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होशंगाबादः कुछ ही बच्चों को मिला 4 माह का राशन, स्कूल प्रबंधन पर फर्जीवाड़े का आरोप - Scam in food distribution in government school in Hoshangabad district

होशंगाबाद जिले के सोहागपुर में गर्ल्स स्कूल की छात्राओं के कोरोना संक्रमण काल में मिलने वाले खाद्यान्न छात्राओं तक नहीं पहुंचा है, स्कूल प्रबंधन के कागजातों में इसका 100 प्रतिशत वितरण दर्ज है.

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Published : Jul 13, 2020, 1:33 PM IST

होशंगाबाद। जिले के सोहागपुर में संक्रमण काल के दौरान स्कूलों में वितरण के लिए आया सूखा खाद्यान्न भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. अनाज को छात्रों में बांटने के बजाए कागजी कार्रवाई करके 100 प्रतिशत वितरण दिखाकर गोलमाल करने का काम शाला प्रबंधन द्वारा कर दिया गया. ऐसा ही एक मामला स्थानीय गर्ल्स स्कूल में देखने को मिला है, जहां अध्ययनरत 365 छात्राओं को मार्च से जून महीने तक 4 माह का खाद्यान्न वितरण किया जाना था. शासन द्वारा प्रत्येक छात्रा के खाद्यान्न का आवंटन भी किया गया, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही के चलते उक्त खाद्यान्न वितरण सिर्फ कागजी कार्रवाई बनकर रह गया. लॉकडाउन के चलते स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम रही, बावजूद इसके स्थानीय गर्ल्स स्कूल में मार्च से जून तक के 4 महीनों का खाद्यान्न वितरण 100 प्रतिशत दिखया जा रहा है.

एसडीएम सोहागपुर वंदना जाट का कहना हैं कि, 'इस प्रकार का मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है, आप से जानकारी मिली है, हम इसे चेक करवा लेते हैं. अगर बच्चों के खाद्यान्न वितरण में कोई गड़बड़ी हुई है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगा'.

रजिस्टर में दिखाई 100 प्रतिशत उपस्थिति

स्कूल के वितरण रजिस्टर में कक्षा छठवीं से आठवीं तक की छात्राओं की 100 प्रतिशत उपस्थिति दर्शाई गई है, जिस रजिस्टर में बच्चों की उपस्थिति को दर्शाया गया है, उसमें सभी छात्राओं के हस्ताक्षर नहीं हैं. इस बारे में जब स्कूल में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि, वह संक्रमण काल में स्कूल नहीं पहुंची, ऐसे में उनका खाद्यान्न लेना असंभव है. वहीं कुछ अभिभावकों ने बताया कि, बच्चे स्कूल पहुंचे थे पर उन्हें 4 महीने का अनाज नहीं दिया गया.

जब मिडिल स्कूल की प्रधान पाठक मधुलिका मसीह से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि सभी बच्चों में 4 महीने का खाद्यान्न वितरण कर दिया गया है. कोरोना संक्रमण के चलते छात्राओं से वितरण रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं लिए जा सके.

इस बारे में जब बीआरसी जेपी रजक से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि संक्रमण काल के चलते बच्चे स्कूल कम आ रहे हैं, ऐसे में खाद्यान्न वितरण के लिए परिवार के किसी सदस्य को फोन लगाकर सोशल डिस्टेंस में अनाज का वितरण किया जा सकता था, जिसकी जिम्मेदारी स्कूल के प्रधान पाठक की थी. अगर बच्चे शाला नहीं आ रहे थे, तो उनके अनाज का पैकेट अलग बना कर रखना था, जब छात्राएं स्कूल आती उन्हें खाद्यान्न वितरण कर दिया जाता.

वहीं उनका कहना है कि, पूरे ब्लॉक में खाद्यान्न वितरण की स्थिति 70 प्रतिशत के आसपास है. किसी भी स्कूल में 100 प्रतिशत खाद्यान्न वितरण होना असंभव है, अगर स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा किया गया है, तो उसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

होशंगाबाद। जिले के सोहागपुर में संक्रमण काल के दौरान स्कूलों में वितरण के लिए आया सूखा खाद्यान्न भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. अनाज को छात्रों में बांटने के बजाए कागजी कार्रवाई करके 100 प्रतिशत वितरण दिखाकर गोलमाल करने का काम शाला प्रबंधन द्वारा कर दिया गया. ऐसा ही एक मामला स्थानीय गर्ल्स स्कूल में देखने को मिला है, जहां अध्ययनरत 365 छात्राओं को मार्च से जून महीने तक 4 माह का खाद्यान्न वितरण किया जाना था. शासन द्वारा प्रत्येक छात्रा के खाद्यान्न का आवंटन भी किया गया, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही के चलते उक्त खाद्यान्न वितरण सिर्फ कागजी कार्रवाई बनकर रह गया. लॉकडाउन के चलते स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम रही, बावजूद इसके स्थानीय गर्ल्स स्कूल में मार्च से जून तक के 4 महीनों का खाद्यान्न वितरण 100 प्रतिशत दिखया जा रहा है.

एसडीएम सोहागपुर वंदना जाट का कहना हैं कि, 'इस प्रकार का मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है, आप से जानकारी मिली है, हम इसे चेक करवा लेते हैं. अगर बच्चों के खाद्यान्न वितरण में कोई गड़बड़ी हुई है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगा'.

रजिस्टर में दिखाई 100 प्रतिशत उपस्थिति

स्कूल के वितरण रजिस्टर में कक्षा छठवीं से आठवीं तक की छात्राओं की 100 प्रतिशत उपस्थिति दर्शाई गई है, जिस रजिस्टर में बच्चों की उपस्थिति को दर्शाया गया है, उसमें सभी छात्राओं के हस्ताक्षर नहीं हैं. इस बारे में जब स्कूल में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि, वह संक्रमण काल में स्कूल नहीं पहुंची, ऐसे में उनका खाद्यान्न लेना असंभव है. वहीं कुछ अभिभावकों ने बताया कि, बच्चे स्कूल पहुंचे थे पर उन्हें 4 महीने का अनाज नहीं दिया गया.

जब मिडिल स्कूल की प्रधान पाठक मधुलिका मसीह से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि सभी बच्चों में 4 महीने का खाद्यान्न वितरण कर दिया गया है. कोरोना संक्रमण के चलते छात्राओं से वितरण रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं लिए जा सके.

इस बारे में जब बीआरसी जेपी रजक से चर्चा की गई, तो उन्होंने बताया कि संक्रमण काल के चलते बच्चे स्कूल कम आ रहे हैं, ऐसे में खाद्यान्न वितरण के लिए परिवार के किसी सदस्य को फोन लगाकर सोशल डिस्टेंस में अनाज का वितरण किया जा सकता था, जिसकी जिम्मेदारी स्कूल के प्रधान पाठक की थी. अगर बच्चे शाला नहीं आ रहे थे, तो उनके अनाज का पैकेट अलग बना कर रखना था, जब छात्राएं स्कूल आती उन्हें खाद्यान्न वितरण कर दिया जाता.

वहीं उनका कहना है कि, पूरे ब्लॉक में खाद्यान्न वितरण की स्थिति 70 प्रतिशत के आसपास है. किसी भी स्कूल में 100 प्रतिशत खाद्यान्न वितरण होना असंभव है, अगर स्कूल प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा किया गया है, तो उसकी जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

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