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कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक से भूमि हो रही बंजर, कृषि वैज्ञानिक ने दी ये चेतावनी

रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुध इस्तेमाल और जैविक खाद के कम उपयोग से होशंगाबाद जिले में नर्मदा के पास की जमीन बंजर होती जा रही है. कृषि वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि, अगर वक्त रहते किसानों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, तो आने वाला वक्त भयानक होगा.

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Published : Jul 4, 2020, 10:45 AM IST

Updated : Jul 4, 2020, 12:15 PM IST

land is becoming barren
भूमि हो रही बंजर

होशंगाबाद। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुध इस्तेमाल से उपजाऊ जमीन के भविष्य में बंजर हो जाने का खतरा बढ़ रहा है. पानी की बर्बादी के चलते भूजल भी अब नीचे सरकने लगा है. जल्द ही किसानों ने इनका इस्तेमाल नहीं रोका, तो जमीन पर फसलें उगनी बंद हो सकती हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से की गई मिट्टी की जांच में ये तथ्य सामने आया है. इसमें जीवांश कार्बन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी पाई गई है. ऐसे में कृषि विभाग की चिंता भी बढ़ गई है. वैज्ञानिक किसानों को सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं.

रासायनिक उर्वरक से भूमि हो रही बंजर

कीटनाशक से धरती बन रही बंजर

लगातार मिट्टी की बंजरता के कारण पर वैज्ञानिकों चिंता बढ़ गई है. कीटनाशक और लगातार तीन से चार फसलों के उत्पादन से मिट्टी की उर्वरता पर प्रभाव पड़ने लगा है. नर्मदा नदी के पास के एरिया को लेकर मिट्टी विशेषज्ञ डॉक्टर जीडी शर्मा ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. रिसर्च में सामने आया है कि, होशंगाबाद जिले की मिट्टी आज सबसे ज्यादा उपजाऊ है, लेकिन रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुध इस्तेमाल से 15 से 18 सालों में धरती के बंजर होने का खतरा है.

research
रिसर्च

जीवाश्म कार्बन की स्थिति बेहद खराब

मिट्टी में जीवाश्म कार्बन 0.1 और 0.2 आ गया है. जबकि मिट्टी में कार्बन 1.0 से ज्यादा होना चाहिए. वहीं 0.51 से 0.8 तक होने पर भी मध्यम स्तर होता है. यहां तक स्थिति सामान्य रहती है, पर होशंगाबाद में ये महज 0.20 के आसपास है. यह हालत चिंताजनक है.

मिट्टी में बढ़ गई पोषक तत्वों की कमी

कृषि वैज्ञानिक एवं मिट्टी के एक्सपर्ट प्रोफेसर डॉ जीडी शर्मा के अनुसार पोषक तत्व की कमी बढ़ गई है. इसे बिना परीक्षण के भूमि बंजर की तरफ परिवर्तित हो रही हैं. समय पर परीक्षण नहीं कराने से जैविक, अजैविक तत्वों की पूर्ति नहीं करने से इसकी गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

pesticides on crop
फसलों पर कीटनाशक का इस्तेमाल

रासायनिक खाद से जमीन में घुलता है जहर

वैज्ञानिकों का कहना है कि, किसानों द्वारा बार-बार फसल लेना और अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग करने से जमीन के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. इसके चलते वर्तमान समय में सल्फर तत्व और जिंक की कमी आने लगी है. किसान अगर खेतों की मिट्टी परीक्षण कराए बिना और मिट्टी को मिलने वाले पोषक तत्व को क्षेत्रों में नहीं डालते हैं, तो कुछ समय बाद यह उपजाऊ जमीन बंजर होने की तरफ बढ़ रही है और रासानिक खाद से धीरे-धीरे जमीन में जहर घुल रहा है. मिट्टी में उपस्थित आवश्यक पोषक तत्व सूक्ष्मजीव और केंचुआ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने वाले जीव नष्ट हो रहे हैं.

Barren earth
बंजर होती धरती

ये करें उपाय

किसानों को समय-समय पर मिट्टी परीक्षण कराते रहना चाहिए, जिससे आवश्यक तत्वों की पूर्ति की जा सके. सोयाबीन, धान की फसलों को हर 3 साल में आवश्यक रूप से बदल-बदल कर लगाते रहना चाहिए. बरसात में खेतों में हरी घास लगानी चाहिए, साथ ही बरसात के मौसम में खेतों को खाली छोड़ना चाहिए. वहीं हरी घास को ट्रैक्टर के माध्यम से कल्टीवेटर कर देना चाहिए, जो कि जैविक खाद के रूप में मिट्टी में जीवाश्म को बचाती है. इसके अलावा बाजार में उपलब्ध कीटनाशकों की जगह देसी गोबर से बनी खाद सहित प्राकृतिक खादों का छिड़काव करना चाहिए और खेतों में नरवाई जलाने से ज्यादा बेहतर है कि उसे मिट्टी में मिला कर खाद बनाई जाए.

