नर्मदापुरम। बैंको में सिर्फ रुपयों का लेन देन होता है यह तो आपने देखा होगा, लेकिन नर्मदापुरम में कुछ राम भक्तों ने भगवान राम के नाम लिखित पत्रक को एकत्रित कर अयोध्या के अंतर्राष्ट्रीय सीताराम नाम बैंक में जमा किया है. यह राम नाम का पत्रक जमा करने भक्त इस अनूठे बैंक में 7 सालों से आ रहे हैं. लोगों को सिर्फ अंतिम समय तक राम से जोड़े रखने के लिए ये किया जा रहा है. 7 सालों में 1 अरब 30 करोड़ 71 लाख 80 हजार 727 अंतरराष्ट्रीय सीताराम नाम बैंक में जमा किए हैं. इस बैंक द्वारा बकायदा हनुमान जी महाराज के नाम से पासबुक है, जिसकी खाता संख्या 17133/B है और इसकी पासबुक में एंट्री भी होती है. इसमें करीब 1 अरब 30 करोड़ राम नाम लिखित जमा कराने की एंट्री है. नर्मदापुरम, हरदा, रायसेन, सीहोर जिले के भत्तों से एकत्रित कर ये राम नाम के पत्रक को अयोध्या पहुंचाई जा रही है.
राम नाम का बैंक: गुलाब सिंह भदोरिया जो वन विभाग से सेवानिवृत हैं उन्होंने बताया कि "इसका एक विशेष महत्व है. जब अंतिम यात्रा में जाते हैं तो राम नाम सत्य है का जाप किया जाता है. मनुष्य के अंतिम समय में दुर्गा माता, विष्णु भगवान, ब्रह्मा जी, गणेश भगवान का नाम नहीं लिया जाता है. लेकिन उस समय केवल राम नाम सत्य सुनाई देता है. नाम तो बहुत हैं और पूजनीय भी सारे देवी देवता हैं लेकिन अंतिम समय में सिर्फ एक ही नाम लिया जाता है." गुलाब भदौरिया ने आगे बताया कि "हमने सोचा कि जो अंतिम सत्य है उसी से मैं भी जुड़ा और साथ में दूसरों को भी इसमें शामिल किया तो उनका भी भला होगा. इसी वजह से इस काम में लगभग 1400 लोग शामिल हैं." वहीं नर्मदापुरम जिले के लगभग 600 लोग इस मुहिम में शामिल हैं, तो रायसेन, सीहोर, हरदा के भी सभी भक्तों को इस राम नाम बैंक से जोड़ा गया है.
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भगवान राम के नाम इतनी पत्रक: अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय सीता राम नाम का बैंक है. इसमें हनुमान जी महाराज के लिए गुलाब सिंह के नाम से खाता खोला गया है. जिसमें पहली बार में 4.9.2016 में 13 लाख 18 हजार 527 राम नाम के पत्रक जमा हुए थी, तभी से लगातार यह सिलसिला जारी है. 4.3.2023 को अयोध्या जाकर 5 करोड़ 41 लाख 15 हजार 877 राम नाम लिखित जमा किया गया. 2016 से 2023 तक कुल राम नाम लिखित 1 अरब 30 करोड़ 71 लाख 80 हजार 727 जमा की गई है.
एक पत्रक में इतने नाम: इन राम नाम के पत्रक को विशेष रूप से अयोध्या पहुंचाया जाता है. पैसों की बचत करने के लिए इसे ऑटो से लेकर जाया जाता है. यहां तक की इसे नीचे नहीं रखा जाता इसके लिए इसे सिर पर रख कर ही पहुंचाया जाता है. इतना ही नहीं आरक्षण डब्बे में भी सीट पर इन करोड़ों राम नाम की लिखित पत्रक को सिर के किनारे पर रखा जाता है. वहीं पत्रकों की संख्या बढ़ाने के लिए रुपयों की बचत की जाती है. अगर एक कुली को 200 देना पड़ता है तो 3 बोरियां के 600 रुपए देने पड़ते हैं. 550 रुपयों में 1 हजार पत्रक रख सकते हैं. एक पत्रक में 2160 नाम बनते हैं.