नर्मदापुरम। शरद यादव का निधन देश की राजनीतिक के एक बड़ी क्षति है. उनके निधन से जो शून्य पैदा हुआ वह जल्द नहीं भर सकेगा. देखा जाए तो यह नर्मदापुरम के लिहाज से भी यह बड़ी क्षति है.शरद यादव का नर्मदापुरम से भी खासा लगाव रहा है.नर्मदापुरम के माखन नगर बाबई तहसील के आने वाले ग्राम आंखमऊ में उनका पैतृक घर है. उन्होंने अपना यही गुजारा.उनकी प्राथमिक शिक्षा आंखमऊ से हुई थी. उसी आंखमऊ में आज शोक की लहर के साथ सन्नाटा पसरा हुआ है. उनको चाहने वाले व उनके बचपन के साथी नर्मदापुरम के पैतृक गांव आंखमऊ में पहुंचकर उनके भाई एसपीएस यादव एवं उनके परिचितों से जानकारी हासिल कर रहे हैं. (sharad yadav will remain unforgettable)
उनके प्रिय बगीचे में होगा अंतिम संस्कारः भाई एसपीएस यादव अनुसार शरद यादव का बचपन से आंखमऊ से काफी लगाव रहा है. वह करीब-करीब हर साल आंखमऊ आते थे. यहां आकर लोगों से मिलते थे और उनका हालचाल जाते थे. गांव के लोगों से भी उनका काफी गहरा लगाव रहा है. उनका अंतिम संस्कार पास के ही बगीचे में किया जाएगा. वह जब भी नर्मदापुरम आते थे अपने पैतृक गांव के इसी बगीचे में अपने सुकून के पल गुजारते थे. इसको लेकर अब तैयारियां परिजनों द्वारा एवं स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एवं मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित बड़े तमाम नेताओं ने भी उनके निधन पर शोक जताया है. कल उनके अंतिम संस्कार में भी कई दिग्गज नेताओं के आने के उम्मीद है. उनकी जीवन संगिनी डॉक्टर रेखा यादव है. (last rites will be held in his favorite garden)
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पूरा नर्मदापुरम शोक में डूबाः शरद यादव के निधन की खबर से पूरे नर्मदापुरम में शोक की लहर दौड़ गई थी. जैसे ही सोशल मीडिया पर यह जानकारी लगी तो अनेक संगठनों सभी दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. इसे पूरे नर्मदाअंचल के लिए अपूरणीय क्षति भी बताया जा रहा है. उनका अपने पैतृक गांव में काफी जुड़ाव रहा है. समाजवादी नेता और लोहिया की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले शरद यादव ने पहली बार मध्यप्रदेश के जबलपुर से सांसदी का चुनाव जीता था. इसके बाद में बिहार और यूपी से भी चुनाव जीते थे. (whole Narmadapuram immersed in mourning)