नर्मदापुरम। पचमढ़ी घूमने आने वालों के लिए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मढ़ई, चूरना, बोरी ऐसे स्थान है जहां वन्य प्राणियों के दीदार पर्यटकों को होंगे. वहीं तवा डैम और तिलक सिंदूर मंदिर में भी पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद है. नए साल से पहले ही पर्यटन स्थलों पर होटल एवं जिप्सियां बुक हो चुकी हैं. इस बार लोगों की मानें तो नए साल पर करीब एक लाख तक पर्यटक पहुंचने की उम्मीद है. आज से पचमढ़ी में नवरंग की शुरुआत होने जा रही है. इसके अंतर्गत 29 दिसंबर से 1 जनवरी लगातार 75 घंटे कार्यक्रम होंगे.
नदियां और झरने करते हैं मंत्रमुग्ध : पचमढ़ी मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है. सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल से 3550 फीट की ऊंचाई पर बसा पंचमढ़ी मध्य प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन है. जहां हरे-भरे और शांत माहौल में नदियों और झरनों के गीत सैलानियों को मंत्रमुग्ध करते हैं. पंचमढ़ी घाटी की खोज 1857 में बंगाल लान्सर के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने की थी. इस स्थान को अंग्रेजों ने सेना की छावनी के रूप में विकसित किया. पंचमढ़ी में आज भी ब्रिटिश काल के अनेक चर्च और इमारतें देखी जा सकती हैं.
जटाशंकर और प्राचीन गुफाएं : पचमढ़ी से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटाशंकर एक पवित्र गुफा है. इसके ऊपर एक बिना किसी सहारे का झूलता हुआ विशाल शिलाखंड रखा है. यहां शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है. जटाशंकर मार्ग पर एक हनुमान मंदिर है जहां हनुमान की मूर्ति एक शिलाखंड पर उकेरी गई है. वहीं, एक छोटी पहाड़ी पर यह पांच प्राचीन गुफाएं बनी हैं. इन्हीं पांच गुफाओं के कारण ही इस स्थान को पचमढ़ी कहा जाता है. लोग बताते है पांडव अपने वनवास के दौरान यहां ठहरे थे. यहां सबसे साफ सुथरी और हवादार गुफा को द्रोपदी कुटिया कहा जाता है, जबकि सबसे अंधेरी गुफा भीम कोठरी के नाम से लोकप्रिय है. पुरातत्वेत्ताओं का मानना है कि इन गुफाओं को 9वीं और 10 वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बौद्धों द्वारा बनवाया गया था. अप्सरा विहार पांडव गुफा के पास ही. अप्सरा विहार या परी ताल को मार्ग जाता है जहां पैदल चाल द्वारा ही पहुंचा सकता है. यह तालाब एक छोटे झरने से बना है जो 30 फीट ऊंचा है. अधिक गहरा न होने की वजह से यह तालाब तैराकी और बोटिंग, गोताखोरी के लिए बिल्कुल सही है. यह यहां का सबसे सुंदर ताल है.
महादेव गुफा व प्रियदर्शिनी प्वाइंट : महादेव गुफा10 किलोमीटर दूर स्थित महादेव हिन्दुओं के लिए पूजनीय स्थल है. यह पवित्र गुफा भगवान शिव की है. यह 30 मीटर लंबी है और यहां सदैव पानी बहता रहता है. कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं पर छिपे थे. भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा. गुफा के भीतर एक शिवलिंग बना हुआ है. शिवरात्रि पर यहां जोश के साथ मनाई जाती है. महादेव गुफा तक पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है. प्रियदर्शिनी प्वाइंट सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है. इसी स्थान से कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 में खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की गई थी. इस प्वाइंट का मूल नाम फोरसिथ प्वाइंट था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया. यहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद खूबसूरत लगता है. चौरादेव, महादेव, धूपगढ़ नामक सतपुड़ा की तीन प्रमुख चोटियां यहां से देखी जा सकती हैं.
रजत प्रपात की खूबसूरती : रजत प्रपात ऊंचाई 350 फीट है. झरने से गिरता जल यहां तरल चांदी के समान प्रतीत होता है. झरने तक पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है. केवल साहसिक पर्यटक ही ट्रैकिंग के माध्यम से झरने तक पहुंच सकते हैं. राजेंद्र गिरी पहाड़ी ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद को बहुत लुभाया था. वे यहां की खूबसूरती से प्रभावित होकर कई बार आए थे. उनके नाम पर ही इस पहाड़ी का नाम रखा गया. उनके ठहरने के यहां रवि शंकर भवन बनवाया गया था. पहाड़ी के चारों ओर की दृश्यावली सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देती है.
