इंदौर। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा देश में स्थापित की जाने वाली 100 5जी लैब में से आईआईटी इंदौर को चुना गया है. यह घोषणा आज भारत मंडपम् में प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया मोबाइल कांग्रेस के 7वें संस्करण के उद्घाटन के दौरान की गई. छात्रों और स्टार्टअप समुदायों के लिए 5जी तकनीकों की क्षमता बढ़ाने और इसके साथ बने रहने के लिए लैब स्थापित की जा रही हैं. इसके माध्यम से विभिन्न सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में 5जी एप्लीकेशन के विकास और प्रयोग की सुविधा मिलेगी.
5G तकनीक का उद्देश्य उपकरणों को वर्चुअली कनेक्ट करना: आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा ''यह जिम्मेदारी सौंपा जाना संस्थान के लिए गर्व का क्षण है. 5G तकनीक का उद्देश्य मशीन वस्तु और उपकरण सहित सभी चीजों को वर्चुअल रूप से कनेक्ट करना है. इसके साथ डेटा दरों और विश्वसनीयता के संदर्भ में बेहतर सेवा गुणवत्ता क्यूओएस प्रमुख कारक हैं जो कि उपयोगकर्ताओं को एक अनोखा अनुभव और कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएंगे. यह बड़ी संख्या में एम्बेडेड सेंसरों को आसानी से कनेक्ट करेगा और बेहद कम लागत वाला कनेक्टिविटी समाधान प्रदान करेगा. जबकि सरकार लैब स्थापित करने के लिए पूंजीगत व्यय का 80% वित्त पोषण करेगी. वहीं बाकी 20% संस्थान द्वारा पूरा किया जाएगा. हालांकि सरकार अगले चार वर्षों के लिए प्रक्रिया संबंधी व्यय का 100% वहन करेगी.''
5G लैब में 50 छात्रों और 10 संकाय सदस्यों को प्रशिक्षण: इसके लिए संस्थान को 5G लैब में कम से कम 50 छात्रों और 10 संकाय सदस्यों को प्रशिक्षित करना होगा. आईआईटी इंदौर एडवांस्ड क्वांटम पर ध्यान केंद्रित करेगा और स्थानीय विकास में योगदान देगा. वैश्विक स्तर पर रिसर्च इनोवेशन को प्रदर्शित करेगा. 5जी लैब उपकरण में प्रबंधन डैशबोर्ड के साथ लैब की जरूरतों को पूरा करने के लिए 5जी एसए इंफ्रास्ट्रक्चर, मिड बैंड, 5जी सिम, डोंगल, आईओटी गेटवे, राउटर और एप्लीकेशन सर्वर शामिल होंगे. साथ ही संस्थान स्थान बिजली आपूर्ति इंटरनेट और इंट्रानेट कनेक्टिविटी अन्य उपकरण तकनीकी-जनशक्ति (स्थानीय रखरखाव के लिए) वगैरह जैसी आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान करेगा.