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इस शिवालय में पहुंचने का रास्ता अति दुर्गम, चढ़ाए जाते हैं मन्नतों के त्रिशूल

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Published : Feb 18, 2023, 10:23 AM IST

Narmadapuram Chauragarh Temple: नर्मदापुरम जिले के हिल स्टेशन पचमढ़ी में मन्नतों के त्रिशूल बरसों से चढ़ाए जा रहे हैं. पचमढ़ी स्थित भगवान भोलेनाथ का चौरागढ़ मंदिर पर कई क्विंटल के त्रिशूल हजारों श्रद्धालु हर साल कंधों पर रखकर इन त्रिशूलों को लेकर पहुंचते हैं. हर वर्ष लगने वाले यहां के मेले का समापन महाशिवरात्रि पर होता है.

Narmadapuram Chauragarh Temple
मन्नतों के त्रिशूल
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

नर्मदापुरम। भगवान शिव की नगरी एवं प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में प्राकृतिक नजारे पर्यटकों के मन मोह लेते हैं, लेकिन इस शिव नगरी में कई मंदिर, स्थान ऐसे भी हैं जो अद्भुत और अलौकिक हैं. पचमढ़ी में स्थित करीब 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित चौरागढ़ मंदिर है. यहां भगवान शिव का मंदिर है. इस मंदिर में जाने के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी क्षेत्र एवं दुर्गम क्षेत्रों से होते हुए करीब 1300 सीढ़ियां चढ़ कर जाना पड़ती है. जिसके बाद पर्यटक यहां पहुंच पाते हैं. महाशिवरात्रि के दौरान यहां पर मेले का आयोजन होता है. मध्यप्रदेश के अलावा कई राज्यों से यहां पर श्रद्धालु पहुंचते हैं साथ ही भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.

Narmadapuram Chauragarh Temple
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

चोरा बाबा की तपस्या: मान्यता के अनुसार यहां पूर्व में कई कथाएं जुड़ी हुई हैं. जिसमें भगवान भोलेनाथ ने भस्मासुर से बचने के लिए उन्होंने यहां की पहाड़ियों में शरण ली थी और अपने आप को भस्मासुर जैसे राक्षस से बचाया था. वही दूसरी मान्यता के अनुसार इस पहाड़ी पर एक चोरा बाबा ने कई वर्षों तक कड़ी तपस्या की थी. चोरा बाबा की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया था. साथ ही उन्होंने चोरा बाबा को कहा कि, अब इस पहाड़ी से चौरागढ़ के नाम से जाना जाएगा. उसी समय से इसका नाम चौरागढ़ के नाम से जाने लगा. साथ ही ऐसे स्थान पर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया गया. दर्शन करने के लिए यहां लाखों श्रद्धालु हर वर्ष पहुंचते हैं.

त्रिशूल चढ़ाने का महत्व: हिल स्टेशन पचमढ़ी में चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने का एक अलग ही महत्व है. हर साल यहां सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मन्नत पूरी होने पर त्रिशूल चढ़ाते हैं. मान्यता के अनुसार पहले जब यहां चौरा बाबा ने तपस्या की थी. उन से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए साथ ही उनकी तपस्या से खुश होकर त्रिशूल इसी स्थान पर भगवान भोलेनाथ छोड़ कर चले गए थे. ठीक उसी समय के बाद से ही आज भी चौरागढ़ मंदिर में मन्नत के त्रिशूल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई जो कि आज भी जारी है.

Narmadapuram Chauragarh Temple
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

श्रद्धालुओं की भक्ती: महाशिवरात्रि के अवसर पर हर वर्ष यहां पर मेले का आयोजन होता है. इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा विशाल त्रिशूल भी चढ़ाए जाते हैं. जिन्हें श्रद्धालु कंधों पर रखकर नाचते गाते हुए मंदिर तक करीब 4000 फीट ऊंची ऊंचाई एवं कठिन रास्तों से होते हुए ऊपर चौरागढ़ दर्शन करने पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि मेले में यहां हर साल लगभग लाखों श्रद्धालु अन्य प्रदेशों से भी भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं. यहां पर मध्य प्रदेश महाराष्ट्र एवं गुजरात से सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.

मेले की मॉनिटरिंग: जिले का प्रशासनिक अमला लगातार महाशिवरात्रि चौरागढ़ मंदिर में व्यवस्था करता है. कलेक्टर एवं एसपी खुद महाशिवरात्रि मेले के अवसर पर मॉनिटरिंग करते हैं. शुक्रवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह एवं एसपी गुरु कारण सिंह पचमढ़ी पहुंचे. उन्होंने यहां पर करीब 8 दिन से चलने वाले मेले का जायजा लिया साथ ही उन्होंने सुरक्षा के निर्देश भी दिए. चौरागढ़ महादेव से 4 किलोमीटर की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है. पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं. आराम करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनी है.

