होशंगाबाद। जिले के प्राचीन जगदीश मंदिर में जगन्नाथ पुरी की तरह ही ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव मनाया जाता है, इस दौरान मंदिर में भगवान जगन्नाथ का महा स्नान किया गया. हर साल इस दिन श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है लेकिन इस साल कोरोना के चलते मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या कम रही. वहीं मंदिर के पुजारियों सहित भक्तों ने मास्क लगाकर भगवान की पूजा अर्चना की.
मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर महास्नान के बाद सर्दी लगने के कारण भगवान अस्वस्थ्य होकर शयन कक्ष में चले जाते हैं. जिसके बाद वह आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि तक शयन कक्ष में ही रहेंगे और मंदिर में सिर्फ उनके मुकुट की पूजा होगी. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक औषधि दी जाती है और उनका उपचार वैद्य करता है, वहीं सवस्थ्य होने के बाद भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है ताकी वह अपने भक्तों का हाल जान सकें.
भगवान को दिया जाता है उपचार
आचार्यों के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा से 15 दिन का समय ऋतु या मौसम का संधिकाल होता है, जिसमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं और भगवान भी बीमार होकर भक्तों को इस मौसम में स्वास्थ्य संबंधी परहेज बरतने का संदेश देने के लिए बीमार होते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान अपने भक्त माधवदास के लिए भी बीमार होते हैं, यह 15 दिन वह अपने भक्त के कष्ट अपने ऊपर लेते हैं, इसीलिए पूर्णिमा पर उन्हें स्नान कराकर 15 दिनों तक आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता है.
पूर्णिमा पर महाभिषेक
पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ जी का महाभिषेक महास्नान कराया गया, सेठानीघाट स्थित करीब 750 वर्ष प्राचीन जगदीश मंदिर में जगन्नाथपुरी की तरह समस्त परंपराओं को पूरा किया जाता है. इसी क्रम में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के विग्रह को गर्भगृह से निकालकर सहस्त्र जलधारा, दूध, दही, घी, शहद सहित 21 विधि से महास्नान कराया गया. मंदिर में भगवान को करीब 100 लीटर पंचामृत से स्नान कराने के बाद सहस्त्रधारा स्नान कराया गया.
होशंगाबाद स्थित जगदीश मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी महास्नान का आयोजन विधिपूर्वक किया गया. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पुजारी और श्रद्धालु सोशल डिस्टेंस और मास्क के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए. वहीं आज से 15 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ ठीक होकर अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा पर निकलेंगे.