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सरकारी नौकरी छोड़ बना किसान, मोती की खेती कर देश की आत्मनिर्भरता में दे रहे योगदान

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Published : Jun 23, 2020, 1:02 PM IST

होशंगाबाद जिले में एक ऐसा शख्स है, जिन्होंने अपनी शानदार सरकारी नौकरी को छोड़कर खेती को अपनाया है. जिनका नाम है अमित बकोरिया, जो अपनी सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ मोती की खेती कर रहे है. साथ ही अन्य किसानों को भी आत्मनिर्भर बनाने की ओर कार्य कर रहे है.

Amit is leaving government job and cultivating pearl in hoshangabad
मोती की खेती

होशंगाबाद। कहां बेहतरीन करियर ग्राफ वाली शानदार सरकारी नौकरी और कहां खेती! अगर आप किसी से पूछे कि क्या वह अपनी प्रतिष्ठित सरकारी सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ खेती करेगा तो शायद उसका जबाब 'ना ' ही होगा, लेकिन होशंगाबाद के अमित ऐसा शख्स है, जिन्होंने अपनी मन की सुनते हुए सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़कर खेती को अपनाया. अमित ने कुछ हटकर देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खेती के जरिए कामयाबी की नई इबारत लिखी. कुछ अलग करने की चाह उसे मोती की खेती की ओर ले गई, जो अब लाखों का सौदा बन रही हैं.

मोती की खेती

सरकारी सिविल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बना किसान

होशंगाबाद के अमित बकोरिया इंजीनियर की डिग्री कर एमपी के रूलर रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी में सिविल इंजीनियर के पद पर तैनात थे, जहां से अमित ने आरामदायक सरकारी नौकरी को छोड़ कुछ अलग करने की ठान ली. जिसके बाद पुश्तैनी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मढ़ई क्षेत्र के पास कामठी गांव में पिता के द्वारा सालों पहले खुदवाए तालाब में पानी के ऊपर खेती करने का प्रयास किया. अमित ने खुद के साथ अन्य किसान साथियों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए मोती की खेती की.

देश को आत्मनिर्भर बनाने का किया प्रयास

अमित के चीन में मौजूद दोस्तों से मालूम हुआ कि चीन में मोती की खेती होती है और बड़ी मात्रा में भारत चीन से मोती आयात करता है. ऐसे में अमित ने भारत में मोती का उत्पादन कर देश की मदद करने के उद्देश्य से सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ सीप से मोती बनाने की खेती करना शुरू कर दिया, जो अब भारत की मोती की उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भर करने की मुहिम में अहम भूमिका निभा रहे हैं. अमित 12 से 15 महीने में सीप से मोती निकलकर आ जाता है, जिसके पति पत्नी मिलकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व आने वाले टूरिस्ट को इसके बनने वाले आभूषण सहित ऑनलाइन मार्केट के माध्यम से बेच देते है. अमित पिछले 4 सालों से मोती की खेती कर इससे तकरीबन 1 एकड़ से 8 से 10 लाख रूपए का मुनाफा निकल लेते है.

मोती उत्पादन के साथ मछली पालन में 8 से 10 लाख की कमाई

अमित अपने खेत में मौजूद तालाब में मोती के साथ मछली पालन का भी काम करते है, जिससे आय में मुनाफा भी होता है. टाइगर रिजर्व घूमने आ रहे सैलानियों के लिए मौजूदा होटल में तरह- तरह की ताजी मछलियां उपलब्ध कराते है. इससे मोती के साथ अच्छा व्यापार हो जाता है. वहीं अमित और उनकी पत्नी दोनों मिलकर मोती से बनी ज्वेलरी भी बनाते है, जिनको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व घूमने आए सैलानी खासा पसंद करते हैं, जो उनके फार्म हाउस से ही खरीदकर ले जाते है. वहीं मोती के सीपों को भी आयुर्वेदिक औषधि केंद्र में अमित द्वारा भेज दिया जाता है. कुल मिलाकर सभी तरीके से अमित अच्छा खासा आय मोती के व्यापार से कमा लेते हैं.

किसानों को देते हैं ट्रेनिंग

अमित और उनकी पत्नी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोती की खेती करने की ट्रेनिंग भी देते हैं. साथ ही मोती से बनने वाले आभूषणों की भी जानकारी देकर किसानों को अपने खेतों में इस खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं. अमित प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भी आए किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं, जिसको लेकर विशेष रूप से फार्म हाउस पर व्यवस्था की गई हैं.

किसानों से जलीय खेती करने की अपील

अमित ने जलीय खेती कर किसानों से भी जलीय खेती करने की अपील की है, क्योंकि लगातार भूमि की जल स्तर गिरता जा रहा है. अगली पीढ़ी को बचाने के लिए एंट्री गेड 1 इंटीग्रेटेड फार्मिंग कर जैविक और भूमि का सरंक्षण कर बायो सिटी सहित ऑक्सीजन मेंटेन होती है. साथ ही किसान पर्यावरण को बचाते हुए अपनी आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है.