Narmadapuram Chauragarh Temple
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

Mahashivratri 2023: चौरागढ़ महादेव का दर्शन पाने के लिए इस भक्त की करनी होती है पूजा, भूराभगत बताते हैं रास्ता

व्यवस्था के व्यापक इंतजाम: मेला में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन स्तर से व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जिसमें पेयजल, स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक दवाएं, मेला क्षेत्र में बिजली एवं साफ-सफाई के अलावा श्रृद्धालुओं को ठहरने के लिए टेंट इत्यादि की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है. मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थान चिन्हित किए गए हैं. जिनमें प्रशासन ने प्रत्येक स्थान पर सेक्टर मजिस्ट्रेट, चिकित्सक, लोक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी की व्यवस्था की गई है. महादेव मेला समिति के सरंक्षक एवं जिले के कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देशानुसार महादेव मेला क्षेत्र को मद्य निषेध क्षेत्र घोषित किया गया है.

नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

नर्मदापुरम। भगवान शिव की नगरी एवं प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में प्राकृतिक नजारे पर्यटकों के मन मोह लेते हैं, लेकिन इस शिव नगरी में कई मंदिर, स्थान ऐसे भी हैं जो अद्भुत और अलौकिक हैं. पचमढ़ी में स्थित करीब 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित चौरागढ़ मंदिर है. यहां भगवान शिव का मंदिर है. इस मंदिर में जाने के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी क्षेत्र एवं दुर्गम क्षेत्रों से होते हुए करीब 1300 सीढ़ियां चढ़ कर जाना पड़ती है. जिसके बाद पर्यटक यहां पहुंच पाते हैं. महाशिवरात्रि के दौरान यहां पर मेले का आयोजन होता है. मध्यप्रदेश के अलावा कई राज्यों से यहां पर श्रद्धालु पहुंचते हैं साथ ही भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.

Narmadapuram Chauragarh Temple
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

चोरा बाबा की तपस्या: मान्यता के अनुसार यहां पूर्व में कई कथाएं जुड़ी हुई हैं. जिसमें भगवान भोलेनाथ ने भस्मासुर से बचने के लिए उन्होंने यहां की पहाड़ियों में शरण ली थी और अपने आप को भस्मासुर जैसे राक्षस से बचाया था. वही दूसरी मान्यता के अनुसार इस पहाड़ी पर एक चोरा बाबा ने कई वर्षों तक कड़ी तपस्या की थी. चोरा बाबा की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया था. साथ ही उन्होंने चोरा बाबा को कहा कि, अब इस पहाड़ी से चौरागढ़ के नाम से जाना जाएगा. उसी समय से इसका नाम चौरागढ़ के नाम से जाने लगा. साथ ही ऐसे स्थान पर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया गया. दर्शन करने के लिए यहां लाखों श्रद्धालु हर वर्ष पहुंचते हैं.

त्रिशूल चढ़ाने का महत्व: हिल स्टेशन पचमढ़ी में चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने का एक अलग ही महत्व है. हर साल यहां सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मन्नत पूरी होने पर त्रिशूल चढ़ाते हैं. मान्यता के अनुसार पहले जब यहां चौरा बाबा ने तपस्या की थी. उन से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए साथ ही उनकी तपस्या से खुश होकर त्रिशूल इसी स्थान पर भगवान भोलेनाथ छोड़ कर चले गए थे. ठीक उसी समय के बाद से ही आज भी चौरागढ़ मंदिर में मन्नत के त्रिशूल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई जो कि आज भी जारी है.

Narmadapuram Chauragarh Temple
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

श्रद्धालुओं की भक्ती: महाशिवरात्रि के अवसर पर हर वर्ष यहां पर मेले का आयोजन होता है. इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा विशाल त्रिशूल भी चढ़ाए जाते हैं. जिन्हें श्रद्धालु कंधों पर रखकर नाचते गाते हुए मंदिर तक करीब 4000 फीट ऊंची ऊंचाई एवं कठिन रास्तों से होते हुए ऊपर चौरागढ़ दर्शन करने पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि मेले में यहां हर साल लगभग लाखों श्रद्धालु अन्य प्रदेशों से भी भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं. यहां पर मध्य प्रदेश महाराष्ट्र एवं गुजरात से सबसे ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.

मेले की मॉनिटरिंग: जिले का प्रशासनिक अमला लगातार महाशिवरात्रि चौरागढ़ मंदिर में व्यवस्था करता है. कलेक्टर एवं एसपी खुद महाशिवरात्रि मेले के अवसर पर मॉनिटरिंग करते हैं. शुक्रवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह एवं एसपी गुरु कारण सिंह पचमढ़ी पहुंचे. उन्होंने यहां पर करीब 8 दिन से चलने वाले मेले का जायजा लिया साथ ही उन्होंने सुरक्षा के निर्देश भी दिए. चौरागढ़ महादेव से 4 किलोमीटर की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है. पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं. आराम करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनी है.

Narmadapuram Chauragarh Temple
नर्मदापुरम चौरागढ़ मंदिर

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व्यवस्था के व्यापक इंतजाम: मेला में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन स्तर से व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जिसमें पेयजल, स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक दवाएं, मेला क्षेत्र में बिजली एवं साफ-सफाई के अलावा श्रृद्धालुओं को ठहरने के लिए टेंट इत्यादि की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है. मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थान चिन्हित किए गए हैं. जिनमें प्रशासन ने प्रत्येक स्थान पर सेक्टर मजिस्ट्रेट, चिकित्सक, लोक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी की व्यवस्था की गई है. महादेव मेला समिति के सरंक्षक एवं जिले के कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देशानुसार महादेव मेला क्षेत्र को मद्य निषेध क्षेत्र घोषित किया गया है.

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