इंदौर। फॉर्मूला-वन रेसिंग कार दुनिया की सबसे आधुनिक कारों में शुमार है. इस कार को लेकर भी इंदौर अपनी भूमिका निभाने जा रहा है. फॉर्मूला वन रेसिंग के लिए मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान एसजीएसआईटीएस के छात्रों और प्राध्यापकों ने एक फॉर्मूला-वन रेसिंग कार तैयार की है. कम खर्च इस कार्य को तैयार किया गया है. इस कार में मोटरसाइकिल का इंजन लगाया गया है. (formula one racing car in indore)
बाइक के इंजन से तैयार की गई रेसिंग कारः एसजीएसआईटीएस प्रबंधन के मुताबिक रेसिंग कार बनाने के लिए उनकी टीम ने केटीएम मोटरसाइकिल के 390 सीसी के इंजन का उपयोग किया है. कार की स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटे की है. सुरक्षा मानकों का पूरा ध्यान रखकर इसका निर्माण किया गया है. वहीं तकनीकी रूप से भी कार में कई काम किए गए हैं. कार निर्माण का कार्य करने वाली टीम और प्राध्यापकों का कहना है कि यह आने वाले समय में सुप्रा फॉर्मूला वन रेसिंग कार कंपटीशन में अच्छा परफॉर्मेंस करेगी. टीम का चयन नोएडा में होने वाली सुप्रा फॉर्मूला वन रेसिंग कार कंपटीशन के लिए हुआ है. (formula one racing car built in indore)
25 छात्रों की टीमों तैयार की कारः फॉर्मूला वन रेसिंग कार के लिए एसजीएसआईटीएस के मैकेनिकल और प्रोडक्शन इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों ने काम किया है. इस कार को बनाने के लिए 25 छात्रों की टीम शामिल हुई. साथ ही संस्थान के अन्य प्राध्यापकों द्वारा गाइड किया गया है. इसके निर्माण में शामिल छात्रों का कहना है कि इसकी टेस्टिंग कर ली गई है. टेस्टिंग के दौरान काफी हद तक अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं, जिससे आने वाले समय में इसकी सफलता की उम्मीद और भी बढ़ जाती है. (formula one racing car in noida)
3.5 लाख के खर्च में तैयार की कारः कार तैयार करने वाली टीम के कैप्टन दिव्यांशु पारेख ने बताया कि इस कार को करीब 3.5 लाख के खर्च से तैयार किया गया है. पूर्व में इसके लिए 7 लाख का बजट रखा गया था. संस्थान ने ही विभिन्न उपकरणों के माध्यम से इसे तैयार किया गया है, जिसके चलते इसकी लागत में कमी हो सकी है.
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पर्यावरण के लिहाज से भी है बेहद महत्वपूर्णः कार निर्माण करने वाली टीम में शामिल छात्रों का कहना है कि इसे पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. कार के माध्यम से प्रदूषण कम हो इसके लिए एक अलग तकनीक का प्रयोग किया गया है. ताकि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण कम हो. कार के लिए अलग-अलग तकनीकों के माध्यम से कलपुर्जे संस्थान में ही तैयार किए गए हैं.