध्यक्ष दिलीप चौधरी ने भी मोर्चा संभाला तो पार्टी को उन्हें 6 साल के लिए बर्खास्त करना पड़ा. अब कांग्रेस ने यहां सिंधिया के सबसे करीबी माने जाने वाले तुलसी सिलावट को पटखनी देने के लिए कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे प्रेमचंद गुड्डू को मैदान में उतारने की रणनीति तैयार की है. हालांकि गुड्डू पिछले विधानसभा चुनाव में अपने पुत्र अजीत बोरासी को टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज होकर बीजेपी में चले गए थे. जो अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मदद से तुलसी सिलावट के सामने कांग्रेस से मोर्चा संभालने को तैयार हैं.

कमोवेश ऐसी ही स्थिति सिंधिया खेमे के हर विधायक और मंत्री के विधानसभा क्षेत्रों की है. जहां कांग्रेस ने सभी को चुनौती देने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरने का फैसला किया है. हालांकि अब दोनों ही दलों की तरफ से लॉकडाउन खुलने का इंतजार किया जा रहा है.

बागियों से बदला लेने की बनी रणनीति

कांग्रेस उपचुनाव में सभी 24 सीटों पर सरकार जाने का बदला लेने की रणनीति के तहत तैयारी कर रही है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक उपचुनाव में अपने प्रत्याशियों को जिताने के स्थान पर सिंधिया खेमे के तमाम पूर्व विधायकों को हराने पर ज्यादा फोकस रहेगा. इसके लिए अभी से जाति और राजनैतिक समीकरण बिठाए जा रहे हैं. मालवा निमाड़ की 5 सीटें और ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटें समेत सागर, भोपाल और शहडोल संभाग की एक-एक सीटों पर होने वाले उपचुनाव के दौरान कांग्रेस जनमत से गद्दारी करके सरकार गिरा कर डेढ़ साल में ही जनता पर चुनाव थोपने को मुद्दा बनाने जा रही है. इसके अलावा कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां भी मतदाताओं के सामने रखेगी. पार्टी पदाधिकारियों की संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में तैनाती की जा रही है. ग्वालियर चंबल अंचल की प्रमुख 16 सीटों पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह समेत तमाम बड़े नेताओं का फोकस रहने वाला है.

इन सीटों पर इन्हें मिलेगी जिम्मेदारी

सांवेर

जीतू पटवारी,बाला बच्चन, सज्जन वर्मा, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, रामलाल मालवीय, विजयलक्ष्मी साधौ और रवि जोशी.

हाटपिपलिया

सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, हुकुम सिंह कराड़ा, कुणाल चौधरी, बाला बच्चन.

बदनावर

कांतिलाल भूरिया, उमंग सिंघार, सुरेंद्र सिंह बघेल, दिलीप गुर्जर, प्रताप ग्रेवाल, पाची लाल मीणा, झूमा सोलंकी, मुरली मोरवाल और कलावती भूरिया.

सुवासरा

हर्ष विजय गहलोत, दिलीप गुर्जर, सचिन यादव, कांतिलाल भूरिया, महेश परमार.

सांची

देवेंद्र पटेल, आनंद अहिरवार, पीसी शर्मा, सुरेश पचौरी, आरिफ अकील, आरिफ मसूद, शशांक भार्गव.

सुरखी

राजेंद्र सिंह राठौर, हर्ष यादव, दरबार सिंह, राहुल सिंह, सिद्धार्थ कुशवाहा, नीलांश चतुर्वेदी और सुनीता पटेल.

ग्वालियर, डबरा, भांडेर, करेरा, पोरी और ग्वालियर पूर्व सीट

गोविंद सिंह, लाखन सिंह यादव, एनपी प्रजापति, केपी सिंह, कुंवर विक्रम सिंह, घनश्याम सिंह, आलोक चतुर्वेदी, प्रद्युम्न सिंह लोधी और मनोज दीक्षित.

सुमावली, जौरा, मुरैना, दिमनी, मेहगांव और गोहद सीट

डॉक्टर गोविंद सिंह, बैजनाथ कुशवाहा, बाबू जांडेल, बाला बच्चन, बृजेंद्र सिंह राठौर, प्रवीण पाठक, घनश्याम सिंह समेत अन्य विधायक.

अशोकनगर मुंगावली बमोरी पोहरी और अंबाह सीट

जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, लक्ष्मण सिंह, गोपाल सिंह चौहान, गोवर्धन दांगी और बापू सिंह तवर.

लॉकडाउन के बाद शुरू हो सियासी घमासान

उपचुनाव जीतने लिए दोनों ही पार्टियां एड़ी चोटी का जोर लगाने के लिए तैयार हैं. एक तरफ बीजेपी के सामने सत्ता बचाने की चुनौती होगी, तो वहीं कांग्रेस भी बागियों को सबक सिखाकर दोबार सत्ता में आने का कोशिश करेगी. दोनों ही दलों को लॉकडाउन खुलने और चुनाव की तारीखों के ऐलान का बेसब्री से इंतजार है.

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