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पापड़ फुल्की बनाकर महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर - how to make papad at home

होशंगाबाद ब्लॉक की स्वसहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं आधुनिक मशीनों से पापड़ बनाने का काम कर रही हैं. बाबई ब्लाक की यह महिलाएं पापड़ बना कर बाजारो में सप्लाई कर रही हैं. यह महिलाएं ऑनलाइन अपने बने हुए अपने सामान को बेचती भी है. इससे महिलाएं को रोजाना 300 रुपए से लेकर 400 रुपए तक की कमाई हो रही है.

livelihood support papad
आजीविका का सहारा पापड़
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Published : Jul 11, 2021, 10:36 PM IST

होशंगाबाद(Hoshangabad)। कोरोना संक्रमण की दर में कमी आई है. संक्रमण की लहर में तेजी के चलते कोरोना कर्फ्यू लगाया गया था. संक्रामण में कमी के कारण कर्फ्यू में कमी आई है. वहीं कोरोना कर्फ्यू के कारण लोगों के रोजगार छूट गए. लोग बेरोजगार हो गए. लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कोरोना की मार ग्रामीण क्षेत्रों में भी पड़ी. अनलॉक के बाद होशंगाबाद की ग्रामीण महिलाओं ने परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने का जिम्मा उठाया है. यह महिलाएं ऑटोमेटिक पापड़ बनाने की मशीनों से पापड़ बना रहीं है. होशंगाबाद ब्लॉक की स्वसहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं परिवार की जिम्मेदारियां उठा रही हैं. बाबई ब्लाक की यह महिलाएं पापड़ बना कर बाजारो में सप्लाई कर रही हैं. यह महिलाएं ऑनलाइन अपने बने हुए सामान को बेच रही है. महिलाएं 300 रुपये से 400 रुपये रोजाना कमाकर परिवार पाल रही हैं.

महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

आधुनिक मशीनों से स्वसहायता समूह की महिलाएं बना रही पापड़

जिले की बाबई तहसील में स्थित जनपद पंचायत के भवन में ग्रामीण महिलाएं समूह के माध्यम से काम कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिला पंचायत के माध्यम से 14 महिलाओं के ओम स्वसहायता समूह की महिलाओं ने लोन के माध्यम से पापड़ बनाने की मशीनें ली हैं.मशीनों के माध्यम से यह महिलाएं पापड़ के आटे को गूंदने से लेकर पापड़ को बनाने का काम कर रही है.

ऐसा था दिलीप साहब का 'इंदौरी कनेक्शन', विशेष फ्लाइट से मुंबई मंगाते थे पकवान, लाल बाग पैलेस की तरह बनवाया अपने बंगले का दरवाजा

हर दिन कमा रही 300 से 400 रुपए

महिलाएं पापड़ के बनने के बाद बचे आंटे के माध्यम से पापड़ कतरन और फुल्की निर्माण का काम कर रही है. पापड़ की पैकिंग कर बाजार में बेचा जाता है.समूह की महिलाएं होशंगाबाद, इटारसी और आस पास के बाजारों में भी स्वादिष्ट पापड़ों को बेच कर आमदनी कमा रही हैं. यह महिलाएं ऑनलाइन के माध्यम से भी बाजार में अपने बनाए हुए सामानों को बेच कर अच्छी आमदनी कमा रही हैं. ओम स्वसहायता समूह की ग्राम अंचलखेड़ा की रहने बाली ममता यादव बताती हैं की करीब एक माह से काम कर रहे हैं. पापड़ बनाने का काम कर रहे थे. कोरोना से आर्थिक स्थिति पर फर्क पड़ा था. अनलॉक के बाद से पापड़ बनाकर अब 300 से 400 रुपए हर रोज कमाई कर लेते हैं. इटारसी बाबई होशंगाबाद के अलावा ऑनलाइन भी सामान बेच रहे हैं.

स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही काम

समूह की अध्यक्ष रजनी यादव बताती है के उनके समूह का नाम आराधना स्वसहायता समूह है. ओम स्वसहायता समूह की संकुल अध्यक्ष भी हैं.ओम संकुल संगठन के समूह में अध्यक्ष है. संगठन में 30 गांव संघटन बने हुए हैं. 294 समूह बनाये गए हैं. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और उन्हें रोजगार देने के लिए संकुल स्तर, ग्राम स्तर पर, बैंक स्तर पर लोन दिया जा रहा है. करीब 94 महिलाएं जुड़ी हुई है. अभी यह फूड़ प्रोसेसिंग कर रही हैं. फूड प्रोसेसिंग में वर्तामान में पापड़, अचार, फुल्की, कैंटीन, बेकरी का काम कर महिलाएं, आजीवका मार्ट पर ऑनलाइन भी बेच रही हैं.