हांडी खोह घाटी : यह पंचमढ़ी की सबसे गहरी और तंग घाटी है, जिसकी गहराई 300 फीट है. दोनों ओर घने जंगलों से घिरी इस घाटी के नीचे बहते पानी की स्पष्ट आवाज सुनी जा सकती है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां एक असुर सर्प को दफनाया था. स्थानीय लोगों में यह घाटी अंधी खो के नाम से जानी जाती है. चौरागढ़ महादेव से 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है. पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है, जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं. आराम करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनी है.
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व : 1981 में स्थापित सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क 524 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. यह पार्क असंख्य दुर्लभ पक्षियों का घर है. यहां बायसन, टाइगर, तेन्दुए, हिरन, सांभर जैसे अन्य जानवरों को देखा जा सकता है. यह पार्क सदाबहार साल, टीक और बांस के पेड़ों से भरपूर है. सतपुड़ा टाईगर रिजर्व नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित सतपुड़ा पर्वतमाला क्षेत्र में जैव विविधता से समृद्ध वनक्षेत्र है, जो अनेक लुप्त प्राय: प्रजातियों का रहवास है. इस विशेषता को ध्यान में रखते हुये सतपुडा टाइगर रिजर्व को मध्यप्रदेश के प्रथम बायोस्फियर रिजर्व के रूप में वर्ष 1999 में घोषित किया गया. एसटीआर क्षेत्र में मढ़ई, बोरी, चूरना, सहित अन्य स्थानों पर भी घूम सकेंगे. पचमढ़ी पठार पर साल के घने जंगल सागौन मिश्रित उच्च श्रेणी के वन अधिक मात्रा में हैं. यहां हिमालयीन क्षेत्र की 26 एवं नीलगिरी क्षेत्र की 42 प्रजातियॉं पाई जाती हैं, इसी कारण से यह वेस्टर्न घाट के उत्तरी छोर के रूप में भी जाना जाता है.
बॉलीवुड को भी भाया : एसटीआर हो या पचमढ़ी आए दिन एक्ट्रेस यहां अपनी छुट्टी मनाने पहुंच रहे हैं. इससे पूर्व में कंगना रनौत, रणदीप हुड्डा, राहुल द्रविड़, रवीना टंडन, सीएम शिवराज तो अपने परिवार के साथ यहां कभी भी समय निकाल कर छुट्टियां मनाने पहुंचते हैं. यह विस्तृत भू-भाग बाघ के संरक्षण के लिये एक महत्वपूर्ण स्थान है. यह क्षेत्र लगभग 14 लुप्त प्राय: प्रजातियों का घर है, जिसमें उडनगिलहरी, जायंट स्क्वीरल, इंडियन स्कीमर, ब्लैक बेलीड टर्न, लिफ नोजड बैट इस क्षेत्र की विशेषता है. यहां लगभग 300 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें मालाबार पाइड हार्नबिल, मालाबार व्हिसलिंग थ्रश एवं मध्यप्रदेश का राज्य पक्षी दूधराज शामिल हैं. इसके अतिरिक्त बार हेडेड गीज, पिनटेल, स्पॉट बिल, स्पून बिल, सुरखाब आदि प्रवासी पक्षी भी शरद ऋतु के दौरान बडे समूह में दिखाई देते हैं. विगत दिनों यहां यूरेशियन ऑटर भी देखा गया है. यहां 1500 से 10 हजार वर्ष पुराने 50 से अधिक शैलचित्र पाये जाते हैं.
सैकड़ों की संख्या में पचमढ़ी पहुंचे पर्यटक, धूपगढ़ पहुंचकर सूर्योदय का लिया आनंद
तवा बांध : नर्मदापुरम से करीब 40 किमी दूर तवा बांध है, जोकि आगे चलकर नर्मदा में मिलता है.अपनी छुट्टियां मनाने लोग यहां पहुंचते हैं. तवा परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है. इसके अन्तर्गत नर्मदा की सहायक तवा नदी पर बांध बनाया गया है, जो मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है. यह बांध 58 मीटर ऊंचा एवं 1815 मीटर लम्बा है. बांध की अधिकतम ऊंचाई नींव की गहनतम सतह से 58 मीटर है.