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MP उपचुनाव: सांवेर में बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर, क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान होगा. 28 सीटों में एक सीट इंदौर जिले की सांवेर विधानसभा भी है, जहां कांग्रेस और बीजेपी की सीधी टक्कर मानी जा रही है.

Bye election
सांवेर विधानसभा उपचुनाव
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Published : Oct 5, 2020, 10:28 AM IST

Updated : Oct 5, 2020, 10:35 AM IST

इंदौर। कोरोना काल के बीच मध्यप्रदेश में उपचुनाव को लेकर सूबे की सियासत गरमाई हुई है. मध्य प्रदेश में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. और इस दौर में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा पूर्ण मानी जा रही इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट, जहां कांग्रेस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

सांवेर सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर

सांवेर विधानसभा उपचुनाव

सांवेर में सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. मूल रूप से अनुसूचित जाति बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के ही रहे हैं.जिनके समर्थन को लेकर दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने दावे कर रहे हैं.

सांवेर का अब तक का राजनीतिक इतिहास
1962 में अस्तित्व में आई 2 लाख 46 हजार 685 मतदाताओं वाली सांवेर विधानसभा प्रमुख रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच ही चुनावी परिणाम रहे हैं. बीते 7 विधानसभा चुनाव में यहां 4 बार भाजपा ने और तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी है. 2008 में यहां से लगातार चुनाव जीतने वाले भाजपा नेता प्रकाश सोनकर के निधन के बाद 2018 में उनकी पत्नी निशा सोनकर कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट से चुनाव हार गई थीं. इसके बाद 2013 में स्वर्गीय प्रकाश सोनकर के भतीजे और भाजपा उम्मीदवार राजेश सोनकर ने 87 हजार 292 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी तुलसीराम सिलावट ने 69 हजार 709 वोट हासिल किए थे. तुलसीराम सिलावट ने इस हार का बदला 2018 बीजेपी प्रत्याशी को 2 हजार 945 वोटों से हरा कर लिया था.

बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर

उपचुनाव में भाजपा भले ही तमाम सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही हो, लेकिन सांवेर विधानसभा में कड़ा मुकाबला होने के पूरे आसार हैं. भाजपा इसलिए भी हर सीट को चुनौती के तौर पर ले रही है, क्योंकि उपचुनाव जीतने के फल स्वरुप ही शिवराज सरकार बनी रह सकती है. जबकि कांग्रेस की कोशिश ये है कि, बहुमत के लिहाज से वापस अधिकांश सीटें जीतकर कमलनाथ सरकार सत्ता में वापसी कर सके. यही वजह है कि तुलसीराम सिलावट और प्रेमचंद गुड्डू अपने-अपने संगठनों से निर्देश मिलते ही सांवेर विधानसभा के क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान शुरू कर चुके हैं.

सांवेर में कब कौन चखा जीत का स्वाद

1990- प्रकाश सोनकर, भाजपा
1993- प्रकाश सोनकर, भाजपा
1998- प्रेमचंद गुड्डू, कांग्रेस
2003- प्रकाश सोनकर, भाजपा
2008-तुलसीराम सिलावट, कांग्रेस
2013- राजेश सोनकर, भाजपा
2018- तुलसीराम सिलावट, कांग्रेस

क्या कहता है 2018 विधानसभा चुनाव का नतीजा
साल 2018 के मध्यप्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे तुलसी सिलावट को 48 फीसदी मतदाताओं ने 96 हजार 535 मतों के साथ जिताया था. उस दौरान भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश सोनकर को महज एक फीसदी वोट से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि दोनों के बीच जीत का अंतर 2945 वोट ही रहा है.

कौन किस पर होगा भारी ?

लिहाजा इन सबके बीच उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. दोनों पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं. बीजेपी जहां एक ओर अपने विकास कार्यों को लेकर जीत का डंका बजा रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विश्वासघात के नाम पर जीत का दावा ठोक रही हैं, लेकिन कौन किस पर भारी होगा ये तो 10 नवंबर को ईवीएम की पोटली खुलने के बाद ही तय होगा.