होशंगाबाद(Hoshangabad)। कोरोना संक्रमण की दर में कमी आई है. संक्रमण की लहर में तेजी के चलते कोरोना कर्फ्यू लगाया गया था. संक्रामण में कमी के कारण कर्फ्यू में कमी आई है. वहीं कोरोना कर्फ्यू के कारण लोगों के रोजगार छूट गए. लोग बेरोजगार हो गए. लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कोरोना की मार ग्रामीण क्षेत्रों में भी पड़ी. अनलॉक के बाद होशंगाबाद की ग्रामीण महिलाओं ने परिवार की आर्थिक स्थिति को संभालने का जिम्मा उठाया है. यह महिलाएं ऑटोमेटिक पापड़ बनाने की मशीनों से पापड़ बना रहीं है. होशंगाबाद ब्लॉक की स्वसहायता समूह की ग्रामीण महिलाएं परिवार की जिम्मेदारियां उठा रही हैं. बाबई ब्लाक की यह महिलाएं पापड़ बना कर बाजारो में सप्लाई कर रही हैं. यह महिलाएं ऑनलाइन अपने बने हुए सामान को बेच रही है. महिलाएं 300 रुपये से 400 रुपये रोजाना कमाकर परिवार पाल रही हैं.

महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर

आधुनिक मशीनों से स्वसहायता समूह की महिलाएं बना रही पापड़

जिले की बाबई तहसील में स्थित जनपद पंचायत के भवन में ग्रामीण महिलाएं समूह के माध्यम से काम कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. जिला पंचायत के माध्यम से 14 महिलाओं के ओम स्वसहायता समूह की महिलाओं ने लोन के माध्यम से पापड़ बनाने की मशीनें ली हैं.मशीनों के माध्यम से यह महिलाएं पापड़ के आटे को गूंदने से लेकर पापड़ को बनाने का काम कर रही है.

ऐसा था दिलीप साहब का 'इंदौरी कनेक्शन', विशेष फ्लाइट से मुंबई मंगाते थे पकवान, लाल बाग पैलेस की तरह बनवाया अपने बंगले का दरवाजा

हर दिन कमा रही 300 से 400 रुपए

महिलाएं पापड़ के बनने के बाद बचे आंटे के माध्यम से पापड़ कतरन और फुल्की निर्माण का काम कर रही है. पापड़ की पैकिंग कर बाजार में बेचा जाता है.समूह की महिलाएं होशंगाबाद, इटारसी और आस पास के बाजारों में भी स्वादिष्ट पापड़ों को बेच कर आमदनी कमा रही हैं. यह महिलाएं ऑनलाइन के माध्यम से भी बाजार में अपने बनाए हुए सामानों को बेच कर अच्छी आमदनी कमा रही हैं. ओम स्वसहायता समूह की ग्राम अंचलखेड़ा की रहने बाली ममता यादव बताती हैं की करीब एक माह से काम कर रहे हैं. पापड़ बनाने का काम कर रहे थे. कोरोना से आर्थिक स्थिति पर फर्क पड़ा था. अनलॉक के बाद से पापड़ बनाकर अब 300 से 400 रुपए हर रोज कमाई कर लेते हैं. इटारसी बाबई होशंगाबाद के अलावा ऑनलाइन भी सामान बेच रहे हैं.

स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही काम

समूह की अध्यक्ष रजनी यादव बताती है के उनके समूह का नाम आराधना स्वसहायता समूह है. ओम स्वसहायता समूह की संकुल अध्यक्ष भी हैं.ओम संकुल संगठन के समूह में अध्यक्ष है. संगठन में 30 गांव संघटन बने हुए हैं. 294 समूह बनाये गए हैं. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और उन्हें रोजगार देने के लिए संकुल स्तर, ग्राम स्तर पर, बैंक स्तर पर लोन दिया जा रहा है. करीब 94 महिलाएं जुड़ी हुई है. अभी यह फूड़ प्रोसेसिंग कर रही हैं. फूड प्रोसेसिंग में वर्तामान में पापड़, अचार, फुल्की, कैंटीन, बेकरी का काम कर महिलाएं, आजीवका मार्ट पर ऑनलाइन भी बेच रही हैं.

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