होशंगाबाद। हिंदू सनातन धर्म की खूबसूरती यही है कि यहां ईश्वर को स्वयं से अभिन्न माना जाता है. सनातन धर्मी अपने ईश्वर को सुलाते, जगाते, स्नान कराते, भोजन कराते यहां तक कि ग्रहणकाल में सूतक भी लगाते हैं. इसी तरह माना जाता है कि परमात्मा सर्दी-गर्मी से भी प्रभावित होते हैं. हम सबने ग्रीष्मकाल में कई मंदिरों में भगवान के लिए कहीं कूलर तो कहीं एसी लगे देखे होंगे. तो वहीं सर्दियों में भगवान को ऊनी पोषाक धारण किए भी देखा होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे भगवान अस्वस्थ भी होते हैं. जी हां, बता दें भगवान जगन्नाथ स्नान यात्रा के बाद ज्वर के कारण अस्वस्थ होते हैं.
हर साल ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ के 'स्नान' का महोत्सव मनाया जाता है. इस साल भी यह महोत्सव होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा के प्राचीन जगदीश मंदिर में मनाया गया. इस दौरान भगवान का ठंडे जल से अभिषेक किया गया, जिसके बाद माना जाता है कि उन्हें बुखार हो जाता है. भगवान जगन्नाथ के अस्वस्थ होने के कारण 15 दिनों तक अपने भक्तगणों को दर्शन नहीं देते हैं. इस अवधि में सिर्फ उनके निजी सहायक और वैद्य ही उनके दर्शन कर सकते हैं.
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बता दें, इन 15 दिनों की अवधि में भगवान जगन्नाथ को ज्वरनाशक औषधियों, फलों का रस, खिचड़ी, दलिया आदि का भोग लगाया जाता है. इस अवधि को 'अनवसर' कहा जाता है. वहीं इस अवधि के बीत जाने पर भगवान स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देने के लिए रथ पर सवार होकर मंदिर से बाहर आते हैं, जिसे 'रथयात्रा' कहा जाता है. ये रथयात्रा हरसाल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को निकली जाती है.
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जगदीश मंदिर के पुजारी शुभम दुबे ने बताया कि इस साल भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भगवान के स्वस्थ होने के बाद निकाली जाएगी. 15 दिन तक भगवान किसी को दर्शन नहीं देंगे. लेकिन इस बार की रथयात्रा कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक ही निकाली जाएगी.