इंदौर। कोरोना काल के बीच मध्यप्रदेश में उपचुनाव को लेकर सूबे की सियासत गरमाई हुई है. मध्य प्रदेश में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. और इस दौर में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा पूर्ण मानी जा रही इंदौर की सांवेर विधानसभा सीट, जहां कांग्रेस और भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

सांवेर सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर

सांवेर विधानसभा उपचुनाव

सांवेर में सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट और कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है. मूल रूप से अनुसूचित जाति बहुल इस विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के ही रहे हैं.जिनके समर्थन को लेकर दोनों ही प्रत्याशी अपने-अपने दावे कर रहे हैं.

सांवेर का अब तक का राजनीतिक इतिहास
1962 में अस्तित्व में आई 2 लाख 46 हजार 685 मतदाताओं वाली सांवेर विधानसभा प्रमुख रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच ही चुनावी परिणाम रहे हैं. बीते 7 विधानसभा चुनाव में यहां 4 बार भाजपा ने और तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी है. 2008 में यहां से लगातार चुनाव जीतने वाले भाजपा नेता प्रकाश सोनकर के निधन के बाद 2018 में उनकी पत्नी निशा सोनकर कांग्रेस के तुलसीराम सिलावट से चुनाव हार गई थीं. इसके बाद 2013 में स्वर्गीय प्रकाश सोनकर के भतीजे और भाजपा उम्मीदवार राजेश सोनकर ने 87 हजार 292 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी तुलसीराम सिलावट ने 69 हजार 709 वोट हासिल किए थे. तुलसीराम सिलावट ने इस हार का बदला 2018 बीजेपी प्रत्याशी को 2 हजार 945 वोटों से हरा कर लिया था.

बीजेपी-कांग्रेस में कड़ी टक्कर

उपचुनाव में भाजपा भले ही तमाम सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रही हो, लेकिन सांवेर विधानसभा में कड़ा मुकाबला होने के पूरे आसार हैं. भाजपा इसलिए भी हर सीट को चुनौती के तौर पर ले रही है, क्योंकि उपचुनाव जीतने के फल स्वरुप ही शिवराज सरकार बनी रह सकती है. जबकि कांग्रेस की कोशिश ये है कि, बहुमत के लिहाज से वापस अधिकांश सीटें जीतकर कमलनाथ सरकार सत्ता में वापसी कर सके. यही वजह है कि तुलसीराम सिलावट और प्रेमचंद गुड्डू अपने-अपने संगठनों से निर्देश मिलते ही सांवेर विधानसभा के क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान शुरू कर चुके हैं.

सांवेर में कब कौन चखा जीत का स्वाद

1990- प्रकाश सोनकर, भाजपा
1993- प्रकाश सोनकर, भाजपा
1998- प्रेमचंद गुड्डू, कांग्रेस
2003- प्रकाश सोनकर, भाजपा
2008-तुलसीराम सिलावट, कांग्रेस
2013- राजेश सोनकर, भाजपा
2018- तुलसीराम सिलावट, कांग्रेस

क्या कहता है 2018 विधानसभा चुनाव का नतीजा
साल 2018 के मध्यप्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे तुलसी सिलावट को 48 फीसदी मतदाताओं ने 96 हजार 535 मतों के साथ जिताया था. उस दौरान भाजपा प्रत्याशी डॉ राजेश सोनकर को महज एक फीसदी वोट से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि दोनों के बीच जीत का अंतर 2945 वोट ही रहा है.

कौन किस पर होगा भारी ?

लिहाजा इन सबके बीच उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. दोनों पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं. बीजेपी जहां एक ओर अपने विकास कार्यों को लेकर जीत का डंका बजा रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विश्वासघात के नाम पर जीत का दावा ठोक रही हैं, लेकिन कौन किस पर भारी होगा ये तो 10 नवंबर को ईवीएम की पोटली खुलने के बाद ही तय होगा.

Last Updated : Oct 5, 2020, 10:35 AM IST
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