होशंगाबाद। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुध इस्तेमाल से उपजाऊ जमीन के भविष्य में बंजर हो जाने का खतरा बढ़ रहा है. पानी की बर्बादी के चलते भूजल भी अब नीचे सरकने लगा है. जल्द ही किसानों ने इनका इस्तेमाल नहीं रोका, तो जमीन पर फसलें उगनी बंद हो सकती हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से की गई मिट्टी की जांच में ये तथ्य सामने आया है. इसमें जीवांश कार्बन और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी पाई गई है. ऐसे में कृषि विभाग की चिंता भी बढ़ गई है. वैज्ञानिक किसानों को सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं.

रासायनिक उर्वरक से भूमि हो रही बंजर

कीटनाशक से धरती बन रही बंजर

लगातार मिट्टी की बंजरता के कारण पर वैज्ञानिकों चिंता बढ़ गई है. कीटनाशक और लगातार तीन से चार फसलों के उत्पादन से मिट्टी की उर्वरता पर प्रभाव पड़ने लगा है. नर्मदा नदी के पास के एरिया को लेकर मिट्टी विशेषज्ञ डॉक्टर जीडी शर्मा ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. रिसर्च में सामने आया है कि, होशंगाबाद जिले की मिट्टी आज सबसे ज्यादा उपजाऊ है, लेकिन रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुध इस्तेमाल से 15 से 18 सालों में धरती के बंजर होने का खतरा है.

research
रिसर्च

जीवाश्म कार्बन की स्थिति बेहद खराब

मिट्टी में जीवाश्म कार्बन 0.1 और 0.2 आ गया है. जबकि मिट्टी में कार्बन 1.0 से ज्यादा होना चाहिए. वहीं 0.51 से 0.8 तक होने पर भी मध्यम स्तर होता है. यहां तक स्थिति सामान्य रहती है, पर होशंगाबाद में ये महज 0.20 के आसपास है. यह हालत चिंताजनक है.

मिट्टी में बढ़ गई पोषक तत्वों की कमी

कृषि वैज्ञानिक एवं मिट्टी के एक्सपर्ट प्रोफेसर डॉ जीडी शर्मा के अनुसार पोषक तत्व की कमी बढ़ गई है. इसे बिना परीक्षण के भूमि बंजर की तरफ परिवर्तित हो रही हैं. समय पर परीक्षण नहीं कराने से जैविक, अजैविक तत्वों की पूर्ति नहीं करने से इसकी गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

pesticides on crop
फसलों पर कीटनाशक का इस्तेमाल

रासायनिक खाद से जमीन में घुलता है जहर

वैज्ञानिकों का कहना है कि, किसानों द्वारा बार-बार फसल लेना और अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खाद का उपयोग करने से जमीन के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. इसके चलते वर्तमान समय में सल्फर तत्व और जिंक की कमी आने लगी है. किसान अगर खेतों की मिट्टी परीक्षण कराए बिना और मिट्टी को मिलने वाले पोषक तत्व को क्षेत्रों में नहीं डालते हैं, तो कुछ समय बाद यह उपजाऊ जमीन बंजर होने की तरफ बढ़ रही है और रासानिक खाद से धीरे-धीरे जमीन में जहर घुल रहा है. मिट्टी में उपस्थित आवश्यक पोषक तत्व सूक्ष्मजीव और केंचुआ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने वाले जीव नष्ट हो रहे हैं.

Barren earth
बंजर होती धरती

ये करें उपाय

किसानों को समय-समय पर मिट्टी परीक्षण कराते रहना चाहिए, जिससे आवश्यक तत्वों की पूर्ति की जा सके. सोयाबीन, धान की फसलों को हर 3 साल में आवश्यक रूप से बदल-बदल कर लगाते रहना चाहिए. बरसात में खेतों में हरी घास लगानी चाहिए, साथ ही बरसात के मौसम में खेतों को खाली छोड़ना चाहिए. वहीं हरी घास को ट्रैक्टर के माध्यम से कल्टीवेटर कर देना चाहिए, जो कि जैविक खाद के रूप में मिट्टी में जीवाश्म को बचाती है. इसके अलावा बाजार में उपलब्ध कीटनाशकों की जगह देसी गोबर से बनी खाद सहित प्राकृतिक खादों का छिड़काव करना चाहिए और खेतों में नरवाई जलाने से ज्यादा बेहतर है कि उसे मिट्टी में मिला कर खाद बनाई जाए.

Last Updated : Jul 4, 2020, 12:15 PM IST
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