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Satpura Tiger Reserve: 20 बारहसिंघा का एसटीआर में स्वागत, बढ़ेगा कुनबा

नर्मदापुरम में स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जंगल में हाल ही में कई नए सदस्य आए हैं. कुनबा बढ़ाने के लिए 20 बारहसिंगा का झुंड एसटीआर में छोड़ा गया है. ये न केवल बारहसिंगा का कुनबा बढ़ाएंगे, बल्कि बाघों की भूख मिटाने के भी काम आएंगे.

narmadapuram satpura tiger reserve
नर्मदापुरम सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
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Published : Jan 22, 2023, 4:08 PM IST

नर्मदापुरम। कान्हा नेशनल पार्क से 12 घंटे और 450 किलोमीटर का सफर तय कर और विदेश पशुचिकित्सकों की निगरानी में 20 बारह सिंघाओं को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जंगल में छोड़ा गया है. बारह सिंघाओं का ये कुनबा एसटीआर से जैव विविधता को संतुलित करने का काम करेंगे. विशेष पशु चिकित्सकों की निगरानी में इन्हें एसटीआर में छोड़ा गया है. ये विस्थापित हुए गांवों में खाली पड़े घांस के मैदानों में रहेंगे, साथ ही बाघों की भूख मिटाने का काम करेंगे. इनके छोड़ने से बारहसिंगा का कुनबा बढ़ेगा.

विशाल पश्चिमी घाट में ये प्रजातियां मौजूद: हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियां और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियां सतपुड़ा वन क्षेत्र पाई जाती हैं. इसी वजह से विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियां जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बांस, हिसालू, दारूहल्दी, सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं. इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियां मिलती हैं, उनमें लाल चंदन मुख्य है. सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहां बड़े संकुल में मिलता है.

satpura tiger reserve welcome barahsingha
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बारहसिंघा का स्वागत

Satpura Tiger Reserve: देखें मौज करते रिश्ते में भाई बहन बाघों का मजेदार वीडियो

एसटीआर कहलाती है ईको-सिस्टम की आत्मा: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को भारत के मध्य क्षेत्र के ईको-सिस्टम की आत्मा कहा जाता है. यहां अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियां हैं, जो अन्यत्र नहीं मिलती. बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा नेशनल पार्क की अच्छी-खासी प्रसिद्धि है. बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्यभारत के क्षेत्रों में से एक है. संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन के मान से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपने आप में देश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में ही आता है. यह देश का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है.

बारहसिंगा लाने के लिए गाड़ियों को किया डिजाइन: फील्ड डायरेक्टर एसटीआर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि, बारहसिंगा को विशेष रूप से डिजाइन किए गए परिवहन वाहन में पशु चिकित्सक टीम के साथ लाया है. एसटीआर क्षेत्र में विस्थापित किए गए गांवों में घास के मैदान बन गए हैं. अब यह यहां आराम से रह सकेंगे, क्षेत्र में चीतल, बारहसिंगा का कुनबा बढ़ने से बाघों को पर्याप्त भोजन मिल सकेगा.

नर्मदापुरम। कान्हा नेशनल पार्क से 12 घंटे और 450 किलोमीटर का सफर तय कर और विदेश पशुचिकित्सकों की निगरानी में 20 बारह सिंघाओं को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के जंगल में छोड़ा गया है. बारह सिंघाओं का ये कुनबा एसटीआर से जैव विविधता को संतुलित करने का काम करेंगे. विशेष पशु चिकित्सकों की निगरानी में इन्हें एसटीआर में छोड़ा गया है. ये विस्थापित हुए गांवों में खाली पड़े घांस के मैदानों में रहेंगे, साथ ही बाघों की भूख मिटाने का काम करेंगे. इनके छोड़ने से बारहसिंगा का कुनबा बढ़ेगा.

विशाल पश्चिमी घाट में ये प्रजातियां मौजूद: हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों में 26 प्रजातियां और नीलगिरि के वनों में पाई जाने वाली 42 प्रजातियां सतपुड़ा वन क्षेत्र पाई जाती हैं. इसी वजह से विशाल पश्चिमी घाट की तरह इसे उत्तरी घाट का नाम भी दिया गया है. कुछ प्रजातियां जैसे कीटभक्षी घटपर्णी, बांस, हिसालू, दारूहल्दी, सतपुड़ा और हिमालय दोनों जगह मिलती हैं. इसी तरह पश्चिमी घाट और सतपुड़ा दोनों जगह जो प्रजातियां मिलती हैं, उनमें लाल चंदन मुख्य है. सिनकोना का पौधा, जिससे मलेरिया की दवा कुनैन बनती है, यहां बड़े संकुल में मिलता है.

satpura tiger reserve welcome barahsingha
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बारहसिंघा का स्वागत

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एसटीआर कहलाती है ईको-सिस्टम की आत्मा: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को भारत के मध्य क्षेत्र के ईको-सिस्टम की आत्मा कहा जाता है. यहां अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियां हैं, जो अन्यत्र नहीं मिलती. बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा नेशनल पार्क की अच्छी-खासी प्रसिद्धि है. बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्यभारत के क्षेत्रों में से एक है. संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन के मान से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व अपने आप में देश का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में ही आता है. यह देश का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है.

बारहसिंगा लाने के लिए गाड़ियों को किया डिजाइन: फील्ड डायरेक्टर एसटीआर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि, बारहसिंगा को विशेष रूप से डिजाइन किए गए परिवहन वाहन में पशु चिकित्सक टीम के साथ लाया है. एसटीआर क्षेत्र में विस्थापित किए गए गांवों में घास के मैदान बन गए हैं. अब यह यहां आराम से रह सकेंगे, क्षेत्र में चीतल, बारहसिंगा का कुनबा बढ़ने से बाघों को पर्याप्त भोजन मिल सकेगा.

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