होशंगाबाद। कहां बेहतरीन करियर ग्राफ वाली शानदार सरकारी नौकरी और कहां खेती! अगर आप किसी से पूछे कि क्या वह अपनी प्रतिष्ठित सरकारी सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ खेती करेगा तो शायद उसका जबाब 'ना ' ही होगा, लेकिन होशंगाबाद के अमित ऐसा शख्स है, जिन्होंने अपनी मन की सुनते हुए सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़कर खेती को अपनाया. अमित ने कुछ हटकर देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खेती के जरिए कामयाबी की नई इबारत लिखी. कुछ अलग करने की चाह उसे मोती की खेती की ओर ले गई, जो अब लाखों का सौदा बन रही हैं.

मोती की खेती

सरकारी सिविल इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ बना किसान

होशंगाबाद के अमित बकोरिया इंजीनियर की डिग्री कर एमपी के रूलर रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी में सिविल इंजीनियर के पद पर तैनात थे, जहां से अमित ने आरामदायक सरकारी नौकरी को छोड़ कुछ अलग करने की ठान ली. जिसके बाद पुश्तैनी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मढ़ई क्षेत्र के पास कामठी गांव में पिता के द्वारा सालों पहले खुदवाए तालाब में पानी के ऊपर खेती करने का प्रयास किया. अमित ने खुद के साथ अन्य किसान साथियों को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए मोती की खेती की.

देश को आत्मनिर्भर बनाने का किया प्रयास

अमित के चीन में मौजूद दोस्तों से मालूम हुआ कि चीन में मोती की खेती होती है और बड़ी मात्रा में भारत चीन से मोती आयात करता है. ऐसे में अमित ने भारत में मोती का उत्पादन कर देश की मदद करने के उद्देश्य से सिविल इंजीनियर की नौकरी छोड़ सीप से मोती बनाने की खेती करना शुरू कर दिया, जो अब भारत की मोती की उत्पादन के क्षेत्र में आत्म निर्भर करने की मुहिम में अहम भूमिका निभा रहे हैं. अमित 12 से 15 महीने में सीप से मोती निकलकर आ जाता है, जिसके पति पत्नी मिलकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व आने वाले टूरिस्ट को इसके बनने वाले आभूषण सहित ऑनलाइन मार्केट के माध्यम से बेच देते है. अमित पिछले 4 सालों से मोती की खेती कर इससे तकरीबन 1 एकड़ से 8 से 10 लाख रूपए का मुनाफा निकल लेते है.

मोती उत्पादन के साथ मछली पालन में 8 से 10 लाख की कमाई

अमित अपने खेत में मौजूद तालाब में मोती के साथ मछली पालन का भी काम करते है, जिससे आय में मुनाफा भी होता है. टाइगर रिजर्व घूमने आ रहे सैलानियों के लिए मौजूदा होटल में तरह- तरह की ताजी मछलियां उपलब्ध कराते है. इससे मोती के साथ अच्छा व्यापार हो जाता है. वहीं अमित और उनकी पत्नी दोनों मिलकर मोती से बनी ज्वेलरी भी बनाते है, जिनको सतपुड़ा टाइगर रिजर्व घूमने आए सैलानी खासा पसंद करते हैं, जो उनके फार्म हाउस से ही खरीदकर ले जाते है. वहीं मोती के सीपों को भी आयुर्वेदिक औषधि केंद्र में अमित द्वारा भेज दिया जाता है. कुल मिलाकर सभी तरीके से अमित अच्छा खासा आय मोती के व्यापार से कमा लेते हैं.

किसानों को देते हैं ट्रेनिंग

अमित और उनकी पत्नी किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोती की खेती करने की ट्रेनिंग भी देते हैं. साथ ही मोती से बनने वाले आभूषणों की भी जानकारी देकर किसानों को अपने खेतों में इस खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं. अमित प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भी आए किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं, जिसको लेकर विशेष रूप से फार्म हाउस पर व्यवस्था की गई हैं.

किसानों से जलीय खेती करने की अपील

अमित ने जलीय खेती कर किसानों से भी जलीय खेती करने की अपील की है, क्योंकि लगातार भूमि की जल स्तर गिरता जा रहा है. अगली पीढ़ी को बचाने के लिए एंट्री गेड 1 इंटीग्रेटेड फार्मिंग कर जैविक और भूमि का सरंक्षण कर बायो सिटी सहित ऑक्सीजन मेंटेन होती है. साथ ही किसान पर्यावरण को बचाते हुए अपनी आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है.

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